केंद्र सरकार के BSF का अधिकार क्षेत्र 50 किलोमीटर बढ़ाने के फैसले पर बुद्धिजीवियों की राजनीति

बीएसएफ के पास पुलिस की कोई शक्ति नहीं है क्योंकि उसके पास प्राथमिकी दर्ज करने या जांच करने का अधिकार नहीं है। परंतु उन्हें सुरक्षा बल की बातों पर भरोसा नहीं है क्योंकि केवल वे ही सही हैं बाकी सब गलत हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 09:10 AM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 12:28 PM (IST)
केंद्र सरकार के BSF का अधिकार क्षेत्र 50 किलोमीटर बढ़ाने के फैसले पर बुद्धिजीवियों की राजनीति
अर्धसैन्य बलों के जवानों पर आरोप लगाने वालीं अपर्णा सेन। फाइल फोटो

कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। पद्मश्री समेत कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म निर्देशक व अभिनेत्री अपर्णा सेन ने पिछले सोमवार को कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को ‘दुष्कर्मी’ और ‘हत्यारा’ बता दिया। उन्होंने ये बातें केंद्र सरकार के बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 50 किलोमीटर बढ़ाने के फैसले को लेकर कही है। उनके इस बयान को लेकर भाजपा नेता काफी आक्रामक हैं। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘वे देशद्रोही हैं, देश के पक्ष में जो कुछ भी है, वे उसका विरोध करती हैं। चाहे भारतीय परंपरा हो या हिंदुत्व। ये वही लोग हैं, जो देश से शोहरत, दौलत कमाते हैं।’

सवाल यह उठ रहा है कि आखिर अपर्णा सेन ने सीमा सुरक्षा बल के जवानों के खिलाफ ऐसा बयान क्यों दिया? सीमा सुरक्षा बल के जवान रात-दिन एक कर सीमा की रक्षा करते हैं, तो हमलोग चैन से रात में सो पाते हैं, फिर उनके खिलाफ ऐसा बयान! आम तौर पर भारत के केंद्रीय बलों व सेना के खिलाफ इस तरह की बातें पाकिस्तानी, जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी और भारत विरोधी तत्वों के मुंह से सुनने को मिलती हैं। ऐसा नहीं है कि अपर्णा सेन ने यूं ही यह बयान दिया है। उनकी बातों के निहितार्थ को समङों तो पता चलेगा कि इसकी जद में राजनीति छिपी है। यह बयान किसे लाभ और किसे नुकसान पहुंचाने के लिए दिया गया है, यह समझा जा सकता है।

चुनाव बाद जब बंगाल में हिंसा और हत्या की घटनाएं हुईं तो वह और उनके जैसे बुद्धिजीवी एक बार भी बाहर नहीं निकले और विरोध में इस तरह संवाददाता सम्मेलन नहीं किया। अभी पिछले माह ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले हुए। मंदिरों से लेकर दुर्गापूजा पंडालों में तोड़फोड़ की गई। हत्याएं और दुष्कर्म किए गए, घरों को जला दिया गया, लेकिन उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकला, पर वही लोग नागरिकता कानून (सीएए) से लेकर भारत में कोई घटना हो जाए तो सिर पर आसमान उठा लेते हैं। ऐसा वर्ष 2014 से ही देखा जा रहा है। तब से उनकी पंथनिरपेक्षता कुछ अधिक ही दिख रही है। जुलाई, 2019 में अपर्णा सेन समेत कई बुद्धिजीवियों ने एक पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा था। उस पत्र में कथित माब लिंचिंग और ‘जय श्रीराम’ के नारे के दुरुपयोग को लेकर बातें लिखी गई थीं। उस समय अपर्णा ने कहा था कि वह देश को लेकर चिंतित हैं। लोगों से जबरदस्ती ‘जय श्रीराम’ का नारा लगवाया जा रहा है। देश में दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हेट क्राइम चरम पर है। उन्होंने लिखा था कि देश के सेक्युलर नागरिक के तौर पर वे अपनी आवाज उठा रहे हैं। यही लोग बांग्लादेश हिंसा पर नहीं बोलेंगे। उनका मानना है कि दोनों ही देश (भारत-बांग्लादेश) की सीमा पर बिना रोक-टोक लोगों की आवाजाही हो। क्या ऐसा संभव है?

बीते मंगलवार को बंगाल विधानसभा में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया। इस पर चर्चा के दौरान तृणमूल विधायक उदयन गुहा ने तो बीएसएफ के जवानों पर तलाशी के दौरान महिलाओं को गलत तरीके से छूने का आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा, ‘सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने ‘भारत माता की जय’ का कितना भी जाप किया हो, लेकिन वे देशभक्त नहीं हैं। हमने देखा है कि किस तरह के अत्याचार वे लोगों पर करते हैं। एक बच्चा, जिसने देखा है कि उसकी मां को तलाशी की आड़ में अनुचित तरीके से छुआ जाता है। ऐसा करने वाले कभी देशभक्त नहीं हो सकते, फिर चाहे कितनी ही बार ‘भारत माता की जय’ के नारे क्यों न लगा लें।’

बताते चलें कि उदयन गुहा भी वामपंथी दलों में लंबे समय तक रहे हैं और कुछ वर्ष पहले ही तृणमूल में शामिल हुए हैं। बीएसएफ के खिलाफ ऐसा ही आरोप सत्तारूढ़ दल के एक और विधायक ने विधानसभा में लगाया है। क्या ये आरोप सही हैं? इसका जवाब बीएसएफ की ओर से तत्काल दिया गया। बीएसएफ के अतिरिक्त महानिदेशक वाइबी खुरानिया ने तृणमूल विधायक के इस दावे को ‘निराधार’ बताया कि पुरुष सुरक्षाकर्मी महिलाओं की तलाशी लेते समय उनसे छेड़छाड़ करते हैं। उन्होंने कहा कि केवल महिला सुरक्षाकर्मी ही महिलाओं की तलाशी लेती हैं। बीएसएफ अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए सभी राज्य एजेंसियों के साथ समन्वय करता है। कुछ वर्गो में यह धारणा निराधार है कि संबंधित अधिसूचना के कारण बीएसएफ का राज्य पुलिस के साथ गतिरोध बढ़ेगा। बढ़े हुए क्षेत्रधिकार से बीएसएफ को पुलिस के हाथों को मजबूत करने में मदद मिलेगी। 

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, बंगाल]

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