West Bengal Politics: पार्टी की बैठकों से नदारद रह रहे हैं विधानसभा चुनाव में हारे हुए कई भाजपा नेता

पार्टी की आगामी रणनीति तय करने को लेकर बुलायी गई बैठकों से कई नेता नदारद रह रहे हैं। प्रदेश भाजपा में 12 उपाध्यक्ष हैं जिनमें से चार बैठक में मौजूद थे। 10 प्रदेश सचिवों में भी कई नेता नहीं आए।

By Priti JhaEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 08:19 AM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 08:19 AM (IST)
West Bengal Politics: पार्टी की बैठकों से नदारद रह रहे हैं विधानसभा चुनाव में हारे हुए कई भाजपा नेता
विधानसभा चुनाव में हारे हुए कई भाजपा नेता पार्टी की किसी बैठक में नहीं आ रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में सत्ता दखल करने का भाजपा का सपना अधूरा रह गया। इधर, राज्य के विभिन्न ​जिलों में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों को लेकर पार्टी नेतृत्व चिंतित है, लेकिन पार्टी की आगामी रणनीति तय करने को लेकर बुलायी गई बैठकों से कई नेता नदारद रह रहे हैं। इनमें अधिकतर नेता ऐसे हैं जो विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। गत दिनों बुलाई गई बैठक में ये तस्वीरें और स्पष्ट हुईं जब विभिन्न जिलों की परिस्थिति पर चर्चा के लिए हेस्टिंग में पार्टी नेतृत्व ने बैठक बुलाई थी। इस बैठक में सभी पदाधिकारियों और नेताओं को बुलाया गया था, लेकिन बैठक में उपस्थिति कम थी।

बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष, प्रदेश भाजपा के सांगठनिक महासचिव अमिताभ चक्रवर्ती व विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के अलावा प्रदेश महासचिव संजय सिंह और सायंतन बसु मौजूद थे। हालांकि इस बैठक में लॉकेट चटर्जी व रथीन बोस मौजूद नहीं थे। इधर, प्रदेश भाजपा में 12 उपाध्यक्ष हैं जिनमें से चार बैठक में मौजूद थे। 10 प्रदेश सचिवों में भी कई नेता नहीं आए। इसके अलावा राज्य कमेटी के चुने हुए कई सदस्यों को भी बैठक में आमंत्रित किया गया था।

इनमें से उल्लेखनीय नाम विधाननगर के भाजपा उम्मीदवार रहे सव्यसाची दत्ता का है जो बैठक में नहीं आये। इसके अलावा बुलाये जाने के बावजूद डोमजूड़ से हारे उम्मीदवार राजीव बन​र्जी भी बैठक में नहीं आए। प्रदेश भाजपा के एक नेता ने कहा कि चुनाव बाद से कई हारे हुए उम्मीदवार पार्टी की किसी बैठक में नहीं आ रहे हैं।

हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घाेष ने कहा, ‘कोरोना परिस्थिति के कारण जो दूर रहते हैं, उनमें से कई नहीं आ पाए। कई लोग अस्वस्थ भी हैं। इसके अलावा कुछ इलाकों में इतना अधिक आतंक है ​कि वे इलाका नहीं छोड़ पा रहे हैं। कोई कार्यकर्ताओं को संभाल रहा है तो कोई खुद पर हमले से डर रहा है। हालांकि सभी पार्टी से संपर्क में हैं।’ हालांकि कई नेता दिलीप का दावा मानने से इन्कार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जो केवल विधायक होने के लिए भाजपा में आये थे, उनमें से कई हार जाने के बाद आगे राजनीति करेंगे या नहीं, इसे लेकर संदेह है। 

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