Bengal Politics: माकपा ने माना, विधानसभा चुनाव में 'बीजेमूल' के नारे ने लोगों को भ्रमित किया, जिससे वे पार्टी से कट गए
बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का खेला होबे का नारा जहां सुपरहिट साबित हुआ और इसकी बदौलत वह तीसरी बार बंगाल की सत्ता पर काबिज हो गई दूसरी तरफ वहीं वाममोर्चा-कांग्रेस गठबंधन की ओर से दिया गया बीजेमूल का नारा पूरी तरह फ्लॉप रहा
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का 'खेला होबे' का नारा जहां सुपरहिट साबित हुआ और इसकी बदौलत वह तीसरी बार बंगाल की सत्ता पर काबिज हो गई, दूसरी तरफ वहीं वाममोर्चा-कांग्रेस गठबंधन की ओर से दिया गया 'बीजेमूल' का नारा पूरी तरह फ्लॉप रहा और इसने उसकी लुटिया डुबो दी।
वाममोर्चा के प्रमुख घटक दल माकपा ने यह मान लिया है कि यह नारा उसकी करारी हार के प्रमुख कारणों में से एक रहा। गौरतलब है कि बंगाल विधानसभा चुनाव में माकपा समेत किसी भी वामदल को एक भी सीट नसीब नहीं हुई। कांग्रेस की झोली भी इस बार खाली रह गई।
बंगाल विधानसभा चुनाव के इतिहास में यह पहला मौका है, जब कांग्रेस व वामदल, जिन्होंने वर्षों सूबे की सत्ता संभाली, उनका कोई प्रतिनिधि इस बार विधानसभा में नहीं है। माकपा की ओर से तैयार किए गए एक नोट में कहा गया है कि 'बीजेमूल' के नारे ने लोगों को भ्रमित किया, जिससे वे पार्टी से और कट गए। इस नारे के जरिए पार्टी की ओर से तृणमूल और भाजपा में सांठगांठ की जो बात कही गई थी, वह लोगों को रास नहीं आई। अब माकपा भी कह रही है कि भाजपा व तृणमूल कांग्रेस में कोई मेल नहीं है।
सियासी विश्लेषकों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में दुर्गति के बाद माकपा को यह बात अच्छी तरह से समझ में आ गई है कि भाजपा और तृणमूल को एक ही थैली के चट्टे-बट्टे कहकर जनता के सामने पेश करना उनकी बड़ी गलती थी। इसकी वजह से जनता का उससे पूरी तरह मोह भंग हो गया। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए वामदल अगर तृणमूल का साथ दे दे तो हैरानी की बात नहीं होगी। वाममोर्चा अध्यक्ष बिमान बोस पहले ही कह चुके हैं कि भाजपा जैसी सांप्रदायिक ताकत को रोकने के लिए वे किसी से भी हाथ मिलाने को तैयार हैं।