Bengal Jute mills: अब सिंथेटिक बैग में गेहूं की पैकिंग को लेकर केंद्र व बंगाल सरकार में टकराव के आसार
सिंथेटिक बैग में गेहूं की पैकिंग को लेकर केंद्र व बंगाल सरकार में टकराव के आसार दिख रहे हैं। बंगाल की जूट मिलों की मांग के अनुरूप जूट बोरियों की आपूर्ति नहीं कर पाने के कारण केंद्र सरकार जूट की जगह सिंथेटिक बैग में गेहूं की पैकिंग करना चाहती है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : अब सिंथेटिक बैग में गेहूं की पैकिंग को लेकर केंद्र व बंगाल सरकार में टकराव के आसार दिख रहे हैं। बंगाल की जूट मिलों की ओर से मांग के अनुरूप जूट बोरियों की आपूर्ति नहीं कर पाने के कारण केंद्र सरकार जूट की जगह सिंथेटिक बैग में गेहूं की पैकिंग करना चाहती है। वहीं दूसरी ओर बंगाल सरकार इसे किसी हाल में लागू नहीं करना देना चाहती है। राज्य के श्रम मंत्रालय का मानना है कि अगर इसे लागू किया गया तो जूट मिलें बंदी के कगार पर पहुंच जाएंगी तथा हजारों श्रमिक बेरोजगार हो जाएंगे।
दरअसल जूट बोरियों की कमी के कारण केंद्र सरकार पहले ही गेहूं के लिए सिंथेटिक बैग के इस्तेमाल का संकेत दे चुकी है। केंद्र इस योजना के क्रियान्वयन में ज्यादा देरी नहीं करना चाहता है। केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेने के लिए तीन नवंबर, बुधवार को नई दिल्ली में एक बैठक बुलाई है। इसमें जूट मिलों के संगठन इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (इज्मा) के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है। केंद्र के मुताबिक बैठक में गेहूं की 100 फीसद सिंथेटिक बोरियों में पैकिंग पर चर्चा की जाएगी। वहीं दूसरी ओर बंगाल सरकार इसे मानने के लिए तैयार नहीं है।
राज्य के श्रम मंत्री बेचाराम ने कहा कि अगर राज्य को पहले ही जूट बोरियों की मांग से अवगत करा दिया जाए तो आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं होगी। दरअसल खाद्य मंत्रालय ने जूट बोरियों की कम आपूर्ति का हवाला देते हुए गेहूं के लिए सिंथेटिक बैग का आर्डर करने की योजना बनाई है। हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। श्रम मंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार के साथ इस मामले पर चर्चा नहीं की है।
श्रम मंत्रालय ने इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हस्तक्षेप की मांग की है। इसके अलावा अलावा श्रम सचिव वरुण राय को मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी को अलग से पत्र भेजने का निर्देश दिया गया है। बेचाराम ने साफ कर दिया है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। उनका कहना है कि अगर इस फैसले को लागू किया गया तो राज्य के जूट उद्योग पर संकट गहरा जाएगा और इससे जुड़े हजारों श्रमिकों की नौकरी चली जाएगी। श्रम विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक केंद्र की इस बैठक की बात से जूट उद्योग में खौफ पैदा हो गया है। अगर गेहूं के लिए सिंथेटिक बोरियों के इस्तेमाल का फैसला हो जाता है तो अगले साल से कोटा कम हो जाएगा। उत्पादन कम हुआ तो इसका असर श्रमिकों पर पड़ेगा।