बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-सीबीआइ को सामूहिक रूप से सौंपे जा रहे मामले

बंगाल सरकार ने आरोप लगाया कि डकैती की घटना सहित अन्य मामलों को ‘बड़े पैमाने पर’सीबीआइ को स्थानांतरित किया जा रहा है। कपिल सिब्बल ने कहा कि जब यह आरोप लगता है कि जांच निष्पक्ष रूप से नहीं हो रही है तो अदालत केस सीबीआइ को स्थानांतरित कर देती है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 08:06 AM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 08:06 AM (IST)
बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-सीबीआइ को सामूहिक रूप से सौंपे जा रहे मामले
राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा-डकैती के मामलों की भी सीबीआइ कर रही है जांच

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष आरोप लगाया कि राज्य में ‘चौंकाने वाली चीजें’हुई हैं और डकैती की घटना सहित अन्य मामलों को ‘बड़े पैमाने पर’केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को स्थानांतरित किया जा रहा है। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि जब भी यह आरोप लगता है कि जांच निष्पक्ष रूप से नहीं हो रही है तो अदालत तथ्यों को ध्यान में रखती है और प्रथमदृष्टया निष्कर्ष के बाद ही मामले को सीबीआइ को स्थानांतरित कर देती है।

सिब्बल ने कहा कि कई मामले सीबीआइ को सौंपे गए हैं। कुछ चीजें बहुत चौंकाने वाली हुई हैं। एक मामले में आदमी जीवित है। इस बीच सीबीआइ डकैती के मामलों की भी जांच कर रही है। तरह-तरह की बातें हो रही हैं। शीर्ष अदालत राज्य सरकार की एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि उसे केंद्रीय एजेंसी से निष्पक्ष और न्यायसंगत जांच की उम्मीद नहीं है, जो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने में व्यस्त है।

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही सिब्बल ने शीर्ष अदालत से कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए दो-तीन घंटे लगेंगे लेकिन पीठ ने कहा कि समय की कमी के कारण वह आज मामले की सुनवाई नहीं कर पाएगी और अगले सप्ताह इस पर सुनवाई करेगी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पक्षकारों की सहमति से इस मामले को 28 सितंबर, 2021 को पहले नंबर पर सूचीबद्ध किया जाए। पक्षकारों को दूसरे पक्ष को अतिरिक्त दस्तावेज की प्रति देने के बाद इसे 24 सितंबर, 2021 तक दाखिल करने की अनुमति दी जाती है।

इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में विधानसभा चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा गठित एक समिति के सदस्यों पर आरोप लगाए थे। राज्य सरकार ने कहा था कि समिति के प्रमुख राजीव जैन ने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार के तहत खुफिया ब्यूरो के निदेशक के रूप में कार्य किया है।

एक अन्य सदस्य के बारे में सिब्बल ने कहा कि आतिफ रशीद ने भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के दिल्ली प्रदेश प्रभारी रूप में कार्य किया और अभी भी भाजपा के समर्थन में ट्वीट करते हैं। सिब्बल की दलील पर टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि अगर किसी का राजनीतिक अतीत रहा हो और अगर वह आधिकारिक पद पर आ जाता है तो क्या हम उसके साथ पक्षपाती व्यवहार करेंगे?

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने इस साल विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद बंगाल में जघन्य अपराधों के सभी कथित मामलों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इससे पहले, वकील अनिंद्य सुंदर दास ने शीर्ष अदालत में एक कैविएट याचिका दाखिल कर आग्रह किया था कि यदि राज्य या अन्य वादी अपील करते हैं तो उन्हें सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए। दास उन याचिकाकर्ताओं में से एक हैं, जिनकी याचिका पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त का फैसला सुनाया था।

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