बंगाल सरकार ने पूर्वी कोलकाता आद्रभूमि को बचाने के लिए बनाई व्यापक योजना

पर्यावरणविद् सुभाष दत्ता द्वारा एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि कई शहरी स्थानीय निकायों द्वारा कचरे का अवैध डंपिंग किए जाने के परिणामस्वरूप ईकेडब्ल्यू का पानी दूषित होता जा रहा है। इस पर जांच अभी राष्ट्रीय हरित अधिकरण के दायरे में है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 09:31 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 09:31 AM (IST)
बंगाल सरकार ने पूर्वी कोलकाता आद्रभूमि को बचाने के लिए बनाई व्यापक योजना
बंगाल सरकार ने पूर्वी कोलकाता आद्रभूमि को बचाने के लिए बनाई व्यापक योजना

राज्य ब्यूरो, कोलकाता । पिछले तीन दशकों में राज्य सरकार ने पहली बार पूर्वी कोलकाता वेटलैंड्स (ईकेडब्ल्यू) को बचाने के लिए एक पंचवर्षीय व्यापक योजना लेकर आई है। यह आद्रभूमि 125 वर्ग किलोमीटर को कवर करती है, जो प्रकृति और इंसान के मेलजोल से बना एक ऐसा निवास स्थान है, जिसे शहर के पर्यावरण के लिए काफी अहम माना जाता है।

राज्य के पर्यावरण मंत्री सौमेन महापात्रा ने कहा, ईकेडब्ल्यू प्रबंधन कार्य योजना (2021-26) में संस्थान और शासन, जल प्रबंधन और प्रजातियों व आवासों के प्रदूषण संरक्षण और सतत संसाधन शामिल हैं। यह योजना पूर्वी कोलकाता को बेहतर बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है ताकि जैविक विविधता को बनाए रखने के लिए पारिस्थितिक तंत्र में सभी की भागीदारी समान हो, यह सुनिश्चित किया जा सके। राज्य के वित्त विभाग से पहले ही आवश्यक मंजूरी मिल चुकी 120 करोड़ रुपये की इस योजना के तहत आद्रभूमि की बेहतरी के लिए काम किया जाएगा। इसमें सीवेज की क्षमता को बढ़ाना, पक्षियों की तमाम प्रजातियों में वृद्धि, मत्स्य पालन के लिए कई प्रजातियों द्वारा किए जाने वाले आक्रमणों में कमी, आजीविका भेद्यता में कमी, सक्रिय भागीदारी वृद्धि सहित कई चीजें शामिल होंगी, यानि कि यहां कुल मिलाकर चीजें व्यवस्थित की जाएंगी।

पर्यावरण सचिव विवेक कुमार ने कहा, ईकेडब्ल्यू एक रामसर साइट है, जो प्राकृतिक रूप से अपशिष्ट जल के निकास के लिए सक्षम है। यह न केवल भारी बारिश की वजह से बड़े पैमाने पर आने वाले बाढ़ से शहर को बचाने के लिए सक्षम है, बल्कि यह इस बात को भी सुनिश्चित करता है कि भूजल की कमी शहर के लिए एक बड़ा खतरा न बने। ईकेडब्ल्यू प्रबंधन योजना (2021-26) की परिकल्पना साल भर के शोध के बाद आद्र्रभूमि की रक्षा के उद्देश्य से की गई है और साथ ही साथ इसमें किसानों और मछुआरों की आजीविका में विकास की बात को भी ध्यान में रखा गया, जो इस अद्वितीय पर्यावरण साइट पर निर्भर है।

वर्षों से आद्रभूमि के अतिक्रमण और अवैध विनाश को लेकर काफी हंगामे के बाद राज्य सरकार इस योजना के साथ आगे आई है। मई, 2019 में पर्यावरणविद् सुभाष दत्ता द्वारा एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि कई शहरी स्थानीय निकायों द्वारा कचरे का अवैध डंपिंग किए जाने के परिणामस्वरूप ईकेडब्ल्यू का पानी दूषित होता जा रहा है। इस पर जांच अभी राष्ट्रीय हरित अधिकरण के दायरे में है।  

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