Bengal Chunav: एक निर्वाचित PM को एक निर्वाचित CM अपशब्द कहे यह उचित नहीं
Bengal Assembly Elections 2021 पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जनसभा को संबोधित करते हुए सभी मर्यादाओं को तोड़ दिया और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही बंगाल में शब्दों की मर्यादा टूटने लगी है। हर पांच वर्ष में चुनाव होता है। एक पार्टी हारती है तो दूसरी जीतती है। किसी एक दल की सरकार लोकतंत्र में चिरस्थाई नहीं होती। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण 34 वर्षो के वामपंथी शासन का बंगाल में अंत है। इसके बावजूद चुनावी रण में नेता शब्दों की मर्यादा तोड़ने लगें तो उसे क्या कहा जाएगा? बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को हुगली जिले के डनलप में जनसभा को संबोधित करते हुए सभी मर्यादाओं को तोड़ दिया और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह को गुंडा तक कह दिया।
इसी मैदान पर अभी दो दिन पहले सोमवार को पीएम मोदी ने भी सभा की थी। उसी मैदान में सभा कर ममता ने जो जवाब दिया उससे ऐसा लग रहा था कि वह अपनी पूरी भड़ास निकाल रही हैं। क्योंकि उनके सांसद भतीजे अभिषेक की पत्नी से सीबीआइ ने कोयला तस्करी प्रकरण में मंगलवार को पूछताछ की थी। सीबीआइ के पहुंचने से पहले ममता खुद अभिषेक की घर गई थीं और करीब दस मिनट तक रुकी थीं। इसके अगले दिन जब सार्वजनिक सभा को संबोधित किया तो उन्होंने मोदी और शाह के लिए बांग्ला में ऐसे-ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जिसे सुनकर लोग भी हैरान हैं।
ममता कहा कि हमेशा आप कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस ‘तोलाबाज’ है, लेकिन मैं आज कहती हूं आपकी पार्टी दंगाबाज है। यहां बताते चलें कि मोदी ने तोलाबाजी और कटमनी को लेकर तृणमूल पर हमला बोला था। इसी के जवाब में ममता ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि बंगाल पर बंगाल शासन करेगा। गुजरात नहीं। हमें बंगाल नहीं, बांग्ला चाहिए। मोदी बंगाल पर राज नहीं करेंगे। बंगाल पर गुंडे और बदमाश राज नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप से भी प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी की खराब स्थिति होगी। हमें कोयला चोर और तोलाबाज बोला जा रहा है, लेकिन दुर्गापुर में जिस फाइव स्टार होटल में मीटिंग करते हैं, वह किस कोयला माफिया का होटल है। यह बताएं। यहां एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि राजनीति अपनी जगह है। इतनी भी कटुता नहीं आनी चाहिए कि जब कभी आमने सामने हों तो बात करने में शìमदगी महसूस हो। ऐसा पहली बार नहीं है जब ममता ने मोदी को लेकर शब्दों की मर्यादाएं तोड़ी है। पिछले सात वर्षो में लगभग हर चुनाव में शब्दों की मर्यादा तार-तार हुई है।