Bengal Chunav: कूचबिहार व अलीपुरद्वार में 'खेला होबे' या होगा 'आसोल परिवर्तन'

पिछले चुनाव में तृणमूल के अघ्र्य राय प्रधान ने यहां जीत हासिल की थी। उनकी लोकप्रियता क्षेत्र में है लेकिन दीदी ने उनका टिकट काट दिया। इसका काफी विरोध हुआ ऐसे में तृणमूल उम्मीदवार परेशचंद्र अधिकारी के खिलाफ भितरघात की संभावना है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 10:52 PM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 08:55 AM (IST)
Bengal Chunav: कूचबिहार व अलीपुरद्वार में 'खेला होबे' या होगा 'आसोल परिवर्तन'
मुकाबला भाजपा व तृणमूल के बीच है। एक-दो सीटों पर संयुक्त मोर्चा का भी प्रभाव है।

जागरण टीम, कूचबिहार/अलीपुरद्वार। दस अप्रैल को चौथे चरण के मतदान के लिए कूचबिहार और अलीपुरद्वार का मैदान सज चुका है। हर कोई गोल मारने की फिराक में है। गर्मी व कोरोना के बीच भी इन दोनों जिलों की 14 विधानसभा सीटों पर भाजपा व तृणमूल ने धुआंधार प्रचार किया। खेला होबे-खेला होबे या असल परिवर्तन होबे यह दो मई को ही पता चलेगा। लेकिन चुनाव प्रचार से इतना तय हो गया है कि मुकाबला भाजपा व तृणमूल के बीच है। एक-दो सीटों पर संयुक्त मोर्चा का भी प्रभाव है।

कूचबिहार की सीटों का हाल :

मेखलीगंज : पिछले चुनाव में तृणमूल के अघ्र्य राय प्रधान ने यहां जीत हासिल की थी। उनकी लोकप्रियता क्षेत्र में है लेकिन दीदी ने उनका टिकट काट दिया। इसका काफी विरोध हुआ, ऐसे में तृणमूल उम्मीदवार परेशचंद्र अधिकारी के खिलाफ भितरघात की संभावना है। भाजपा उम्मीदवार दधिराम राय को इसका लाभ मिल सकता है। वे यहां पंचायत प्रधान भी रह चुके हैं। ग्राम अंचलों में उनकी अच्छी पकड़ है।

माथाभांगा : यहां से 2011 व 2016 में किला फतेह करने के बावजूद, दीदी ने विनय कृष्ण का यहां से टिकट काट दिया और गिरींद्रनाथ बर्मन को मैदान में उतारा। राय उच्च शिक्षित है। पंचानन बर्मा के वंश परंपरा से ही ताल्लुक रखते हैं। इनके विरुद्ध भाजपा ने एक साधारण किसान सुशील राय को चुनाव मैदान में उतारा है। ग्राम अंचल में उनकी अच्छी पैठ है। यहां भाजपा की स्थिति मजबूत नजर आ रही है।

कूचबिहार उत्तर : इस लालगढ़ में पिछले दो चुनाव में वाममोर्चा को जीत मिली है। इस बार यहां तृणमूल और भाजपा ने पूरा जोर लगाया है। राजवंशियों के झुकाव के कारण भाजपा मजबूत नजर आ रही है। तृणमूल ने यहां माथाभांगा के पिछले विजेता विनय कृष्ण को उतारा है, हालांकि अपने पूर्व विधानसभा के मुकाबले यहां वे अभी धाक नहीं जमा पाए हैं। भाजपा उम्मीदवार सुकुमार राय जिला महासचिव व जुझारू नेता के रूप में जाने जाते है। वाम की लहर इस बार वैसी नजर नहीं आ रही।

कूचबिहार दक्षिण : 22 साल तक तृणमूल के साथ कदमताल करने वाले तृणमूल विधायक मिहिर गोस्वामी पार्टी में उचित सम्मान नहीं मिलने पर भाजपा में शामिल हो गए हैं इससे यहां भाजपा मजबूत नजर आ रही। भाजपा ने अपने जिला अध्यक्ष निखिल रंजन दे को उम्मीदवार बनाया है। तृणमूल कांग्रेस ने इस बार अभिजीत दे भौमिक को उम्मीदवार बनाया है। उनकी छात्र व युवाओं के बीच अच्छा संपर्क है। लेकिन उनका प्रभाव मंडल शहर तक सीमित है। यहां दोनों में कड़ा मुकाबला है।

शीतलकूची : हितेन बर्मन ने 2011 व 2016 में तृणमूल को भारी मतों से यहां जीत दिलाई, लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया है। यहां कूचबिहार के जिलाध्यक्ष व पूर्व सांसद पार्थ प्रतिम राय को टिकट दिया गया। युवा नेता दीदी के प्रिय है। हितेन बर्मन का एक वर्ग टिकट नहीं मिलने से झुब्ध है। भाजपा के बरेन बर्मन बेदाग व उच्च शिक्षित हैं। तृणमूल में भितरघात हुआ तो भाजपा को फायदा हो सकता है।

सिताई : सिताई विधानसभा सीट से पिछले चुनाव में 25 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल करने वाले तृणमूल के जगदीश बर्मा बसुनिया फिर मैदान में मजबूती से लड़ रहे हैं। तृणमूल का संगठन यहां मजबूत है। वहीं भाजपा उम्मीदवार दीपक राय फारवर्ड ब्लाक से गए है। भाजपा के पुराने नेता को टिकट नहीं दिया गया है। इसे लेकर पार्टी के भीतर गुटबाजी तेज है। वहीं संयुक्त मोर्चा ने 2011 के विजयी उम्मीदवार केशव राय को फिर चुनाव मैदान में उतारा है।

दिनहाटा : भाजपा के लोकसभा सांसद निशीथ प्रामाणिक इस सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इलाके में वह बाहुबली नेता के रूप में जाने जाते है। पंचायत चुनाव से निशीथ प्रामाणिक का गुट व उदयन गुहा के गुट में 36 का आंकड़ा था। उदयन गुहा 2011 में फारवर्ड ब्लॉक के टिकट पर विजयी हुए थे, इस बार वे तृणमूल के टिकट पर मैदान में हैं। निशीथ प्रामाणिक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह आदि बड़े नेताओं ने जमकर प्रचार किया। वहीं उदयन के लिए तृणमूल ने भी पूरा जोर लगाया है। मुकाबला कांटे का है।

तूफानगंज : इस बार तृणमूल ने सिटिंग विधायक स्थानीय फजल करीम मियां को टिकट न देकर बाहरी तृणमूल नेता प्रणब कुमार दे को टिकट दिया है। इसे लेकर शुरू से पार्टी में विरोध है। फजल करीम मियां की अल्पसंख्यक वर्ग में काफी पैठ थी। भाजपा की उम्मीदवार व जिलाध्यक्षा मालती राभा तेज तर्रार हैं। हर आंदोलन में वें आगे देखी गई हैं। महिलाओं का एक बहुत बड़ा वर्ग उन्हेंं पसंद करता है। यहां पर भाजपा की सांगठनिक शक्ति मजबूत है।

चाय श्रमिक और राजवंशी लिखेंगे अलीपुरद्वार का भाग्य : अलीपुरद्वार जिले में अलीपुरद्वार, कुमारग्राम, कालचीनी, मदारीहाट और फालाकाटा पांच विधानसभा सीटें हैं। यहां की अधिकांश सीटों पर चाय श्रमिक ही प्रत्याशियों के भाग्य का निर्धारण करेंगे। कालचीनी, कुमारग्राम और मदारीहाट में चाय बागान की संख्या काफी अधिक है, इन सीटों पर श्रमिक वोट काफी असरदार हैं। तृणमूल, भाजपा और संयुक्त मोर्चा ने इन्हें लुभाने की पूरी केाशिश की है। कुमारग्राम में मुख्य लड़ाई तृणमूल और भाजपा के बीच है। अलीपुरद्वार में त्रिकोणीय टक्कर है। भाजपा के सुमन कांजीलाल, तृणमूल के सौरभ चक्रवर्ती और संयुक्त मोर्चा की ओर से कांग्रेस के पूर्व विधायक देव प्रसाद राय के बीच कड़ा मुकाबला है। कालचीनी की बात करें तो यहां तृणमूल के पासांग लामा और भाजपा के विशाल लामा के बीच सीधी टक्कर नजर आ रही है। फालाकाटा में राजवंशी समुदाय प्रभावी है, ये जिसके साथ जाएंगे उनकी जीत तय है। यहां तृणमूल कांग्रेस के सुभाष चंद्र राय, भाजपा के दीपक बर्मन और संयुक्त मोर्चा से क्षितीश चंद्र राय के बीच टक्कर है। मदारीहाट का भी हाल कुछ ऐसा ही है।

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