Bengal Chunav 2021: कोलकाता में तृणमूल के गढ़ में सेंध लगाने की जुगत में भाजपा

Bengal Chunav 2021 तृणमूल के गढ़ में सेंध लगाने की जुगत में जुटी भाजपा ने इन सीटों पर कब्जा जमाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। इन चारों सीटों पर तृणमूल के हेवीवेट नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 08:50 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 08:50 AM (IST)
Bengal Chunav 2021: कोलकाता में तृणमूल के गढ़ में सेंध लगाने की जुगत में भाजपा
तृणमूल को अपने सबसे मजबूत गढ़ में भाजपा से मिल रही कड़ी चुनौती

राजीव कुमार झा, कोलकाता।  Bengal Chunav 2021 बंगाल में सातवें चरण में 26 अप्रैल को कोलकाता की चार सबसे हाईप्रोफाइल विधानसभा सीटों पर भी चुनाव होना है। इनमें भवानीपुर, रासबिहारी, बालीगंज व कोलकाता पोर्ट सीट है। इन चारों सीटों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है और यह पार्टी का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। लेकिन इस बार तृणमूल को महानगर में अपने गढ़ में भी भाजपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। तृणमूल के गढ़ में सेंध लगाने की जुगत में जुटी भाजपा ने इन सीटों पर कब्जा जमाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। इन चारों सीटों पर तृणमूल के हेवीवेट नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। इनमें भवानीपुर सीट की बात करें तो यह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गृह क्षेत्र होने के साथ परंपरागत सीट भी है।

हालांकि इस बार ममता भवानीपुर की बजाय नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही हैं। बावजूद इसके ममता की साख यहां दांव पर है, क्योंकि इस सीट पर जीत-हार सीधे उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ी हैं। भवानीपुर से इस बार ममता ने पास की रासबिहारी सीट से चार बार के विधायक व बिजली मंत्री शोभनदेव चट्टापोध्याय को उतारा है। यहां भाजपा के स्टार उम्मीदवार व प्रसिद्ध बांग्ला अभिनेता रुद्रनील घोष से उनका मुकाबला है। रुद्रनील पहले तृणमूल में ही थे और चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए हैं। वे यहां तृणमूल को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

रासबिहारी में पूर्व सेना उपप्रमुख से मिल रही चुनौती

इसी तरह रासबिहारी सीट की बात करें तो यहां 2001 से ही तृणमूल का कब्जा है। इस सीट से लगातार चार बार से जीतते आ रहे कद्दावर नेता शोभनदेव चट्टापोध्याय को पार्टी ने इस बार भवानीपुर सीट से उतारा है और उनकी जगह रासबिहारी से देवाशीष कुमार को प्रत्याशी बनाया है। कुमार कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर परिषद सदस्य (एमएमआइसी) हैं। वहीं, भाजपा ने यहां से पूर्व सेना उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सुब्रत साहा को उतारा है, जिसके चलते यहां तृणमूल की राह इस बार आसान नहीं है।

मंत्री सुब्रत मुखर्जी भी कर रहे जद्दोजहद

बालीगंज सीट पर 2006 से तृणमूल का कब्जा है। यहां से लगातार दो बार से विधायक तृणमूल के कद्दावर नेता व मंत्री सुब्रत मुखर्जी इस बार जीत के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। उन्हें यहां भाजपा व माकपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। भाजपा से एडवोकेट लोकनाथ चटर्जी जबकि माकपा से डॉ फुवाद हलीम मैदान में हैं। लोकनाथ एक प्रसिद्ध वकील तो हलीम एक नामी डॉक्टर हैं और दोनों मुखर्जी की हैट्रिक रोकने के लिए बेताब हैं। हलीम लंबे समय तक बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष रहे हाशिम अब्दुल हलीम के पुत्र हैं। इस बार तृणमूल प्रत्याशी के लिए यहां वकील व डॉक्टर से पार पाना आसान नहीं है।

मंत्री फिरहाद की राह भी आसान नहीं

कोलकाता पोर्ट सीट की बता करें तो यहां 2011 से तृणमूल का कब्जा है। 2011 में राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही शहरी विकास व नगरपालिका मंत्री का दायित्व संभाल रहे व तृणमूल के सबसे बड़े अल्पसंख्यक नेता फिरहाद हकीम यहां से लगातार दो बार से जीतते आ रहे हैं। लेकिन मुस्लिम मतदाताओं के दबदबे वाले इस सीट पर इस बार फिरहाद ही राह भी आसान नहीं है। भाजपा से अवध किशोर गुप्ता जबकि कांग्रेस के मोहम्मद मुख्तार से उन्हें चुनौती मिल रही है। मुस्लिम वोट बंटने पर भाजपा को यहां फायदा हो सकता है।

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