मुस्लिम बहुल गांव घनगड़ा के पीड़ितों को मरहम, शिवपुर के लोगों का जख्म अब भी हरा
Bengal Assembly Elections 2021 मुस्लिम बहुल गांव घनगड़ा के पीडि़तों को सहायता राशि मिल गई लेकिन हिंदू बहुल घुसरीपाड़ा व शिवपुर के लोगों को कुछ भी नहीं मिला। इन दोनों गांवों के लोग प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।
डॉ. प्रणेश, मुर्शिदाबाद। Bengal Assembly Elections 2021 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप यूं ही नहीं लगाते। इसके प्रमाण जहां-तहां आसानी से मिल जाते हैं। मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज विधानसभा क्षेत्र के निमतिता व प्रतापगंज अंचल के तीन गांव के 70 घर पिछले साल अगस्त-सितंबर में गंगा नदी में समा गए थे। करीब पांच सौ की आबादी प्रभावित हुई थी। इनमें मुस्लिम बहुल गांव घनगड़ा के पीडि़तों को सहायता राशि मिल गई लेकिन हिंदू बहुल घुसरीपाड़ा व शिवपुर के लोगों को कुछ भी नहीं मिला। इन दोनों गांवों के लोग प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रशासनिक अधिकारी भी उसी में व्यस्त हैं। उन्हेंं यह सब देखने की फुर्सत नहीं है।
शमशेरगंज से अमीरूल इस्लाम तृणमूल कांग्रेस के निवर्तमान विधायक हैं। इस बार भी मैदान में हैं। भाजपा प्रत्याशी मिलन घोष ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया है। वे कहते हैं कि विगत दस साल से राज्य में तृणमूल की सरकार है, लेकिन गंगा से हो रहे कटाव को रोकने के लिए आज तक कोई व्यवस्था नहीं की। इसके लिए राशि स्वीकृत होने की बात सामने आई थी लेकिन क्या हुआ, किसी को कुछ पता नहीं चला। तृणमूल सरकार में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। बिना कट मनी दिए कोई काम नहीं होता। राज्य की योजनाओं की बात छोड़ दें केंद्रीय योजनाओं में भी स्थानीय विधायक कट मनी वसूलते हैं। वे कहते हैं कि टीएमसी कार्यकर्ता विभिन्न सरकारी कार्यालयों के बाहर जमा रहते हैं और जिन्हेंं भी योजनाओं का लाभ मिलता है उनसे कट मनी वसूल लेते हैं। एक लाख 20 हजार के प्रधानमंत्री आवास में 20 हजार तक कमीशन चला जाता है।
घुसरीपाड़ा के सुमित राय कहते हैं कि कटाव प्रभावित लोग किसी तरह जीवन गुजार रहे हैं। इसी गांव के ईश्वर व जीवन सिंह तथा शिवपुर के तारेश मंडल को उम्मीद है कि राज्य में बदलाव होगा तो उनलोगों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। हालांकि अमीरूल इस्लाम भेदभाव की बातों से इन्कार करते हैं। वे कहते हैं कि सभी प्रभावितों को लाभ जरूर मिलेगा। बहरहाल, विधायक के दावे में कितना दम है यह चुनाव के परिणाम से स्पष्ट हो जाएगा।