West Bengal: बाबुल सुप्रियो 19 अक्टूबर को सांसद पद से देंगे इस्तीफा
West Bengal भाजपा छोड़कर टीएमसी में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री व आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो 19 अक्टूबर को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देंगे। स्पीकर ओम बिड़ला ने बाबुल को सांसद पद से इस्तीफा देने के लिए मंगलवार सुबह 11 बजे का समय दिया है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। हाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़कर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री व आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो 19 अक्टूबर को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देंगे। लोकसभा सचिवालय सूत्रों के अनुसार, स्पीकर ओम बिड़ला ने बाबुल को सांसद पद से इस्तीफा देने के लिए मंगलवार सुबह 11 बजे का समय दिया है। इससे पहले टीएमसी में शामिल होने के बाद आसनसोल से सांसद बाबुल ने दावा किया था कि उन्होंने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के लिए स्पीकर से समय मांगा था, लेकिन स्पीकर ने उन्हें समय नहीं दिया था। हालांकि लोकसभा सचिवालय ने उनके इस दावे का खंडन किया था। इस बीच, लोकसभा सचिवालय सूत्रों ने रविवार को बताया कि बाबुल को सांसद पद से इस्तीफा देने के लिए 19 अक्टूबर का समय दिया गया है।
जुलाई में हटाए गए थे मंत्री पद से
उल्लेखनीय है कि जुलाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद से नाराज चल रहे बाबुल ने 18 सितंबर को अचानक टीएमसी का दामन थाम लिया था। टीएमसी में शामिल होते ही बाबुल ने घोषणा की थी कि वह सांसद पद से भी इस्तीफा दे देंगे। बाबुल भाजपा के टिकट पर 2019 में लगातार दूसरी बार आसनसोल सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। इस साल की शुरुआत में हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने बाबुल को कोलकाता की टालीगंज सीट से चुनावी मैदान में उतारा था, जहां उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। उसके बाद जुलाई में मोदी मंत्रिमंडल का हुए विस्तार में बाबुल को मंत्री पद से हटा दिया गया था।
दिलीप घोष ने कसा था तंज
बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री व आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो को 'राजनीतिक पर्यटक' कहकर तंज कसा था। घोष ने कहा-'पार्टी अपने मुताबिक ही चलेगी। राजनीतिक पर्यटक आएंगे और घूम-फिरकर चले जाएंगे। कौन कहां गया, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमें कोई धक्का नहीं लगा है बल्कि जो लोग धक्का खा रहे हैं, वे ही जा रहे हैं। बाबुल सुप्रियो के भाजपा में आने से न तो पार्टी को कोई फायदा हुआ था और न ही उनके चले जाने से कोई नुकसान हुआ है।' घोष ने आगे कहा-'अगर कोई सात साल केंद्र में मंत्री रहने के बाद भी चला जाता है तो इससे क्या समझ में आता है? राजनीति अब ईस्ट बंगाल-मोहन बगान फुटबाल क्लब जैसी हो गई है, जहां खिलाड़ियों का आना-जाना लगा रहता है।'