Babul Supriyo Join TMC: तृणमूल कांग्रेस से दो-दो हाथ करने वाले बाबुल सुप्रियो ने ममता का दामन क्यों थामा?
राजनीति में कोई किसी का स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता। राजनीति अपनी ही चाल से चलती है भले ही राजनेता अपने ह्रदयपरिवर्तन और जनता की सेवा की बात करते रहें। एक बार फिर इसकी बानगी बंगाल में देखने को मिली।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : राजनीति में कोई किसी का स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता। राजनीति अपनी ही चाल से चलती है भले ही राजनेता अपने ह्रदयपरिवर्तन और जनता की 'सेवा' की बात करते रहें। एक बार फिर इसकी बानगी बंगाल में देखने को मिली। करीब डेढ़ महीने पहले राजनीति छोड़ने का एलान करने वाले आसनसोल से भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थाम लिया है। आखिर क्या वजह रही कि भाजपा के लिए बंगाल में राजनीतिक जमीन तैयार करने वाले बाबुल ने आखिरकार विदाई का रास्ता क्यों चुना?
दरअसल, साल 2014 में मोदी लहर पर सवार होकर कई लोग अपने लिए राजनीतिक भविष्य तलाश रहे थे। इन्हीं में से एक थे गायक बाबुल सुप्रियो, जिन्होंने 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा की सदस्यता ली और फिर बंगाल की आसनसोल सीट से पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़ा।
2014 में आसनसोल सीट से 70 हजार वोटों से दर्ज की थी जीत
पहले चुनाव में बाबुल ने पूरी ताकत झोंक दी। उस समय बंगाल में ममता का ही दबदबा था, वहां पर भाजपा बतौर विपक्ष भी मजबूत नहीं थी, लेकिन तब बाबुल ने टीएमसी के गढ़ में कमल खिलाने का काम कर दिया। 2014 के चुनाव में बाबुल ने आसनसोल सीट को 70 हजार वोटों से जीत लिया था। तब उन्होंने टीएमसी की डोला सेन को बुरी तरह हराया था।
पहली जीत का मिला तोहफा, केंद्रीय मंत्री बन गए बाबुल
इसके बाद भाजपा ने बाबुल को पहली बार सांसद चुने जाने के बाद ही केंद्र में मंत्री बना दिया। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सबसे पहले बाबुल को शहरी विकास, आवास मंत्रालय में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। फिर 2016 में उन्हें भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम में बतौर राज्यमंत्री बनाया गया था।
इस साल बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता की प्रचंड जीत के बाद बदला सबकुछ
इस बीच इस साल बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस की राज्य में लगातार तीसरी बार प्रचंड जीत के बाद सियासी समीकरण बदलकर रख दिया। बंगाल में 200 से ज्यादा सीटें जीत कर सरकार बनाने का ख्वाब देख रही भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा।
यहां तक कि ममता लहर में विधानसभा चुनाव में बाबुल सुप्रियो भी अपनी सीट नहीं बचा पाए और कोलकाता की टालीगंज सीट से उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में राज्य में आरोप- प्रत्यारोप का दौर था और सुप्रियो को भी हार के लिए जिम्मेदार बताया गया। इसके बाद जुलाई महीने में नरेंद्र मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ था। इसमें बाबुल को केंद्रीय मंत्री पद से हटा दिया गया था।
इससे सुप्रियो केंद्रीय नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। इसके अलावा वह बंगाल भाजपा में गुटबाजी से परेशान बताए जा रहे थे। हालांकि जुलाई के अंत में फेसबुक पोस्ट के जरिए राजनीति छोड़ने के एलान के बाद बाबुल ने कहा था, मैं किसी दूसरी पार्टी में नहीं जा रहा हूं। हमेशा से भाजपा का सदस्य रहा हूं और रहूंगा। लेकिन इसके कुछ देर बाद ही उन्होंने अपनी पोस्ट से हमेशा भाजपा में रहने वाली लाइन हटा दी थी। इसके बाद से ही उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर लगातार अटकलें चल रही थी और आखिरकार वे टीएमसी में शामिल हो गए।
टीएमसी ज्वाइन करने के बाद क्या बोले बाबुल?
भाजपा छोड़कर टीएमसी में शामिल होने के बाद बाबुल सुप्रियो ने कहा कि बदले की राजनीति नहीं है, यह अवसर की राजनीति है। ये सब बीते चार दिनों में हुआ।मुझे लगा कि दीदी (ममता बनर्जी) और अभिषेक बनर्जी से बस भरोसा और विश्वास था। मेरे परिवार ने मुझसे कहा था कि मेरा राजनीति छोड़ने का फैसला गलत है। मुझे अपने फैसले के बदलाव पर गर्व है। उन्होंंने बताया कि वह सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे और पार्टी जो भी निर्णय करेगी वह उसके मुताबिक ही चलेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह आसनसोल से सांसद पद से भी इस्तीफा दे देंगे।