बाबुल सुप्रियो ने अपनी सांसद निधि की शेष राशि विभिन्न प्रकल्पों के लिए आवंटित की

फेसबुक पोस्ट कर कहा-मैं कहीं भी क्यों न रहूं आसनसोल मेरे लिए हमेशा बेहद खास रहेगा।बाबुल ने फेसबुक पोस्ट के जरिए कहा- मैं कहीं भी क्यों न रहूं आसनसोल मेरे लिए हमेशा बेहद खास रहेगा। आसनसोल के लिए जितना हो पाएगा उससे ज्यादा करने की कोशिश करूंगा।

By Priti JhaEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 03:11 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 03:11 PM (IST)
बाबुल सुप्रियो ने अपनी सांसद निधि की शेष राशि विभिन्न प्रकल्पों के लिए आवंटित की
बाबुल सुप्रियो ने अपनी सांसद निधि की शेष राशि विभिन्न प्रकल्पों के लिए आवंटित की

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। हाल में भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए बाबुल सुप्रियो ने सांसद पद से इस्तीफा देने से पहले अपनी सांसद निधि की शेष राशि विभिन्न प्रकल्पों के लिए आवंटित कर दी है। बाबुल ने फेसबुक पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी देते हुए कहा-' मैं कहीं भी क्यों न रहूं, आसनसोल मेरे लिए हमेशा बेहद खास रहेगा। आसनसोल के लिए जितना हो पाएगा, उससे ज्यादा करने की कोशिश करूंगा।'

बाबुल ने आगे कहा-'मैंने विभिन्न प्रकल्पों के लिए पहले ही तीन करोड़ 80 लाख मंजूर कर दिए थे। बाकी दो करोड़ 20 लाख रुपये भी अब आवंटित कर दिए हैं।' बाबुल ने अपने आसनसोल संसदीय क्षेत्र के कुल्टी के 73 नंबर वार्ड में दुर्गा मंदिर के निर्माण के लिए 15 लाख रुपये, कुल्टी के चीनाकुडी़ में दामोदर नदी के ऊपर कंक्रीट प्लेटफार्म के निर्माण के लिए 15 लाख रुपयै, कुल्टी के हरि मंदिर व श्मशान घाट इलाके में हाई मास्ट आलोक सज्जा के लिए 15 लाख रुपये, कुल्टी में कब्रिस्तान के निर्माण के लिए 15 लाख रुपये, पांडेश्वर में कम्युनिटी हॉल के निर्माण के लिए 15 लाख रुपये समेत कुल 15 प्रकल्पों के लिए अपनी सांसद निधि से राशि आवंटित की है।

गौरतलब है कि तृणमूल में शामिल होने के समय बाबुल सुप्रियो ने कहा था कि वह सांसद पद से इस्तीफा दे देंगे। मोदी मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद से बाबुल सुप्रियो भाजपा से नाराज चल रहे थे। पहले उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का एलान कर दिया था लेकिन बाद में निर्णय बदलते हुए अचानक तृणमूल में शामिल हो गए। तृणमूल में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। बाबुल के तृणमूल में शामिल होने पर कटाक्ष करते हुए पूर्व बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीफ घोष ने कहा था कि बाबुल कभी भाजपाई बन ही नहीं पाए थे। 

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