क्रिप्टोकरेंसी को मंजूरी देने से धन आपूर्ति पर रिजर्व बैंक का नियंत्रण खत्म हो सकता है: पूर्व गवर्नर
आरबीआइ के पूर्व-गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को मंजूरी दिए जाने पर केंद्रीय बैंक धन आपूर्ति और मुद्रास्फीति प्रबंधन पर नियंत्रण खो सकता है। क्रिप्टो एल्गोरिदम की मदद से चलता है और डर है कि केंद्रीय बैंक धन की आपूर्ति और मुद्रास्फीति प्रबंधन पर नियंत्रण खो सकता है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि देश में क्रिप्टोकरेंसी को मंजूरी दिए जाने पर केंद्रीय बैंक धन आपूर्ति और मुद्रास्फीति प्रबंधन पर नियंत्रण खो सकता है। नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (एनवाईयू) स्टर्न स्कूल आफ बिजनेस द्वारा आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए राव ने यह भी कहा कि भारत में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) जारी करने का मामला शायद मजबूत ना हो क्योंकि इसमें पूंजी नियंत्रण का पहलू शामिल है। उन्होंने कहा, क्रिप्टो एल्गोरिदम की मदद से चलता है और डर है कि केंद्रीय बैंक धन की आपूर्ति और मुद्रास्फीति प्रबंधन पर नियंत्रण खो सकता है। ऐसी भी चिंताएं हैं कि क्रिप्टो मौद्रिक नीति को बाधित करेगा। पूर्व गवर्नर ने कहा कि क्रिप्टो पूंजी नियंत्रण से बाहर जा सकता है, कागजी मुद्रा आरक्षित मुद्रा से जुड़ी हुई है। 2008 से 2013 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे राव ने कहा कि सीबीडीसी को भी मजबूत डेटा संरक्षण कानूनों की जरूरत है।
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कानून बनाने की तैयारी में है केंद्र सरकार
बताते चलें कि राव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर संसद के मौजूदा सत्र में बिल पेश करने की तैयारी में है। इस बिल में भारत में प्राइवेट क्रिप्टो पर प्रतिबंध की मांग की गई है। बिल पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के पश्चात इस कानून के तहत लेनदेन करने पर गैर जमानती धाराओं में बिना वारंट गिरफ्तारी कर जेल भेजा जा सकता है। इसके अलावा 20 करोड़ रुपये तक के जुर्माना का भी प्रावधान होगा।संसद में पेश होने वाले बिल में क्रिप्टो करेंसी की खरीदी बिक्री, जमा करने, होल्ड करने का काम सिर्फ एक्सचेंज के जरिए होगा। इसमें नियमों का उल्लंघन करने पर बिना वारंट गिरफ्तारी होगी क्योंकि धाराएं गैर जमानती होगी।