'खेला होबे' के नारे से बंगाल के बाद अब दिल्ली फतह की जुगत में ममता बनर्जी, काफी लोकप्रिय हुआ था यह नारा
जिस खेला होबे के नारे से तृणमूल कांग्रेस को बंगाल विधानसभा चुनाव में जबरदस्त सफलता मिली उस नारे को अब मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत का मंत्र बनाना चाहती हैं।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : जिस 'खेला होबे' के नारे से तृणमूल कांग्रेस को बंगाल विधानसभा चुनाव में जबरदस्त सफलता मिली, उस नारे को अब मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत का मंत्र बनाना चाहती हैं। गत 21 जुलाई को शहीद दिवस पर अपने वर्चुअल संबोधन में ममता ने इसके साफ संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा था-'एबार दू हजार चौबीसे खेला होबे यानी अब 2024 में खेल होगा। इतना ही नहीं, उन्होंने बंगाल में 16 अगस्त को 'खेला होबे' दिवस के तौर पर मनाने की भी घोषणा की है।
सियासी विश्लेषकों का कहना है कि देश के चुनावी इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल किए गए किसी नारे का लोकसभा चुनाव में प्रयोग करने की तैयारी चल रही है। दिलचस्प बात यह है कि विधानसभा चुनाव में इस नारे का इस्तेमाल सत्ता बचाने के लिए किया गया था जबकि लोकसभा चुनाव में इसे सत्ता से हटाने के लिए प्रयोग में लाया जाएगा।
सियासी विश्लेषक हालांकि इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि बंगाल में बेहद असरदार साबित हुआ यह नारा लोकसभा चुनाव में कितना प्रभावी रहेगा। कुछ राज्यों में अभी से इसका इस्तेमाल होना शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश के कानपुर व वाराणसी में समाजवादी पार्टी की तरफ से 'खेला होई' लिखे पोस्टर लगाए गए हैं। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। अगर वहां यह नारा कारगर साबित हो जाता है तो लोकसभा चुनाव में भी यह असर दिखा सकता है।
बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान यह नारा इतना लोकप्रिय हुआ था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक अपने चुनावी भाषणों में इसका इस्तेमाल किए बिना नहीं रह पाए थे, लेकिन तृणमूल ने इस नारे को जिस तरह से लपका, वैसा और कोई नहीं कर पाया और अब तो मानों इसपर तृणमूल कांग्रेस का कॉपीराइट हो गया है।
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क्या है 'खेला होबे'
'खेला होबे' मूल रूप से बांग्लादेशी नारा है। वहां की पार्टी अवामी लीग के सांसद शमीम उस्मान ने यह नारा दिया था। इस नारे को बंगाल के देबांग्शु भट्टाचार्य नामक युवक ने गाने का रूप दे दिया, जो हिट हो गया। तृणमूल नेता अनुब्रत मंडल ने इस नारे को बंगाल में छेड़ा, जो धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगा और चुनावी मौसम में पूरी तरह छा गया। देबांग्शु वर्तमान में तृणमूल नेता हैं और वे 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए इस गाने का हिंदी संस्करण तैयार कर रहे हैं।