Unlock-2: बंगाल में बहाल हुई 'अड्डा संस्कृति', कड़े नियमों के साथ खुला कॉफी हाउस

बंगाल की अड्डा संस्कृति का परिचायक ऐतिहासिक इंडियन कॉफी हाउस लंबे अंतराल के बाद गुरुवार से फिर खुल गया फिलहाल चीनी मिट्टी के प्लेट नहीं बल्कि प्लास्टिक की थाली में परोसे जा रहे

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 03:22 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 03:33 PM (IST)
Unlock-2: बंगाल में बहाल हुई 'अड्डा संस्कृति', कड़े नियमों के साथ खुला कॉफी हाउस
Unlock-2: बंगाल में बहाल हुई 'अड्डा संस्कृति', कड़े नियमों के साथ खुला कॉफी हाउस

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल की 'अड्डा संस्कृति' का परिचायक ऐतिहासिक इंडियन कॉफी हाउस तीन महीने 11 दिनों के लंबे अंतराल के बाद गुरुवार से फिर खुल गया, हालांकि अभी यहां सबकुछ पहले जैसा नहीं है। टेबल की संख्या काफी कम कर दी गई हैं। कुर्सियां भी उन्हीं के अनुपात में घटा दी गई हैं। कॉफी हाउस में खाने-पीने का लंबा-चौड़ा मेनू हुआ करता था, जिसे छोटा कर दिया गया है।

फिलहाल गिने-चुने व्यंजन ही चखने को मिलेंगे। उन्हें भी फिलहाल चीनी मिट्टी के प्लेट में नहीं बल्कि प्लास्टिक की थाली में परोसा जाएगा। पीने का पानी भी प्लास्टिक की गिलास में दिया जाएगा। कॉफी हाउस आने वालों को पहले थर्मल जांच से गुजरना पड़ेगा। शरीर का तापमान सामान्य पाए जाने पर ही अंदर प्रवेश करने दिया जाएगा। मास्क लगाकर आना अनिवार्य होगा।बिना मास्क वाले को घुसने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

कॉफी हाउस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक खाना-पीना जल्द सर्व किया जाएगा ताकि भीड़ बढ़ने न पाए। कॉफी हाउस फिलहाल सुबह 11:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहेगा। पहले इसके शाम 7:00 बजे तक खुले रहने की बात थी।

गौरतलब है कि कोलकाता नगर निगम के कर्मचारियों ने बुधवार को कॉफी हाउस के पूरे भवन को सैनिटाइज किया था। कॉफी हाउस गत 22 मार्च से ही बंद था। गुरुवार को पहले दिन यहां बहुत ज्यादा लोग नहीं देखे गए लेकिन प्रबंधन को उम्मीद है कि जैसे-जैसे लोगों को इसके फिर से खुलने की जानकारी होगी, यहां लोग आने शुरू हो जाएंगे क्योंकि यह कोलकाता के लोगों के साथ मिलकर बैठने, विभिन्न मसलों पर बातचीत करने व खाने-पीने की सबसे पसंदीदा जगहोंमें से एक है।

गौरतलब है कि इस समय यहां आस्कर जयी महान फिल्मकार सत्यजित राय, मृणाल सेन व ऋत्विक घटक से लेकर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन नियमित रूप रूप से आया करते थे। कुछ पुराने लोगों का यह भी कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी यहां आया करते थे।कॉफी हाउस की शुरुआत1942 में हुई थी। 

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