एक ऐसे कमांडेंट जिन्होंने सीमा पर बंद करवा दी गो तस्करी, जिनके डर से कांपते हैं तस्कर

पिछले एक वर्ष में बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ की 153वीं बटालियन के इलाके में नहीं सफल हुई तस्करी की एक भी घटना पहले गो तस्करी के लिए बंगाल में कुख्यात था यह इलाका बीएसएफ कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी जिन्होंने सीमा पर बंद करवा दी गो तस्करी।

By PRITI JHAEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 09:33 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 09:38 AM (IST)
एक ऐसे कमांडेंट जिन्होंने सीमा पर बंद करवा दी गो तस्करी, जिनके डर से कांपते हैं तस्कर
बीएसएफ कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी जिन्होंने सीमा पर बंद करवा दी गो तस्करी।

कोलकाता, राजीव कुमार झा। बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए गो तस्करी के मामले में सीबीआइ ने पिछले दिनों बीएसएफ के कमांडेंट सतीश कुमार को गिरफ्तार किया था। इस मामले में तस्करों से कथित सांठगांठ को लेकर कुमार के अलावा कई और बीएसएफ अधिकारी व कर्मी भी सीबीआइ के रडार पर हैं। इस प्रकरण से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की छवि भी थोड़ी धूमिल हुई है। लेकिन, बीएसएफ में ऐसे कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार अधिकारियों की भी कमी नहीं है, जो न सिर्फ तस्करी व सीमा अपराधों के खिलाफ मजबूती से लड़ रहे हैं, बल्कि इसे पूरी तरह रुकवा कर भी दिखा दिया।

हम बात कर रहे हैं ऐसे ही जांबाज़ अधिकारियों में शामिल बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत 153वीं बटालियन के कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी की। एक समय उनका इलाका गो तस्करी के लिए बंगाल में कुख्यात था। गोवंशीय पशुओं की इस क्षेत्र से बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में तस्करी की जाती थी। यहां बड़ी तादाद में सक्रिय तस्करों का पूरा साम्राज्य फलता फूलता था। लेकिन, मार्च 2019 में नेगी ने जब से इस बटालियन की कमान संभाली, क्षेत्र में तस्करी व घुसपैठ को खत्म करने की मुहिम छेड़ दी।वर्तमान में उनके क्षेत्र में गो तस्करी पूरी तरह से बंद हो गई है। यानी तस्करों की उन्होंने कमर तोड़ कर रख दी है।तस्कर अब उनके नाम सुनते ही डर से थरथर कांपते है। नेगी का दावा है कि पिछले एक वर्ष में इस इलाके से तस्करी की एक भी घटना सफल नहीं हुई है। यानी यहां गो तस्करी अब शून्य (नगण्य) हो गई है। यहां तक कि बड़ी संख्या में तस्करों व घुसपैठियों की धरपकड़ के साथ दर्जनों कुख्यात तस्करों को उन्होंने इलाका तक छुड़वा दिया।

1648 मवेशियों और अवैध रूप से सीमा पार करते 1337 लोगों को पकड़ा

आंकड़े बताते हैं कि नेगी के इस बटालियन की बागडोर संभालने के बाद से इस क्षेत्र से अब तक 1648 मवेशियों को जब्त करने के साथ 1337 लोगों को अवैध रूप से सीमा पार करते पकड़ा गया। इसमें बड़ी संख्या में तस्कर भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र से बड़े पैमाने पर सोने- चांदी व अन्य वस्तुओं को भी जब्त किया गया। यानी 2018 से अब तक कुल मिलाकर 8.67 करोड़ रुपये मूल्य से ज्यादा के तस्करी के सामानों को पकड़ा गया, जिससे तस्करों को भारी नुकसान हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कई पकड़े गए, तस्करों को जेल जाना पड़ा, जबकि बाकी को डर की वजह से इस इलाके से ही पलायन कर रोजी-रोटी कमाने के लिए निकलना पड़ा। आज स्थिति इतनी बदल गई है कि यहां की बॉर्डर पोस्टों के इलाके जैसे पानीतार, गोजाडांगा, गोवर्धा, कैजुरी और दोबिला के इलाके जो गो तस्करों से भरे पड़े थे, अब यहां से वे भाग चुके है। लिहाजा गो तस्करी का धंधा यहां मृतप्राय सी हो गई है। आज यहां के युवा तस्करी को छोड़ कर देश के विभिन्न भागों में सम्मानपूर्वक जीविकोपार्जन के लिए निकल पड़े हैं।

आसान नहीं था सफर, तस्करों की ओर से धमकियां भी मिलीं, पर नहीं की परवाह

बीएसएफ कमांडेंट नेगी बताते हैं कि जिस तरह से इस क्षेत्र में तस्करों ने अपनी जड़ें जमा ली थीं और तस्करी का धंधा दशकों से यहां फल-फूल रहा था, उसे रोकना इतना आसान नहीं था। उनके अनुसार, मार्च 2019 में जब उन्होंने इस बटालियन की कमान संभाली और तस्करी रोकने को सख्ती बरतनी शुरू की तो शुरुआत में तस्करों की ओर से अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न माध्यमों से उन्हें बार-बार धमकियां भी मिलीं। प्रलोभन देने की भी कोशिश की गई। हालांकि उन्होंने इन सब की कोई परवाह नहीं की।

उन्होंने इलाके में सक्रिय गो तस्करों व उसके दलालों की सूची तैयार की। इसके बाद उनकी धरपकड़ के लिए अभियान छेड़ा। फिर एक-एक कर शिकंजा कसना शुरू किया और कई कुख्यात तस्कर पकड़े गए। फलस्वरूप कार्रवाई के डर से तीन दर्जन से ज्यादा बाकी कुख्यात तस्करों को इलाके छोड़कर भागना पड़ा। उन्होंने बताया कि पहले इस इलाके के ज्यादातर लोग तस्करी व दलाली के धंधे से जुड़े थे, क्योंकि यह उनके लिए सबसे आसान काम व कमाई का जरिया था। कमांडेंट नेगी ने बताया कि उन्होंने बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाया। स्थानीय लोगों को बताया कि तस्करी जैसे गैर कानूनी कार्य ठीक बात नहीं है, इससे युवाओं का भविष्य खराब हो रहा है। बीएसएफ की इस अपील का भी असर हुआ।तस्करी रोकने में कुछ स्थानीय लोगों ने भी मदद की, जिससे हम तस्करों को पकड़ सके और यह अवैध धंधा बंद करा सके।‌

बीएसएफ डीआइजी भी बोले, इस क्षेत्र में पूरी तरह रुक गई है तस्करी

इधर, बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता व डीआइजी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने भी बताया कि 153वीं बटालियन ने बेहतरीन काम किया है और इस क्षेत्र में पिछले एक साल से ज्यादा समय से तस्करी पूरी तरह रुक गई है। उन्होंने कहा कि जहां पहले हर दिन सैकड़ों की संख्या में मवेशियों की तस्करी होती थी वहां अब महीने या दो महीने में कभी कभार एक-दो मवेशियों व अन्य सामानों की छोटी-मोटी तस्करी की कोशिश की जाती है, लेकिन हमारे मुस्तैद जवान उसे भी सफल नहीं होने देते। गुलेरिया ने साथ ही बताया कि हमारी कई और बटालियनों ने भी बहुत अच्छा काम किया है, जिसके फलस्वरूप दक्षिण बंगाल बॉर्डर इलाके में गो तस्करी बंद होने के साथ ही यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।

153 बटालियन के 32 किमी इलाके में से 20 किमी में अब तक नहीं लगी है फेंसिंग

गौरतलब है कि 153वीं बटालियन की जिम्मेवारी का बॉर्डर इलाका बेहद ही संवेदनशील है और इसकी सुरक्षा बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसका इलाका 32 किमी से अधिक है, लेकिन इनमें से अभी तक सिर्फ लगभग 12 किलोमीटर इलाके में ही फेंसिंग लग पाई है। शेष लगभग 20 किलोमीटर से भी अधिक की सीमा (बॉर्डर) बिना फेंसिंग के यानी पूरी तरह खुली है, जिसमें 10 ऐसे गांव हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा के एकदम नजदीक 150 गज के आसपास बसे हैं। यानी भारत- बांग्लादेश के लोगों के घर एक साथ हैं। ऐसे बॉर्डर को कंट्रोल करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि दोनों देशों के गांवों की समीपता है, जिसकी वजह से तस्करों और राष्ट्र विरोधी तत्वों को तस्करी व घुसपैठ की गतिविधियों को चलाने का अच्छा अवसर दिखता है, लेकिन ये अब बीते वक्त की बात हो गई है। बता दें कि 153वीं बटालियन का इलाका उत्तर 24 परगना जिले के अंतर्गत बॉर्डर पीलर नंबर-1 जिसे दक्षिण बंगाल बॉर्डर की अंतरराष्ट्रीय सीमा के जीरो प्वाइंट के नाम से भी जाना जाता है, से शुरू होकर बॉर्डर पीलर नंबर 11/4-एस तक है।

कमांडेट की पहल पर सीमावर्ती क्षेत्र के युवाओं का भविष्य संवारने को फ्री कोचिंग भी चलाई जा रही

कमांडेंट नेगी की दूरदर्शी सोच से बॉर्डर एरिया के अंतर्गत आने वाले युवाओं का भविष्य संवारने के लिए 153 बटालियन की ओर से फ्री कोचिंग भी चलाई जा रही है और देश की इस युवा शक्ति को शिक्षित कर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मिलिट्री, पैरा मिलिट्री, पुलिस, बैंकिंग, रेलवे, एसएससी द्वारा संचालित प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बॉर्डर आउट पोस्टों पर ही फ्री कोचिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे ये युवा शक्ति अपना करियर बना सकें और देशहित में योगदान दे सकें।बताते चलें कि बीएसएफ में 24 साल के अपने शानदार करियर में कमांडेंट नेगी को उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई प्रशस्ति पत्र, मेडल व पुरस्कार भी मिल चुके हैं। 

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