5th Phase Of Bengal Election: हाट सीट कमरहट्टी- माकपा को सीट पर कब्जा बरकरार रखना चुनौती, लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटी भाजपा
5th Phase of Bengal Election हाट सीट कमरहट्टी- माकपा से सीट छीनने के लिए टीएमसी ने लगाया जोर। लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटी भाजपा। उत्तर 24 परगना की कमरहट्टी विधानसभा सीट राज्य की महत्वपूर्ण सीटों में शामिल है। यह सीट शुरू से ही माकपा का गढ़ मानी जाती है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। उत्तर 24 परगना जिले की कमरहट्टी विधानसभा सीट राज्य की महत्वपूर्ण सीटों में शामिल है। यह सीट शुरू से ही माकपा का गढ़ मानी जाती है। पिछले कुछ वषरें में इस सीट पर बदले समीकरण ने हर एक दल के लिए जीत की राह को मुश्किल कर दिया है। इस बार के चुनाव में इस सीट को अपने पाले में करने के लिए टीएमसी ने पूरा जोर लगा दिया है। वहीं, दूसरी ओर बंगाल में तेजी से उभरी भाजपा इस सीट पर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटी है।
यहां तृणमूल कांग्रेस ने पूर्व मंत्री तथा कद्दावर नेता मदन मित्रा को मैदान में उतारा है। वहीं माकपा की ओर से यहां सायनदीप मित्र उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। यहां भाजपा ने राजू बनर्जी को मैदान में उतारा है। माकपा के सायनदीप मित्रा का कहना है कि कमरहट्टी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का व्यापक विकास हुआ है। लिहाजा यहां की जनता माकपा के साथ है। दूसरी ओर तृणमूल के मदन मित्रा का कहना है कि कमरहट्टी विधानसभा क्षेत्र में विकास के नाम कुछ नहीं हुआ है। लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इस बार के चुनाव में यहां के लोग इसका जवाब देंगे। वहीं भाजपा के राजू बनर्जी का कहना है कि इस विधानसभा क्षेत्र का न ही माकपा और न ही तृणमूल ने विकास किया है। पूरे राज्य में भगवा की लहर है। राज्य के लोग विकास चाहते हैं। लिहाजा कमरहट्टी सीट पर परिवर्तन तय है।
कमरहट्टी विधानसभा सीट पर वर्तमान में माकपा का कब्जा है। 2016 के विधानसभा चुनाव में माकपा के मानस मुखर्जी ने सत्ताधारी दल टीएमसी के मदन मित्रा को 4198 वोटों से हराया था। मानस मुखर्जी को यहां 62194 वोट मिले थे और मदन मित्रा को 57996 वोट हासिल हुए थे। वहीं, भाजपा यहां तीसरे नंबर पर रही थी, जिसके प्रत्याशी को करीब 11 हजार वोट मिले थे।
सीट का इतिहास
कमरहट्टी विधानसभा सीट पर पहले चुनाव से लेकर 2016 के बीच यहां सिर्फ एक बार कांग्रेस और एक बार तृणमूल कांग्रेस जीती है। इस सीट पर पहली बार साल 1967 में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले गए थे, जिसमें माकपा के प्रत्याशी को जीत मिली थी। इसके बाद हुए लगातार दो चुनावों में भी माकपा ने यहां जीत दर्ज की। इसके अलावा साल 1977 से लेकर 2006 के चुनाव तक लगातार माकपा के प्रत्याशियों को यहां जीत मिली।