आज भारत बंद, समर्थन में निकाला गया मशाल जुलूस
- माकपा और कांग्रेस ने अलग-अलग जगहों पर की सभा चाय बागान में ज्वाइंट फोरम ने की गेट मीटिंग
- माकपा और कांग्रेस ने अलग-अलग जगहों पर की सभा, चाय बागान में ज्वाइंट फोरम ने की गेट मीटिंग
जेएनएन, जलपाईगुड़ी/मालबाजार/चामुर्ची: देशव्यापी बंद को समर्थन बनाने के लिए माकपा और कांग्रेस पूरा दमखम लगा रही है। इस क्रम में बुधवार को भी बंद सफल बनाने के लिए माकपा समर्थक सड़क पर उतरे। यहां माकपा की ओर से मशाल जुलूस निकाला गया। इस दिन पोस्ट ऑफिस मोड़ से रैली शुरू होकर पूरे शहर का भ्रमण किया। फिर पीएम नरेंद्र मोदी का पुतला भी जलाया गया। प्रदर्शन के दौरान श्रमिक नेता जियाउल आलम, ध्रुवज्योति गांगुली, माकपा के संयोजक सलिल आचार्य समेत अन्य मौजूद थे।
वहीं मालबाजार में भी केंद्रीय श्रमिक संगठन द्वारा बुलाए गए भारत बंद के समर्थन में माकपा और कांग्रेस ने संयुक्त रैली निकाली। जो माकपा कार्यालय से शुरू होकर सुभाष मोड़, घड़ी मोड़, कैलटेक्स मोड़, बाजार रोड, पंपा हॉल होते हुए वापस घड़ी मोड़ के पास आकर समाप्त हुई। यहां एक पथसभा के दौरान वक्ताओं ने केंद्र व राज्य के जनविरोधी नीतियों पर जमकर हमला किया। एरिया कमेटी के महासचिव पार्थ दास ने कहा कि केंद्र सरकार एक के बाद एक जनविरोधी नीतियों को लागू करते जा रही है। इससे किसान, मजदूर व गरीब परिवारों का बुरा हाल है। राष्ट्रीय संपत्ति को बेच दिया जा रहा है। इस कारण अर्थव्यवस्था बिगड़ती जा रही है। बेरोजगारी चरम पर है। उक्त विषयों को लेकर ही भारत बंद बुलाया गया है। इसमें आम लोगों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।
भारत बंद के समर्थन में ज्वाइंट फोरम द्वारा गेट मीटिंग की गई। बुधवार को गेन्द्रापाड़ा चाय बागान में तृणमूल काग्रेस एवं भाजपा श्रमिक संगठन को छोड़कर दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों के ज्वाइंट फोरम द्वारा गेट मीटिंग किया गया। गेट मीटिंग में ज्वाइंट फोरम के शीर्ष नेता जियाउल आलम सहित कई नेतागण उपस्थित थे। श्रमिक नेता जियाउल आलम ने बताया 26 नवंबर को भारत बंद को सफल बनाने के लिए चाय बागान के श्रमिकों एवं आम लोगों से अपील की गई है। उन्होंने बताया कोरोनावायरस के साथ राजनीति का खेल हो रहा है। श्रमिकों से 8 घटे से बढ़ाकर 10 घटे काम कराने की कोशिश की जा रही है। न्यूनतम मजदूरी को लेकर अभी तक ठोस पहल नहीं होने से श्रमिकों में काफी असंतोष है। उन्होंने बताया वोट के समय ही न्यूनतम मजदूरी की बात उठती है ,वोट समाप्त होते ही न्यूनतम मजदूरी का मुद्दा गायब हो जाता है। अभी न्यूनतम मजदूरी के बदले अंतरिम व्यवस्था की बात कही जा रही है जिसका हम लोग घोर विरोध करते हैं। इस महंगाई के दौर में भी चाय बागान के श्रमिकों को दैनिक 176 रुपए मजदूरी मिल रही है। कोरोना को लेकर देश मे बेरोजगारी बढ़ा है। मनरेगा का कार्य भी केंद्र सरकार को एक सौ दिन से बढ़ाकर दो सौ दिन किया जाना चाहिए। ताकि लोगों को पर्याप्त रोजगार मिल सके। देश के राष्ट्रीय संपत्तियों को निजीकरण करने का कोशिशें हो रही है। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के विरोध में भारत बंद बुलाया गया है।