अस्पताल में भर्ती लिए बिना ही बच्चों को दे दी जा रही छुट्टी

- ग्राम पंचायत प्रधान ने अस्पताल के व्यवस्था पर उठाए सवाल जागरण संवाददाता जलपाईगुड़ी जिला अस्प

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 05:18 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 05:18 PM (IST)
अस्पताल में भर्ती लिए बिना ही बच्चों को दे दी जा रही छुट्टी
अस्पताल में भर्ती लिए बिना ही बच्चों को दे दी जा रही छुट्टी

- ग्राम पंचायत प्रधान ने अस्पताल के व्यवस्था पर उठाए सवाल

जागरण संवाददाता, जलपाईगुड़ी: जिला अस्पताल में बुखार, सांस लेने में तकलीफ की शिकायत लेकर आने वाले बच्चों को आपातकालीन विभाग में भर्ती लिया जाता है, लेकिन वार्ड में कार्यरत चिकित्सकों के निर्देश पर वापस बच्चों को छुट्टी दे दी जाती है। वहीं विशेषज्ञ टीम ने चिकित्साधीन बच्चों की सभी प्रकार की रक्त जांच करने का निर्देश दिया था, परंतु उसे भी नहीं माना जा रहा है।

बुधवार रात को नौ बजे के करीब जलपाईगुड़ी सदर ब्लॉक के डेंगुआझार चाय बागान अस्पताल से बुखार से पीड़ित तीन वर्षीय आसिक भूइंया और पांच वर्षीय परिमा बराइक को जलपाईगुड़ी जिला अस्पताल भेजा गया था। दोनों बच्चों को कान में दर्द की भी शिकायत थी। फिर आपातकालीन विभाग में कार्यरत चिकित्सक ने दोनों बच्चों को इएनटी विभाग में भर्ती करने का निर्देश दिया। कुछ देर बाद दवा लिखकर दोनों बच्चों को वापस ले जाने के लिए कहा गया, परंतु डिस्चार्ज की कोई सर्टिफिकेट नहीं दी गई।

बच्ची की मां रजनी बराइक ने कहा कि काम करके जब घर लौटी तो बेटी को काफी बुखार था। कान भी दर्द हो रही थी। इसके बाद बागान एंबुलेंस से जलपाईगुड़ी भेजा गया। लेकिन बिना इलाज के लिए उसे छुट्टी दे दी गई।

इलाके के ग्राम पंचायत प्रधान प्रधान हेमब्रम ने कहा कि इस प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिला अस्पताल और जलपाईगुड़ी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था टूट गई है। अस्पताल में किसी प्रकार इलाज नहीं हो रही है। हर बात पर मरीजों को केवल रेफर कर दिया जा रह है। वहीं कार्यरत चिकित्सकों की माने तो मामूली कान दर्द होने के कारण ही बच्चों को छुट्टी दे दी गई थी।

गुरुवार को ही अस्पताल के आउटडोर में बच्चों का इलाज कराने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। अस्पताल के शिशु विभाग में फिलहाल 137 बच्चे चिकित्साधीन हैं। रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन विजय चंद्र बर्मन ने कहा कि डरने की कोई बात नहीं है। मरीजों को सभी प्रकार की सुविधाएं दी जा रही है। सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने पर बच्चों को उत्तर बंगाल मेडिकल रेफर कर दिया जा रहा है।

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