देश के घरेलू व्यापार को 12 लाख करोड़ का घाटा

जागरण संवाददाता आसनसोल कोरोना वायरस के प्रकोप से पिछले 45 दिनों में भारत के घरेलू व्या

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 10:50 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 11:00 PM (IST)
देश के घरेलू व्यापार को 12 लाख करोड़ का घाटा
देश के घरेलू व्यापार को 12 लाख करोड़ का घाटा

जागरण संवाददाता, आसनसोल : कोरोना वायरस के प्रकोप से पिछले 45 दिनों में भारत के घरेलू व्यापार को 12 लाख करोड़ रुपये का व्यापार घाटा हुआ है। जब लॉकडाउन वापस लिया जाएगा तब व्यापारियों को अपने व्यापार को दोबारा खड़ा करना बेहद मुश्किल होगा। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) के बंगाल चैप्टर अध्यक्ष सुभाष अग्रवाल ने यह आंकडे जारी करते हुए कहा कि देश का व्यापार बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है। कोरोना की दूसरी लहर ने व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी है।

देश में लगभग 8 करोड़ छोटे बड़े व्यापारी हैं जो देश के घरेलू व्यापार को चलाते हैं। 12 लाख करोड़ के व्यापारिक नुकसान में खुदरा व्यापार में लगभग 7.50 लाख करोड़ रुपये और थोक व्यापार में लगभग 4.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में बाजार शुरुआती दिनों में खुले थे और बाद में कुछ घंटों के लिए आंशिक रूप से खुले थे, वहां ग्राहकों की बहुत कम भीड़ थी। क्योंकि लोग डर के कारण आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी को छोड़कर बाजारों में जाने से बच रहे थे। उन्होंने कहा कि देखा गया है कि प्रत्येक राज्य में कोविड दिशा-निर्देशों में प्रतिबंधों के बावजूद विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियां गैर-जरूरी वस्तुओं की बिक्री और वितरण में लगी हुई हैं और किसी भी राज्य ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है। जिसका कड़ा विरोध कैट एवं देश के व्यापारियों ने किया है। सुभाष अग्रवाल ने कहा कि कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है कि लॉकडाउन हटने पर व्यापारियों को उनकी व्यावसायिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए एक वित्तीय पैकेज दिया जाए। व्यापारियों की जिम्मेदारी केवल केंद्र सरकार की नहीं है बल्कि राज्य सरकारें भी अपने-अपने राज्यों के व्यापारियों के लिए उत्तरदायी हैं। इसके लिए सरकार को जीएसटी, आयकर और टीडीएस के तहत सभी की वैधानिक तिथियों को कम से कम 31 अगस्त, 2021 तक के लिए स्थगित कर देना चाहिए। इसके अलावा बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को व्यापारियों को आसान तरीके से और रियायती ब्याज दर पर ऋण देने का निर्देश दिया जाए। डिजिटल भुगतान करने पर बैंक शुल्क माफ किया जाना चाहिए।

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