पीपल्स थिएटर के नाटक का हुआ मंचन

जागरण संवाददातासिलीगुड़ी पश्चिम बंग हिंदी अकादमी द्वारा आयोजित प्रथम राष्ट्रीय हिंदी नाट्य उत्सव के द

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 09:52 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 09:52 PM (IST)
पीपल्स थिएटर के नाटक का हुआ मंचन
पीपल्स थिएटर के नाटक का हुआ मंचन

जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी: पश्चिम बंग हिंदी अकादमी द्वारा आयोजित प्रथम राष्ट्रीय हिंदी नाट्य उत्सव के दूसरे दिन दिल्ली के पीपल्स थिएटर द्वारा मंचित नाटक हानूश का सार्थक मंचन किया गया। अकादमी के कला संकाय की संयोजक उमा झुनझुनवाला ने कहा मानव संस्कृति संघर्ष से जुड़ी है इसीलिए हमारी संस्कृति में क्रीड़ा और मनोरंजन की प्रवृत्ति शामिल है रंगमंच रचना कर्म और क्रियाओं के अभिनय द्वारा लोक के सामाजिक पक्ष को व्यक्त करता है और उपदेश देता है। नाटक का संबंध जीवन से होता है और इसीलिए यह हमारी वास्तविकता का परिद्योतक होता है। फिल्मों में सपने बेचे जाते हैं, जबकि नाटक में जीवन दिखाया जाता है। अकादमी के सदस्य प्रोफेसर डॉ अजय कुमार साव ने कहा कि हानूश धर्म, व्यापार और सत्ता के मकड़जाल में फंसे सर्जक की विडंबनाओं का जीवंत दस्तावेज है। सत्ता एक ओर धाíमक ठेकेदारों को संतुष्ट करती है, तो दूसरी ओर व्यापारी वर्ग के बिना स्वयं को पंगु महसूस करने के कारण व्यापारी समाज को भी प्रसन्न रखना चाहती है और ऐसे में मौलिक सोच और सृजन की चेतना लिए सर्जक के साथ त्रिकोणीय खेल चलता रहता है। सृजन चेतना कहीं ना कहीं प्रताड़ित होती है। वर्तमान दौर ऐसा है कि यदि कोई सोच, सृजन सत्ता के विरुद्ध जाए तो उसे प्रस्तुत करने के पहले कई-कई बार अंजाने दहशत से हमें गुजारना पड़ता है। आत्मघाती सवालों का सामना कितना दर्दनाक हो सकता है और साथ ही विडंबनात्मक, इसी का प्रत्यक्ष प्रमाण है नाटक हानूश। निर्देशक निलॉय रॉय का परिचय देते हुए अकादमी के सदस्य डॉ मजीद मिया ने कहा कि रॉय जी थिएटर के माध्यम से संवेदनशीलता को चित्रित करने वाले युवा निर्देशकों में से एक हैं। निर्देशक निलय रॉय का एक नाटककार के रूप में 50 से अधिक नाटकों के लेखक के साथ-साथ अभिनेता और निर्देशक के रूप में भी योगदान रहा है। उन्होंने निसंदेह समकालीन विश्व रंगमंच में बंगला, हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी नाटकों के लेखक, निर्देशक और अनुवादक के साथ प्रगतिशील थिएटर डिजाइन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान किया है। 46 से अधिक नाटक लिखे हैं, जिनमे से कुछ का अनुवाद विभिन्न भाषाओं में भी किया जा चुका है। इस अवसर पर दमामा नाट्य संस्था के निर्देशक पार्थो चौधरी, अकादमी के सदस्य डॉ ओम प्रकाश पाडेय, डॉ मनोज विश्वकर्मा, डॉक्टर पूनम सिंह, डॉक्टर मुन्नालाल प्रसाद के साथ साहित्यकार, बुद्धिजीवी एवं रंगकर्मी बंधु उपस्थित रहे।

chat bot
आपका साथी