West Bengal: विशिष्ट भौगोलिक पहचान का लाभ न उठा पाने से चाय निर्यात मंदा

भारतीय चाय निर्यातक संघ ने कहा कि हमने दार्जिलिंग चाय की विशिष्ट भौगोलिक पहचान का इस्तेमाल कानून लड़ाई और खरीदारों को धमकाने में किया है जबकि समय की मांग कोलम्बियाई कॉफी की तर्ज पर धन लगा कर भारतीय चाय को प्रोत्साहन देने की है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 08:59 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 08:59 AM (IST)
West Bengal: विशिष्ट भौगोलिक पहचान का लाभ न उठा पाने से चाय निर्यात मंदा
विशिष्ट भौगोलिक पहचान का लाभ न उठा पाने से चाय निर्यात मंदा

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। चाय व्यापारियों और बागान मालिकों का मानना है कि उत्पाद में विविधता की कमी और विशिष्ट भौगोलिक पहचान फायदा न उठा पाने में विफलता जैसे कारणों से भारतीय चाय निर्यात में सुस्ती है। उनका कहना है कि श्रीलंका विपणन का ठोस प्रयास कर भारत से आगे निकल रहा है।

भारतीय चाय निर्यातक संघ के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया ने कहा कि हमने दार्जिलिंग चाय की विशिष्ट भौगोलिक पहचान का इस्तेमाल कानून लड़ाई और खरीदारों को धमकाने में किया है जबकि समय की मांग कोलम्बियाई कॉफी की तर्ज पर धन लगा कर भारतीय चाय को प्रोत्साहन देने की है। उन्होंने कहा कि भारतीय सीटीसी चाय अफ़्रीकी चाय मुकाबले महंगी है। जिसके कारण निर्यात बाजार में भारत को 1.6 करोड़ किलो का नुकसान हुआ है।

भारतीय चाय संघ (आइटीए) के सचिव सुजीत पात्रा ने कहा कि निर्यात बाजार में भौगोलिक पहचान के नियम लागू कराना जरूरी है। लेकिन उतना ही जरूरी उन बाजारों में भारतीय चाय के लोगो का पंजीकरण कराया जाना और उसका प्रचार करना भी है।

उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर एक वर्ष में 85 लाख किलो दार्जलिंग चाय का उत्पादन होता है। लेकिन वैश्विक स्तर पर पांच करोड़ किलो चाय की बिक्री दार्जलिंग चाय के नाम से हो गई । यह विशिष्ट भौगोलिक पहचान के नियम का उल्लघंन हैं। नियमों को सही तरह से लागू किया जाना चाहिए और विदेशों में प्रामाणिक दार्जिलिंग चाय की जांच के लिए एक तंत्र की आवश्यकता है। दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के प्रमुख सलाहकार संदीप मुखर्जी ने कहा कि नेपाल की चाय भी घरेलू और अंतराष्ट्रीय बाजारों में दार्जलिंग चाय के नाम से बेची जा रही है।

chat bot
आपका साथी