तर्पण पर विशेष
मेरे पिताजी स्व. सागरमल अग्रवाल खुली विचारधारा के व्यक्ति थे। उन्होंने लड़के और लड़की में कि
मेरे पिताजी स्व. सागरमल अग्रवाल खुली विचारधारा के व्यक्ति थे। उन्होंने लड़के और लड़की में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया। जितना वे हमारी शिक्षा पर ध्यान देते थे उतना ही ध्यान अपनी बेटियों की शिक्षा पर देते थे। हमेशा लड़कियों की शिक्षा के पक्षधर रहे। यही कारण है कि उस जमाने में मेरी बहनों ने कॉलेज तक की पढ़ाई पूरी की थी। पिताजी हमेशा उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे। उनकी यही बात मुझे भी प्रेरित करती है। आज मेरी तीन पोतियां है और मैं हमेशा उन्हें पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहता हूं। आज हम उनके द्वारा बताए पथ पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। यही एक सच्चा तर्पण है।
सुपुत्र अशोक अग्रवाल -------------- मेरे पिताजी स्व. सागरमल अग्रवाल खुली विचारधारा के व्यक्ति थे। उन्होंने लड़के और लड़की में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया। जितना वे हमारी शिक्षा पर ध्यान देते थे उतना ही ध्यान अपनी बेटियों की शिक्षा पर देते थे। हमेशा लड़कियों की शिक्षा के पक्षधर रहे। यही कारण है कि उस जमाने में मेरी बहनों ने कॉलेज तक की पढ़ाई पूरी की थी। पिताजी हमेशा उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे। उनकी यही बात मुझे भी प्रेरित करती है। आज मेरी तीन पोतियां है और मैं हमेशा उन्हें पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहता हूं। आज हम उनके द्वारा बताए पथ पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। यही एक सच्चा तर्पण है।
सुपुत्र अशोक अग्रवाल
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मेरे पिताजी स्व. सागरमल अग्रवाल खुली विचारधारा के व्यक्ति थे। उन्होंने लड़के और लड़की में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया। जितना वे हमारी शिक्षा पर ध्यान देते थे उतना ही ध्यान अपनी बेटियों की शिक्षा पर देते थे। हमेशा लड़कियों की शिक्षा के पक्षधर रहे। यही कारण है कि उस जमाने में मेरी बहनों ने कॉलेज तक की पढ़ाई पूरी की थी। पिताजी हमेशा उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे। उनकी यही बात मुझे भी प्रेरित करती है। आज मेरी तीन पोतियां है और मैं हमेशा उन्हें पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहता हूं। आज हम उनके द्वारा बताए पथ पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। यही एक सच्चा तर्पण है।
सुपुत्र अशोक अग्रवाल