मधुमेह को ना ले हल्के में : डॉ. समर्थ अग्रवाल
कहा संयमित जीवन से ही पा सकते है इससे मुक्ति -18 वर्ष की आयु में भी लग सकता है यह रोग
कहा, संयमित जीवन से ही पा सकते है इससे मुक्ति
-18 वर्ष की आयु में भी लग सकता है यह रोग
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : मधुमेह को हल्के में लेने की गलती न करें। इससे काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह कहना है चिकित्सक समर्थ अग्रवाल का। वे कोरोना काल में स्वास्थ्य जागरुकता शिविर के दौरान उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि 18 साल में इस बीमारी का लक्षण शुरू होने लगता है, 30 वर्ष तक आते-आते दवा लेने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
इन बातों का रखना होगा विशेष ध्यान
खाने में फास्ट व जंक फूड की आदत कों शामिल ना करें। जितना हो सके साधारण खाना खाएं। रोग के शुरूआती लक्षणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्यास अधिक लगना, बार-बार पेशाब आना। ऐसी स्थिति आने पर रक्त की जाच कराकर चिकित्सक से सलाह लें। मधुमेह में सीधा अर्थ है रक्त में शर्करा की मात्रा का बढ़ जाना, इससे रक्त गाढ़ा हो जाता है और रक्त का संचालन शरीर में सही ढंग से नहीं हो पाता है।
कई अंगों पर करता है प्रभाव
यह पहले सूक्ष्म अंगों को क्षतिग्रस्त करता है। आख, किडनी व हर्ट इससे प्रभावित होता है। अग्नाश्य में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। इससे रक्त में उपलब्ध शर्करा की मात्रा को कोशिका सोख नहीं पाता है और रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। विश्व में जितने भी मधुमेह के मरीज है,उनमें 40 फीसद सिर्फ भारत में ही है। उत्तर बंगाल में इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है।
सुबह टहलना और शारीरिक व्यायाम है फायदेमंद
इनकी रोकथाम के लिए दवाओं के साथ फल का उपयोग निश्चित रूप से करना चाहिए। अहले सुबह टहलने निश्चित रूप से जाना चाहिए। मुख्य रूप से खान-पान पर नियंत्रण होना चाहिए। डाक्टर कौशिक भट्टाचार्य ने कहा कि आजकल के नवयुवकों को सुबह टहलने के साथ-साथ खेल-कूद में भी भाग लेना चाहिए। वही आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पत्ते इस रोग में अत्यंत लाभकारी है। मानसिक तनाव भी एक कारण हो सकता है। हमेशा खुशमिजाज रहें।