एसयूसीआई ने किया अलग राज्य का विरोध
गरमाई सियासत -चुनाव मे हार के बाद भाजपा में काफी बौखलाहट -बंगाल बंटवारे की किसी भी का
गरमाई सियासत
-चुनाव मे हार के बाद भाजपा में काफी बौखलाहट
-बंगाल बंटवारे की किसी भी कोशिश का होगा विरोध
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल को केंद्र शासित प्रदेश अथवा अलग राज्य बनाए जाने की माग का सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (एसयूसीआई-कम्युनिस्ट) ने विरोध जताया है। इसकी पश्चिम बंगाल राज्य कमेटी के सचिव चंडीदास भट्टाचार्य ने इस बाबत एक विज्ञप्ति जारी की है। इसके द्वारा उन्होंने उत्तर बंगाल को केंद्र शासित प्रदेश अथवा अलग राज्य बनाए जाने की माग, प्रयास अथवा कवायद की घोर निंदा की है। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी हार से बौखलाई भाजपा अब उत्तर बंगाल को पश्चिम बंगाल से अलग करके एक अलग केंद्र शासित प्रदेश अथवा अलग राज्य बनाने की साजिश कर रही है। हम इस प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी अपने देश में स्वदेशी आदोलन के युग में अविभाजित बंगाल की संघर्षरत परंपरा और गौरवशाली इतिहास को गर्व से याद करते हैं। देश की आजादी के समय गौरवशाली बंगाल को एक तरफ ब्रिटिश षडयंत्र से और दूसरी तरफ काग्रेस, हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग के षडयंत्र से विभाजित होना पड़ा था - जिसके जख्म हमें आज भी भुगतने पड़ रहे हैं। फिर, 1956 में, स्वतंत्र भारत की काग्रेस सरकार ने बंगाल-बिहार विलय के माध्यम से बंगाल के गौरवशाली अस्तित्व को खतरे में डालने का एक घिनौना प्रयास किया, जिसे बंगाल के लोगों ने एक साल से अधिक समय तक बड़े पैमाने पर जन आदोलन के माध्यम से रोका। इधर, गोरखालैंड के नाम पर पश्चिम बंगाल को बाटने की कई कोशिशें हुईं, जिन्हें पश्चिम बंगाल की जनता स्वीकार नहीं कर पाई। अभी भी कई अलगाववादी ताकतें और राजनीतिक दल अपने प्रभाव के लिए या सत्ता हथियाने के नापाक हित में हैं और अलगाव को हवा दे रहे हैं। धर्म, जाति, भाषा, भूगोल, पहाड़ व मैदानी इलाकों आदि के नाम पर लोगों की एकता को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। वर्तमान में यदि शासक वर्ग के हितों की रक्षा के लिए किसी भी बहाने से बंगाल को बाटने का कोई षडयंत्र होता है तो हम पूरी ताकत से उसका विरोध करने का संकल्प लेते हैं। साथ ही मैं लोगों से पूरे भारत की एकता और एकजुटता की रक्षा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल की संघर्षरत विरासत, गौरवशाली संस्कृति और भौगोलिक अखंडता को बनाए रखने के लिए आगे आने का आग्रह करता हूं। बंगाल बंटवारे की किसी भी कोशिश का विरोध होगा।