जीना चाहती है मां,तस्वीर पर माला चढ़ाना चाहते हैं बेटे

-करोड़ों की संपत्ति पर बेटों ने किया कब्जा -सहारे के लिए दर-दर की ठोकर खा रही है वृद्धा

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 09:42 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 09:42 PM (IST)
जीना चाहती है मां,तस्वीर पर माला चढ़ाना चाहते हैं बेटे
जीना चाहती है मां,तस्वीर पर माला चढ़ाना चाहते हैं बेटे

-करोड़ों की संपत्ति पर बेटों ने किया कब्जा

-सहारे के लिए दर-दर की ठोकर खा रही है वृद्धा

-परेशान होकर एसडीओ से लगाई मदद की गुहार शर्मनाक

-सभी बेटे रुपये-पैसे के मामले में काफी अमीर हैं

-पति भी करोड़ों रुपये की संपत्ति छोड़कर गए हैं

-पिछले एक साल से छोटी बेटी कर रही है मदद मोहन झा, सिलीगुड़ी : कहते हैं बच्चे कितने भी और कैसे भी हों, माता-पिता सभी का भरण-पोषण करते हैं। लेकिन सभी बच्चे मिलकर भी वृद्ध माता-पिता का पेट नहीं भर सकते हैं। इस कहावत को स्वर्गीय भुवनेश्वर प्रसाद जायसवाल के छह बेटों ने चरितार्थ किया है। धनाढ्य बेटों के साथ बहू और पोते-पोतियों से हंसते-खेलते परिवार की वृद्ध मां को अपना गुजारा करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। 80 वर्ष पार कर जीवन जीने के लिए मां व्याकुल है। वहीं धनाढ्य बेटे और बहुएं उनकी तस्वीर पर माला चढ़ाने को व्याकुल हैं।

दर्द भरी यह कहानी सिलीगुड़ी के विधान मार्केट निवासी शहर के गरिमावान व्यापारियों में से एक स्वर्गीय भुवनेश्वर प्रसाद जायसवाल के परिवार की है। अपने जमाने में भुवनेश्वर प्रसाद शहर के नामचीन व्यापारी थे। वर्ष 2019 में उनकी मौत हो गई। वे अपने पीछे अपनी पत्नी उर्मिला देवी जायसवाल, सात बेटे, दो बेटी व नाती-पोतों से हंसता-खेलता परिवार छोड़ गए। उनके स्वर्ग सिधारते ही मानो उनकी विधवा उर्मिला देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उर्मिला देवी अब दाने-दाने को मोहताज हैं। जबकि उनके पति करोड़ों रुपये की संपत्ति छोड़ गए हैं। जीवन के अंतिम पड़ाव में रोगों से ग्रसित उर्मिला देवी जीने के मौलिक व नैतिक अधिकार की मांग को लेकर सिलीगुड़ी के एसडीओ की शरण में पहुंची हैं।

मिली जानकारी के अनुसार विधान मार्केट में स्वर्गीय भुवनेश्वर प्रसाद ने अपनी पत्नी के नाम पर उर्मिला निवास बनाया था। भुवनेश्वर प्रसाद अपने पूरे परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर यहीं से अंतिम यात्रा पर निकले। स्वर्गीय भुवनेश्वर प्रसाद के सात बेटे और दो बेटिया थी। सभी की शादी हो चुकी है, बल्कि नाती-पोतों से परिवार भरा हुआ है। पिछले वर्ष एक बेटे की मौत हो गई। भुवनेश्वर प्रसाद के दो बेटे पड़ोसी देश बांग्लादेश में बस गए हैं। जबकि बांकी चार बेटे, पांच बहुएं और उनका परिवार उर्मिला निवास में ही रहता है। इन चार बेटों में से किसी का आयात-निर्यात, तो किसी का हेल्थ केयर, किसी का बर्तन तो किसी के चप्पल-जूता के होलसेल का कारोबार है। बेटे-बहू और पोते-पोती कीमती गाड़ियों में घूमते हैं, जबकि उर्मिला देवी दो वक्त शांति से भोजन और इलाज को तरस रही हैं।

मां की दयनीय हालत देखकर छोटी बेटी रेखा गुप्ता पिछले एक साल से मां की सेवा कर रही हैं। यहां बताते चलें कि शादी के बाद से रेखा अपने पति व परिवार के साथ हैदराबाद में रहती थी। उनकी भी एक छोटी सी बेटी है। उर्मिला देवी बिना सहारे के नहीं चल सकती हैं। बल्कि नित्यकर्म के लिए भी उन्हें एक व्यक्ति की आवश्यकता है। ऐसे वृद्ध मां को चार बेटों ने सबसे उपरी मंजिल पर रखा है। जबकि भू-तल पर पर्याप्त व्यवस्था है। जिन बेटों को नौ महीने कोख में रखने के बाद सीने से लगाकर पाला था, आज उन्हीं बेटों ने मां के बाथरूम का गीजर और बेसिन तक खुलवा दिया।

दाना-पानी और दवाई के लिए चारों बेटे प्रति महीने मात्र चार हजार रुपए उर्मिला देवी को गुजारा के लिए देते हैं। जबिक विधान मार्केट स्थित उर्मिला निवास ही चालीस करोड़ रुपए की होगी। बल्कि इस भवन के भूतल का कमरा भी कामर्शियल है। सुनवाई में नहीं आए बेटे

बेटे-बहुओं की दरिदगी से तंग आकर उर्मिला देवी ने सिलीगुड़ी के एसडीओ न्याय की गुहार लगाई। शुक्रवार को सिलीगुड़ी के एसडीओ पाटिल श्रीनिवास वेंकटराव ने महिला की दर्द भरी कहानी सामने बैठ कर सुनी। उन्होंने मामले की सुनवाई के लिए उर्मिला निवास में रह रहे उनके चार बेटों को भी बुलाया था, लेकिन कोई हाजिर नहीं हुए। अंत में एसडीओ ने मेंटिनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजेन एक्ट-2007 की धारा 4, 5, 22, 23 और 24 के तहत मामला दर्ज किया है। साथ ही उर्मिला निवास व उर्मिला देवी के नाम पर स्वर्गीय भुवनेश्वर प्रसाद द्वारा छोड़ गए चल और अचल सभी संपत्ति का वास्तविक मालिकाना सौंपने की बात कही है। संपत्ति के कागजातों की जांच और रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश सिलीगुड़ी पुलिस और महकमा शासक कार्यालय के अधिकारियों को दिया है। उर्मिला देवी ने इस फैसले पर खुशी प्रकट की है। क्या कहती हैं उर्मिला देवी

उर्मिला देवी ने बताया कि वे स्वयं चल-फिर नहीं सकती हैं। बल्कि नित्य-कर्म के लिए भी उन्हें सहारे की जरुरत हैं। ऐसी स्थिति में भी उनके धनाढ्य बेटे और बहुएं उनका ख्याल नहीं रखती हैं। उनके शरीर में काफी दर्द रहता है। डॉक्टर ने गर्म पानी से नहाने की सलाह दी है। जबकि उनके बेटों ने बाथरुम से गीजर तक हटा दिया है। अब वे गैस पर पानी गर्म कर नहाने को मजबूर हैं। बीते एक वर्ष से उनकी छोटी बेटी मदद कर रही है,नहीं तो तो अब तक मर चुकी होती।

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