खेल खतम, पैसा हजम, व्यापारी बेहाल, दलाल मालामाल

सुपर मार्केट सुपर घोटाला- -20 वर्ष पहले एडवांस रकम जमा कराने के बावजूद व्यापारी को अब तक

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 09:55 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 09:55 PM (IST)
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सुपर मार्केट : सुपर घोटाला-5 -20 वर्ष पहले एडवांस रकम जमा कराने के बावजूद व्यापारी को अब तक नहीं मुहैया कराया गया स्टॉल का स्थान

-सूची में भी आया था नाम, 99 नंबर स्टॉल दर्शाया गया लेकिन दिया नहीं गया

-दर-दर की खाक छानते व ठोकर खाते-खाते हाल बेहाल, बेटी ने भी अवसाद में कर ली आत्महत्या

-अनेक आवेदन, अनेक सवाल, पर कभी भी कोई जवाब नहीं मिला, केवल दुत्कार ही दुत्कार मोहन झा, सिलीगुड़ी : सुपर मार्केट में घोटाला इतने चरम पर पहुंच गया है कि सिलीगुड़ी रेग्युलेटेड मार्केट कमेटी बस नाम मात्र की वैधानिक संस्था रह गई है। उसकी जगह मंडी में राज दलालों का कायम हो गया है। कमेटी पर दलाल राज इतना हावी है कि 20 वर्ष पहले स्टॉल के लिए एडवांस रकम जमा कराने के बाद भी व्यापारी को अब तक स्थान मुहैया नहीं कराया गया है। जबकि, स्टॉलों का निर्माण आवंटन से अधिक कराया जा चुका है।

मिली जानकारी के अनुसार शहर के महाबीर स्थान व आलू पंट्टी के व्यापारियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया, मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) के तहत सिलीगुड़ी रेग्युलेटेड मार्केट में वर्ष 2000 में शुरू हुई। इसी क्रम में मेसर्स गणेश पोटैटो नामक कंपनी के मालिक निर्मल सेन ने नियमानुसार पोटैटो ऑनियन मर्चेट्स एसोसिएशन के मार्फत स्टॉल के लिए एडवांस 25 हजार की रकम सिलीगुड़ी रेग्युलेटेड मार्केट में जमा कराई, जिसकी उनके पास रसीद भी है। मगर, 20 वर्ष बाद भी, अब तक मार्केट प्रबंधन ने निर्मल सेन को स्टॉल मुहैया नहीं करा सका है। जबकि, सिलीगुड़ी रेगयुलेटेड मार्केट के आलू-प्याज कंप्लेक्स में आवंटित 97 की जगह 101 स्टॉल बना कर बांट भी दिए गए।

दस्तावेजों से प्राप्त जानकारी के अनुसार महाबीर स्थान आलू पंट्टी के व्यापारियों के लिए रेग्युलेटेड मार्केट में दो चरण में 97 स्टॉल बनाए जाने थे। उनमें एक निर्मल सेन का स्टॉल भी शामिल था। वर्ष 2002-03 में प्रथम चरण में 53 स्टॉल के लिए व्यापारियों को स्थान आवंटित किया गया। जहां, व्यापारियों ने नियमानुसार जी प्लस वन इमारत अपने खर्च पर खड़ी की। उन व्यापारियों को वर्ष 2008 के सितंबर महीने में एग्रीमेंट भी मुहैया करा दिया गया। उसके बाद वर्ष 2011 के 11 मई को दूसरे चरण की आवंटन की प्रक्रिया शुरु हुई। 54 से 97 नंबर तक स्टॉल बनाने के लिए व्यापारियों को स्थान आवंटित किया गया। उसका भी एग्रीमेंट व्यापारियों को 18 मई 2011 तक प्रदान कर दिया गया। उसके मुख्य गवाह के तौर पर मार्केट कमेटी के तत्कालीन हेड क्लर्क समीरन चटर्जी ने एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर भी किया है।

मगर, अहम बात यह है कि आलू-प्याज कंप्लेक्स में दो चरण के तहत स्टॉलों के आवंटन और निर्माण प्रक्रिया में कलकत्ता हाई कोर्ट के दिशा-निर्देशों को ताक पर रख दिया गया। वहां, पार्किग एरिया में स्टॉल निर्माण प्रक्रिया के खिलाफ दाखिल याचिका पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने 24 दिसंबर 2010 को ही पूरे मार्केट कंप्लेक्स पर स्टे जारी किया था, जो 8 जनवरी 2015 को मामला खारिज होने तक जारी रहा। स्टे के बावजूद कुछ भी नहीं रुका और घोटाला चलता रहा।

घोटाले की कड़ी यहीं समाप्त नहीं हुई। वर्ष 2018 के दिसंबर में तत्कालीन मार्केट सचिव देव ज्योति सरकार ने दूसरे चरण में आवंटित 44 के स्थान पर पर 48 स्टॉल निर्माण का निर्देश जारी किया। दलाल राज के साथ सांठ-गांठ कर मार्केट प्रबंधन ने 98 से लेकर 101 कुल चार स्टॉल अवैध रूप में खड़ा कराया। कुल दो चरण में 97 स्टॉल और अतिरिक्त चार स्टॉल, कुल 101 स्टॉल बना कर बांट दिए गए पर 20 साल से बाट जोह रहे आवेदक निर्मल सेन फिर भी बाट ही जोहते रह गए।

इस बारे में निर्मल सेन ने बताया कि 14 जुलाई 2000 को उन्होंने 25 हजार रुपए एडवांस रकम सिलीगुड़ी रेग्युलेटेड मार्केट कमेटी के कार्यालय में जमा कराया। उसकी रसीद (संख्या-2090) भी उनके पास सुरक्षित है। उसमें यह स्पष्ट है कि तीन जुलाई को तैयार की गई तालिका के मुताबिक उनसे एडवांस रकम ली गई है। मगर, रुपये लेकर भी स्टॉल नहीं दिया गया। इसका उन्होंने जब-जब कारण जानना चाहा तब-तब दुत्कारे ही गए। उन्होंने दूसरे चरण में स्टॉल की निर्माण प्रक्रिया शुरू होते ही चार बार तत्कालीन सचिव देव ज्योति सरकार से मुलाकात कर लिखित रूप में स्टॉल प्रदान करने की याचिका की। देव ज्योति सरकार का तबादला होने के बाद मार्केट सचिव बने अनिल शर्मा के समक्ष छह बार आवेदन किया। तब, अनिल शर्मा ने छह जून 2019 को मेमो नंबर 230 (4) एसआरएमसी के तहत आलू-प्याज मर्चेट्स एसोसिएशन को पत्र देकर स्पष्टीकरण मांगा कि 28 फरवरी 2000 को हुए एमओयू के परिप्रेक्ष्य में, 16 मार्च 2018 को कार्यालय में जमा कराई गई दूसरे चरण की तालिका में स्टॉल नंबर-99 निर्मल सेन के नाम पर आवंटित दर्शाई गई है तो उन्हें स्टॉल व एग्रीमेंट क्यों नहीं दिया गया? पर, उसका कोई जवाब एसोसिएशन ने नहीं दिया। इधर, अब भी निर्मल सेन स्टॉल की आस में दर-दर की खाक छान रहे हैं। गत तीन मई 2019 को तत्कालीन दार्जिलिंग जिला शासक जयशी दासगुप्ता से मुलाकात करने रेग्युलेटेड मार्केट कार्यालय पहुंचे तो तत्कालीन हेड क्लर्क समीरन चटर्जी ने दुत्कार कर भगा दिया। इधर, 18 सिंतबर को राज्य के कृषि-विपणन मंत्री बिप्लब मित्रा समेत विभाग के तमाम आला अधिकारियों के साथ सिलीगुड़ी गेस्ट हाउस में हुई बैठक में उपस्थित होकर निर्मल सेन मंत्री से शिकायत करनी चाही। मगर, समय के अभाव के चलते यह संभव न हो सका। इस भागम-दौड़ में निर्मल सेन का परिवार बुरी तरह तबाह हो गया है। यहां तक कि अवसाद में आ कर उनकी बड़ी बेटी ने वर्ष 2010 में आत्महत्या कर ली। उनके घर-परिवार की आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो गई है। फिर भी वह अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं।

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