फिल्म सिटी का सपना टूटा तो थीम सिटी ही सही
-जमीन विवाद को निपटाने की कोशिश में एसजेडीए -बोर्ड बैठक में विभिन्न मुद्दों को लेकर हुई
-जमीन विवाद को निपटाने की कोशिश में एसजेडीए
-बोर्ड बैठक में विभिन्न मुद्दों को लेकर हुई चर्चा
-पुरानी परियोजनाओं को पहले पूरा करने पर जोर
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : फिल्म सिटी का सपना टूटने के बाद सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) अब थीम सिटी के सामने खड़ी समस्याओं का निवारण करने में जुटी हुई है। कावाखाली-पोराझाड़ जमीन विवाद को सुलझाने के लिए पुनर्वास के हकदारों की अंतिम तालिका एसजेडीए ने तैयार कर ली है। अनुमोदन के लिए इस तालिका को राज्य सरकार को भेजा जाएगा। हरी झंडी मिलते ही कावाखाली-पोराझाड़ इलाके के जमीन दाताओं को पुनर्वास के लिए जमीन और फ्लैट प्रदान किया जाएगा। उक्त निर्णय सोमवार को आयोजित एसजेडीए की बोर्ड बैठक में लिया गया है।
विधानसभा चुनाव की वजह से करीब ढ़ाई महीने के बाद सोमवार को सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) की बोर्ड बैठक सिलीगुड़ी स्थित एसजेडीए कार्यालय के सभागार में आयोजित हुई। इस बैठक में नए से अधिक पुराने ठप पड़े कार्यो पर चर्चा हुई और उसे जल्द से जल्द पूरा करने का निर्णय लिया गया। जानकारी के मुताबिक करीब एक सौ करोड़ रुपए से अधिक की 172 परियोजनाएं अटकी हुई है। बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार इन कार्यो को कई महीना पहले ही समाप्त हो जाना चाहिए था। अटके पड़े कार्यो में अधिकतर सड़क, नाला, पार्किग की व्यवस्था व मरम्मती का कार्य है। इसके अतिरिक्त सोमवार की बैठक में भी और भी कई पक्के और मैस्टिक सड़क, हाई ड्रेन व जल निकासी नाला आदि के कार्यो पर मुहर लगी है।
आज की बैठक में चेयरमैन विजय चंद्र बर्मन के अलावा एसजेडीए के सीईओ सुमंत सहाय, एसजेडीए बोर्ड के सदस्य काजल घोष, निखिल सहनी व अन्य सभागार में उपस्थित थे।
वोमो सरकार ने लिया था निर्णय
यहां बताते चलें कि वर्ष 2008 में तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने एक अत्याधुनिक उपनगरी बसाने के लिए शहर से सटे कावाखाली-पोराझाड़ इलाके में तीन सौ एकड़ जमीन अधिग्रहण किया था। दार्जिलिंग जिला अंतर्गत माटीगाड़ा-1 नंबर ग्राम पंचायत के अधीन कावाखाली स्थित 80 एकड़ और जलपाईगुड़ी जिला अंतर्गत फूलबाड़ी-1 नंबर ग्राम पंचायत के अधीन की 210 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया। सिंगुर की भांति कावाखाली-पोराझाड़ के भी अधिकतर किसान निर्धारित सरकारी मूल्य पर अपनी जमीन देने के खिलाफ थे। लेकिन इसके बाद भी तत्कालीन सरकार ने तीन सौ एकड़ जमीन तो अधिग्रहण कर लिया, लेकिन उपनगरी का सपना पूरा करने के पहले ही राज्य में तख्तापलट हो गया।
ममता सरकार फिल्म सिटी बनाना चाहती थी
1.सत्ता में आते ही ममता सरकार ने इस तीन सौ एकड़ जमीन पर फिल्म-सिटी बनाने का निर्णय वर्ष 2012 में लिया।
2.लेकिन ममता सरकार का भी सपना सीसे की तरह टूट कर बिखर गया। फिल्म-सिटी में निवेश करने के लिए एक भी निवेशक सामने नहीं आया। 3.फिल्म-सिटी से मोह भंग होने के बाद वर्ष 2015 में ममता सरकार ने इस तीन सौ एकड़ जमीन पर थीम सिटी (एजुकेशनल हब) बनाने का निर्णय लिया।
4.थीम सिटी तैयार करने के लिए एक निजी कंपनी ने टेंडर भी भरा लेकिन फिर उस कंपनी ने भी सरकार के साथ हुआ करार तोड़ दिया।
5.इसके बाद इस जमीन के एक चौथाई भाग पर उपनगरी बसाने के लिए उस निजी कंपनी ने सरकार को प्रस्ताव दिया, जो सिलीगुड़ी से सटे चांदमुनी में एक सैटेलाइट उपनगरी बसा चुकी है।
क्या कहते हैं चेयरमैन
बैठक के बाद एसजेडीए के चेयरमैन विजय चंद्र बर्मन ने बताया कि ढाई सौ जमीन दाताओं को उपनगरी में फ्लैट देने का वादा किया गया था। दी गई जमीन के अनुपात में चार सौ चालीस, पांच सौ और साढ़े सात सौ वर्ग फीट के हिसाब से इन ढाई सौ लोगों को बन रही उपनगरी में फ्लैट दिया जाएगा। इसको लेकर उपनगरी बनाने वाली संस्था के साथ भी बैठक की जाएगी। उन्होंने आगे बताया कि पुनवार्स की मांग लेकर कई ऐसे लोग भी सामने आए हैं, जो जमीन के एवज में नगद मुआवजा ले चुके हैं। इनमें से चालीस जमीन दाताओं का नाम तालिका में शामिल किया गया है।