'सामाजिक विपणन और विज्ञापन' पर विशेष व्याख्यान सत्र
-सिलीगुड़ी महाविद्यालय में हिदी विभाग द्वारा किया गया आयोजन -हिदी भाषा साहित्य के विद्यार्थियों
-सिलीगुड़ी महाविद्यालय में हिदी विभाग द्वारा किया गया आयोजन
-हिदी भाषा साहित्य के विद्यार्थियों को नए आयामों से जोड़ने की पहल जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
अपने अकादमिक अंग के तहत सिलीगुड़ी महाविद्यालय के हिदी विभाग की ओर से मंगलवार को महाविद्यालय में विभागीय विद्यार्थियों के लिए 'सामाजिक विपणन और विज्ञापन' विषयक व्याख्यान सत्र आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार इरफान-ए-आजम सम्मिलित हुए। उन्होंने विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विपणन में सामाजिक पहलुओं के जुड़ जाने से ही सामाजिक विपणन अस्तित्व में आया। औद्योगिक क्रांति के बाद जब विपणन की विशुद्ध वित्तीय लाभ अर्जन वाली प्रवृत्ति बढ़ी तब उसकी घोर आलोचना भी होने लगी। उसी के मद्देनजर विपणन में एक नया आयाम 'सामाजिक' जोड़ा गया और सामाजिक विपणन का सिद्धांत प्रतिपादित हुआ। विपणन में जहां केवल मात्र वाणिज्य, व्यवसाय व लाभ ध्येय होता था वहीं सामाजिक विपणन में एक अच्छा आयाम 'सामाजिक' जुड़ा। कंपनी और उपभोक्ता के बीच तक ही सीमित रहे विपणन में सामाजिक हितों का आयाम जोड़ा जाना वरदान जैसा था। विपणन की भांति ही सामाजिक विपणन को भी विज्ञापन से प्रचार-प्रसार व बल मिला।
पहले विपणन केवल मात्र क्रय-विक्रय-लाभ जैसे घटक तक ही सीमित था। मगर, इसमें जब सामाजिक सरोकार जुड़ा तो बड़े दायित्वबोध का संचार हुआ। कंपनियां केवल अपने सरोकार की मनोवृत्ति से उठीं व उपभोक्ताओं के सरोकार से भी जुड़ीं। इसमें विज्ञापन की भी महती भूमिका रही। उपभोक्ता ठगा न जाए, उसे जो बताया जाए वही बेचा जाए, उपभोक्ता से केवल मात्र क्रय-विक्रय की अवधि तक का ही सीमित समय का संबंध न रहे बल्कि यह संबंध मधुर हो और दीर्घकालिक हो। कंपनी व उपभोक्ता के बीच भरोसा अटूट हो। ग्राहकों की संतुष्टि से कोई समझौता न किया जाए। ग्राहक संतुष्ट रहेंगे, उनसे संबंध बेहतर व दीर्घकालिक रहेगा तभी जा कर कंपनियां भी संतुष्ट व दीर्घकालिक रह पाएंगी। यह मामला केवल कंपनियों व उपभोक्ताओं के बीच ही नहीं बल्कि सामाजिक स्तर, व्यक्तिगत स्तर व अन्य हरेक क्षेत्रों के विभिन्न स्तरों पर भी लागू होता। वास्तव में सामाजिक विपणन एवं विज्ञापन ने पूरे वैज्ञानिक एवं कलात्मक रूप में विपणन को नया वरदान दिया। मगर, इसका नकारात्मक उपयोग भी धड़ल्ले से हो रहा है जो कि नैतिकता पर सवाल खड़े करता है। इसके साथ ही उन्होंने विज्ञापन की विशेष विधा पर भी प्रकाश डालते हुए बताया कि भाषा साहित्य के विद्यार्थियों के लिए साहित्यिक व अकादमिक स्तर के अलावा विज्ञापन के क्षेत्र में भी रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं। उसके लिए बस रचनात्मकता व सृजनशीलता की आवश्यकता है।
इस अवसर पर सिलीगुड़ी महाविद्यालय के हिदी विभागाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार साव ने कहा कि बदलते जमाने के साथ पाठ्यक्रमों भी बदलाव आवश्यक है। इसीलिए महाविद्यालय में हिदी भाषा साहित्य के पाठ्यक्रम में पत्रकारिता व विज्ञापन जैसे विशेष रोजगारपरक आयाम को भी जोड़ा गया है ताकि विद्यार्थी बहुआयामी रूप में लाभान्वित हो सकें। उन्होंने विद्यार्थियों से ऐसे नए-नए आयाम व अवसरों का पूरा-पूरा लाभ उठाने की अपील की। विभागीय प्राध्यापिका पूनम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। सत्र में अनेक विद्यार्थी सम्मिलित रहे।