कोराना की दूसरी लहर चिकित्सा समुदाय के लिए महत्वपूर्ण चुनौती
डाक्टर का कहना है --------------- -नागरिकों की लापरवाही की कीमत चुका रहे हैं डाक्ट
डाक्टर का कहना है
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-नागरिकों की लापरवाही की कीमत चुका रहे हैं डाक्टर्स
-मास्क लगाने व भीड़ से बचाव के लिए सक्रिय जनसहयोग जरूरी जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी:
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आधिकारिक तौर पर यह जानकारी साझा की है कि कोविड 19 की दूसरी लहर के दौरान लगभग 250 डॉक्टर अपनी जान गंवा चुके हैं। अब यह समय वास्तव में चिकित्सा समुदाय खासतौर पर डाक्टर्स के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है कि वे खुद को नैतिक रूप से बढ़ावा दें और अंत तक लड़ें जब यह कोविड समाप्त न हो जाए।
टीकों की कमी और देश भर में टीकाकरण अभियान की धीमी गति से डॉक्टर पहले से ही हैरान हैं। इसी बीच बंगाल सरकार द्वारा दो सप्ताह के लिए पूर्ण तालाबंदी की घोषणा के बाद सिलीगुड़ी शहर में शराब की दुकानों के बाहर जमा हुई भारी भीड़ से सिलीगुड़ी के सीनियर सर्जन डॉ कौशिक भट्टाचार्य ने काफी चिंतित हैं। उन्हें लगता है कि नागरिकों को अभी भी भीड़-भाड़ वाले इलाकों में इस बीमारी के फैलने के खतरों के बारे में सीखना है। सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ जमा होने से यह बीमारी फैलती है जिससे इस बीमारी के शिकार होने का खतरा होता है और साथ ही लोगों की जान भी चली जाती है। गंभीर जोखिम में इलाज करना इनकी मजबूरी है।
नागरिकों की लापरवाही की कीमत चुका रहे हैं डाक्टर
डॉ कौशिक भट्टाचार्य के मुताबिक नागरिकों की लापरवाही के चलते डॉक्टर भारी कीमत चुका रहे हैं। कोविड वायरस की दूसरी लहर अत्यधिक घातक है। इससे छोटे बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं यह और यह भी चिंता का विषय है।
इमरजेंसी सर्जरी का भी डर
डॉ कौशिक भट्टाचार्य ने बताया कि
डॉक्टर अब आपातकालीन सर्जरी से भी डरते हैं। आपातकालीन जीवन रक्षक प्रक्रियाओं में भाग लेने पर कई प्रमुख एनेस्थेसियोलॉजिस्ट भी इस वायरस से संक्रमित हो गए हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार डॉक्टरों की मृत्यु का आकड़ा लगभग 50 प्रतिदिन है। जिससे डॉक्टर के परिवार के सदस्यों और बच्चों की स्थिति में सुधार होने तक सक्रिय चिकित्सा अभ्यास से दूर रहने का भारी दबाव है।
मास्क ठीक से पहनने, भीड़ से बचाव के लिए जनसहयोग जरूरी
कौशिक भट्टाचार्य को लगता है कि मास्क को ठीक से पहनने और इस कोविड की श्रृंखला को तोड़ने के लिए सभी प्रकार की भीड़ से बचने के लिए हमें समाज के सभी वर्गो से एक मजबूत जन समर्थन और सक्रिय समर्थन की आवश्यकता है।
जब तक लोग गंभीर होकर मास्क लगाने व भीड़ से बचने की कोशिश नहीं करेंगे तब तक चिकित्सा समुदाय हमेशा उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में रहेगा। इसका असर यह होगा कि अत्यधिक संक्रामक कोविड की दूसरी लहर के कारण होने वाली मृत्यु के आकड़ों में हर रोज कुछ न कुछ बढ़ोत्तरी दर्ज होगी।
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