सदानंद महाराज का जन्मोत्सव मनाया
जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी स्थानीय प्रणामी मंदिर सिलीगुड़ी में गुरु पूर्णिमा के अवसर को लेक
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : स्थानीय प्रणामी मंदिर, सिलीगुड़ी में गुरु पूर्णिमा के अवसर को लेकर गुरुजी सदानंद महाराज का जन्मोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर गुरुजी की लंबी आयु की कामना श्रद्धालुओं के द्वारा की गई। गुरुजी के जन्मोत्सव को लेकर श्रद्धालु बेहद उत्साहित नजर आए। उनका कहना था कि ये हमारा सौभाग्य है कि हमें गुरुजी का जन्मोत्सव मनाने का मौका मिल रहा है। इसी क्रम में गुरु पूर्णिमा उत्सव भी मनाया गया। गुरुजी द्वारा शिष्यों का आशीर्वाद देकर उनकी सुख-समृद्धि की कामना की। साथ ही प्रवचन के माध्यम से गुरु पूर्णिमा के महत्व पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि गुरु की एक ऐसा माध्यम है जो उस प्रभु तक पहुंचने का मार्ग बतलाता है। गुरु द्वारा बताए मार्ग पर चलकर ही जीवन में शांति मिल सकती है। मन की शांति की चाबी गुरु के पास है। गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है। इसलिए गुरु आज्ञा का पालन करे। आप जिसे भी गुरु बनाए उसके प्रति अपना श्रद्धा अवश्य रखे। अपने विवेक इस्तेमाल अवश्य करे। जीवन में क्या सही है और क्या गलत है इस पर अपनी नजर अवश्य रखे तभी आप सही राह चुन पाएंगे। इसी क्रम पारायण पाठ की समाप्ति भी हुई। -------------- जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : स्थानीय प्रणामी मंदिर, सिलीगुड़ी में गुरु पूर्णिमा के अवसर को लेकर गुरुजी सदानंद महाराज का जन्मोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर गुरुजी की लंबी आयु की कामना श्रद्धालुओं के द्वारा की गई। गुरुजी के जन्मोत्सव को लेकर श्रद्धालु बेहद उत्साहित नजर आए। उनका कहना था कि ये हमारा सौभाग्य है कि हमें गुरुजी का जन्मोत्सव मनाने का मौका मिल रहा है। इसी क्रम में गुरु पूर्णिमा उत्सव भी मनाया गया। गुरुजी द्वारा शिष्यों का आशीर्वाद देकर उनकी सुख-समृद्धि की कामना की। साथ ही प्रवचन के माध्यम से गुरु पूर्णिमा के महत्व पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि गुरु की एक ऐसा माध्यम है जो उस प्रभु तक पहुंचने का मार्ग बतलाता है। गुरु द्वारा बताए मार्ग पर चलकर ही जीवन में शांति मिल सकती है। मन की शांति की चाबी गुरु के पास है। गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है। इसलिए गुरु आज्ञा का पालन करे। आप जिसे भी गुरु बनाए उसके प्रति अपना श्रद्धा अवश्य रखे। अपने विवेक इस्तेमाल अवश्य करे। जीवन में क्या सही है और क्या गलत है इस पर अपनी नजर अवश्य रखे तभी आप सही राह चुन पाएंगे। इसी क्रम पारायण पाठ की समाप्ति भी हुई।