शाखाओं में मनाया गया हिंदू नववर्ष

-वामपंथी नेता रहे शंकर घोष भाजपा में आने के बाद कर रहे ध्वज प्रणाम -शाखा में पहुंच क

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 03:54 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 03:54 PM (IST)
शाखाओं में मनाया गया हिंदू नववर्ष
शाखाओं में मनाया गया हिंदू नववर्ष

-अमृतसिद्धि योग में प्रारंभ हुआ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा

-सभी ने एक दूसरे को दी शुभकामना, ध्वज प्रमाण के स्थान पर किया अ‌र्घ्यसंघचालक प्रणाम

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

हिदू नववर्ष इस वर्ष कुछ खास अंदाज में मनाया गया। इसका प्रमुख कारण है बंगाल में विधानसभा चुनाव। इसके अलावा जिस दिन हिदू नववर्ष है उसी दिन दार्जिलिंग के महाकाल बाबा का दर्शन कर पहाड़ के लोगों को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संबोधित करते हुए हिंदू नववर्ष की शुभकामना दी। वामपंथी का भी बढ़ा संघ के प्रति उत्साह

लेफ्ट से राइट होकर भाजपा में शामिल होने वाले सिलीगुड़ी विधानसभा के प्रत्याशी शंकर घोष अब संघ की शाखाओं में ध्वज प्रणाम करने लगे है। वे संघ की शाखा से आचार और विचार ग्रहण करने में लगे है। इतना ही नहीं माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी और फांसीदेवा के उम्मीदवार आनंदमयी बर्मन व दुर्गा मुर्मू भी संघ से आते है। इसे संघ अपने संस्कार और आदर्श की जीत मान रहा है।

संघ के लिए खास है हिदू नववर्ष

जिस तिथि का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस को रहना है वह है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा। इसी दिन हिदू समाज हिदू नववर्ष मनाते है। मंगलवार के दिन इस सनातन नववर्ष के राजा व मंत्री दोनों ही मंगल होंगे। इस अच्छा असर हमें 2078 संवत्सर में देखने को मिलेगा।

प्रांत भले ही अलग-अलग,सभी मनाते है नववर्ष

शनिवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिलीगुड़ी में कहा था कि यह पर्व अलग अलग नामों से पूरे विश्व में मनाया जाता है। ईरान में इस तिथि को नौरोज यानि नया वर्ष के रुप में मनाया जाता है। आंध्र में यह पर्व उगादिनाम से मनाया जाता है। जम्मू काश्मीर में यह नवरेह, पंजाब में वैशाखी, महाराष्ट्र में गुड़ीपड़वा, सिंघ में चेतीचंड, केरल में विशु, बंगाल में पोयला बैशाख,असम में रोंगली बिहू तथा बिहार और उत्तर प्रदेश में इसे चैत्र नवरात्र व जुड़ शीतल के रुप में मनाते है। इसी तिथि के दिन चैत्र नवरात्रि का व्रत पूजन शुभारंभ किया जाता है।

संघ के विस्तार का लिया संकल्प

वर्ष 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का 100 वां स्थापना दिवस होने वाला है। इसको और चुनाव को ध्यान में रखते हुए शहर में लगने वाली शाखाओं में हिदू नववर्ष का आयोजन मंगलवार को मनाया गया। इस मौके पर शाखाओं में पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवक नजर आएं। इसकी तैयारी जोरशोर से उत्तर बंगाल संघ मुख्यालय माधव भवन में की गयी थी। शहर में केसरिया रंग के झंडे लगाए गये थे। उसे सोमवार की रात चुनाव आयोग की टीम के द्वारा खोल लिया गया था। उसके बाद भी जोश में कोई कमी नहीं आयी। लोग घर-घर में खुशियां मनाते हुए रंगाली बनाया। शाखाओं में नववर्ष मनाने के लिए शाखाओं में जमा हुए।

क्यों है हिदू नववर्ष का विशेष महत्व

भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत् 2078। मंगलवार यानि 13 अप्रैल को इसे सभी अपने अपने तरीके से मना रहे है। इसका अपना एतिहासिक महत्व है। कहते है कि इसी दिन सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की। सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रम संवत् का पहला दिन माना जाता है। इसी दिन प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक हुआ था। शक्ति और शक्ति के नौ दिन अर्थात चौत्र नवरात्र का पहला दिन है। सिख परंपरा के द्वितीय गुरु अंगद देव जी के जन्म दिवस भी यही है। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना के रुप में चुना था। सिंध प्रांत के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए थे। संघ के लिए यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि आज के ही दिन संघ के संस्थापक डाक्टर केशव राव हेडगवार का जन्म हुआ था। पूरे वर्ष शाखाओं में ध्वज प्रणाम होती है। आज के दिन ध्वज प्रणाम के स्थान पर आध्यसंघ सरचालक प्रणाम किया जाता है। हिदू समाज का संगठन खड़ा कर उन्होंने राष्ट्र के सर्वागीण उन्नति का सपना देखा। इसका परिणाम है कि सभी प्रकार की मुसीबतों से जुझते हुए देश के संस्कृति को बचाए रखने का काम स्वयंसेवकों बखूबी किया। वर्तमान में देश के अंदर विरोधी गतिविधियां पनप रहीं हैं। स्वयं सेवकों को अपने स्थान पर सजग रहने की आवश्यकता है। संघ की शाखा में व्यक्ति का निर्माण होता है। संघ की शाखा के प्रयोगशाला से निकलने वाले व्यक्ति राष्ट्र की रक्षा कर रहे हैं।

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