एनबीएमसीएच में चालू हुआ पीएसए आक्सीजन प्लांट
-दो हजार लीटर प्रति मिनट उत्पादन क्षमता -कोरोना मरीजों की चिकित्सा में मिलेगी सफलता जागरण स
-दो हजार लीटर प्रति मिनट उत्पादन क्षमता
-कोरोना मरीजों की चिकित्सा में मिलेगी सफलता
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह से आक्सीजन की कमी से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था, इसके समाधान की दिशा में एनबीएमसीएच आगे बढ़ चला है। एनबीएमसीएच के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार सोमवार से एनबीएमसीएच में दो हजार लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले प्रेसर स्विंग एड्जॉर्बशन (पीएसए) आक्सीजन जेनेरेटिंग प्लांट चालू किया गया है। इस बारे में एनबीएमसीएच के अधीक्षक डॉ संजय मल्लिक का कहना है कि एनबीएमसीएच में एक-एक हजार लीटर प्रति मिनट क्षमता वाले दो पीएसए प्लांट चालू किया गया है। इसके चालू हो जोन से बिना सिलेंडर के पाइप के सहारे में कोविड ब्लॉकों में आक्सीजन की आपूर्ति की जा सकेगी।
उन्होंने बताया कि यह तो पीएसए आक्सीजन प्लांट चालू हुआ है। यहां पर लिक्विड आक्सीजन प्लांट भी लगाए जाने की पहल की जा रही है। एनबीएमसीएच के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार पीएसए आक्सीजन प्लांट से तैयार आक्सीजन इन मरीजों के लिए कारगर होगा जिनका आक्सीजन सेचुरेशन लेबल 80 तक है। 80 से नीचे आक्सीजन सेचुरेशन लेबल जाने पर उन्हें लिक्विड आक्सीजन देने की जरूरत पड़ेगी।
पीएसए आक्सीजन प्लांट से कैसे तैयार होता है आक्सीजन
एनबीएमसीएच के आधिकारिक सूत्रों द्वारा बताया गया कि पीएसए प्लाट में हवा से ही ऑक्सीजन बनाने की अनूठी टेक्नोलॉजी होती है। इसमें एक चैंबर में कुछ एडजॉर्बेंट डालकर उसमें हवा को गुजारा जाता है, जिसके बाद हवा का नाइट्रोजन एडजॉर्बेंट से चिपककर अलग हो जाता है और ऑक्सीजन बाहर निकल जाती है। इस कॉन्सेंट्रेट ऑक्सीजन की ही अस्पताल को आपूíत की जाती है।
बताया गया कि इनसे जो ऑक्सीजन तैयार होती है, वह कारखानों में तैयार मेडिकल ऑक्सीजन की तुलना में थोड़ी कम शुद्धता वाली होती है। लेकिन इनकी ढुलाई करके लाने का समय बचता है, तत्काल तैयार ऑक्सीजन मिलती है। इसलिए अस्पतालों में किसी तरह के संकट से नहीं गुजरना पड़ता। ये पीएसए प्लाट अस्पताल परिसरों में ही तैयार होते हैं। इससे सिलेंडर की जरूरत भी नहीं रह जाती है।