Narada case में नेताओं की गिरफ्तारी व कल्याण बनर्जी से दुर्व्यवहार के खिलाफ तृणमूल समर्थक वकीलों का धरना
नारदा स्टिंग ऑपरेशन कांड में गिरफ्तार टीएमसी नेता फिरहाद हकीम सुब्रत मुखर्जी मदन मित्रा और पूर्व टीएमसी नेता शोभन चटर्जी की गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही पूरे राज्य में टीएमसी समर्थकों में उबाल आ गया है। सिलीगुड़ी कोर्ट परिसर में तृणमूल समर्थक अधिवक्ताओं ने धरना प्रारंभ कर दिया है।
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: नारदा स्टिंग ऑपरेशन कांड में गिरफ्तार टीएमसी नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और पूर्व टीएमसी नेता शोभन चटर्जी की गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही पूरे राज्य में टीएमसी समर्थकों में उबाल आ गया है। इसका कारण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सीबीआई दफ्तर पहुंचना और तृणमूल समर्थकों के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता और सांसद कल्याण बनर्जी के साथ दुर्व्यवहार और केंद्रीय फोर्स के द्वारा लाठीचार्ज माना जा रहा है। कोलकाता में मच्छी हंगामे के बीच सिलीगुड़ी कोर्ट परिसर में तृणमूल समर्थक अधिवक्ताओं ने धरना प्रारंभ कर दिया है।
अधिवक्ताओं ने लॉक डाउन का ध्यान रखते हुए अपने समर्थकों को यहां नहीं आने का आग्रह किया है। धरना पर बैठे तृणमूल कांग्रेस नेता व वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष कांति घोष, अत्रिदेव शर्मा, सुष्मिता बॉस, राजू नियोगी, निलय राय, संतोष शाह, अरुण मिश्रा तथा संपत राय ने कहा कि जिस प्रकार से नारदा स्टिंग ऑपरेशन में इतने वर्षों बाद एकपक्षीय कार्रवाई की गई है यह सीबीआई की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठता है।
कोरोना महामारी के बीच इस प्रकार बड़ी मात्रा में अर्धसैनिक बलों के साथ राज्य के प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी सोची समझी साजिश है। पार्टी के सांसद के साथ एक वरिष्ठ अधिवक्ता होने के नाते जब कल्याण बनर्जी ने सीबीआई कार्यालय निजाम पैलेस में जाने की कोशिश की तो उनके साथ न सिर्फ दुर्व्यवहार किया गया बल्कि लाठीचार्ज भी किया गया। वकीलों का कहना है कि सीबीआई की कार्रवाई के कारण ही आज सीबीआई दफ्तर के बाहर महामारी काल में सैकड़ों टीएमसी समर्थक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
कोरोना महामारी के इस दौर में सामाजिक दूरी को भूल टीएमसी समर्थक प्रदर्शन करने पर मजबूर हैं।टीएमसी अधिवक्ताओं ने पूछा है कि नारदा स्टिंग मामले में केवल उसके नेताओं पर ही कार्रवाई क्यों हो रही है? टीएमसी से बीजेपी में गए मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। कहा की इस एक्शन को बदले की भावना से प्रेरित बताया है। अधिवक्ताओं ने आवाज उठाते हुए कहा कि सीबीआई ने बिना स्पीकर की इजाजत के विधायक और मंत्रियों को गिरफ्तार किया है। ऐसे में कोई भी कानून का पालन नहीं कर रहा है। यह बदले की भावना के चलते किया गया है। जब भारतीय जनता पार्टी बंगाल की सत्ता पर सीधे तौर पर कब्जा नहीं कर सकी तो अब सीबीआई को पुराने मामले में मोहरा बना रही है।नारदा स्टिंग मामले में कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर धन लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ था। जिसकी जांच चल रही थी।
भाजपा विधायकों ने किया पलटवार
भारतीय जनता पार्टी के सिलीगुड़ी डावग्राम फुलवाड़ी और माटीगाडा नक्शलवाड़ी विधायक शंकर घोष, शिखा चटर्जी और आनंदमय बर्मन ने नेताओं की गिरफ्तारी के बाद पूरे राज्य में नेताओं और समर्थकों के धरना प्रदर्शन पॉलिटिक्स पर पलटवार किया है। भाजपा विधायकों ने कहा कि ज्यादा समय नहीं बिता मात्र 24 घंटा पहले महामारी से जूझने में नाकाम इस सरकार को आईना दिखाने के लिए हम विधायक धरना पर बैठे थे तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गौतम देव ने पत्रकारों को बताया कि भारतीय जनता पार्टी के सांसदों को कानून की कोई जानकारी नहीं है।
महामारी काल में उन्हें धरना देना उनकी अज्ञानता और अव्यवस्था फैलाने के लिए जाना जाएगा। आज उनके ही पार्टी की सुप्रीमो सहित पूरे बंगाल में उनके नेता और मंत्री प्रदर्शन कर रहे हैं धरना दे रहे हैं तो क्या यह सभी भी अज्ञानता और अव्यवस्था फैलाने वाले कहे जा सकते हैं? तृणमूल कांग्रेस नेता को इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करना चाहिए। भाजपा नेताओं ने पलटवार करते हुए बीजेपी नेता इस कार्रवाई के पीछे कानून का हवाला दिया है। उनका कहना है कि जो भी कार्रवाई की जा रही है, वो अदालत के आदेश पर की जा रही है। वर्तमान सरकार चुने हुए जनप्रतिनिधि को नहीं मानती है कम से कम न्यायालय पर तो भरोसा रखें। जहां तक जानकारी मिली है फिरहद हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी के विरुद्ध मुकदमा चलाने की मंजूरी लेने के लिए सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का रुख किया था।
2014 में कथित अपराध के समय ये सभी मंत्री थे। धनखड़ ने चारों नेताओं के विरुद्ध मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी जिसके बाद सीबीआई अपना आरोपपत्र तैयार कर रही है और उन सबको गिरफ्तार किया गया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में मार्च 2017 में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। शुभेंदु अधिकारी समेत कई और संसद के नाम इसमें शामिल है उनके खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष की ओर से कोई निर्देश नहीं मिलने के कारण आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी है।
शांत नहीं होने वाला है यह मामला
जिस प्रकार तृणमूल कांग्रेस नेताओं के तल्ख तेवर दिखाई दे रहे हैं और उसी अंदाज में भारतीय जनता पार्टी पलटवार कर रही है इससे स्पष्ट है कि यह विवाद जल्द शांत होने वाला नहीं है। इस मामले को लेकर बार पलटवार में कोविड-19 जैसी महामारी से निपटने के लिए किसी का ध्यान नहीं है।