हैल्लो मिस्टर , दिस इज ..! दोस्त बनाओ और मजे करो का झांसा
-मस्ती की चाहत में लाखों रुपये गंवा रहे हैं लोग -कॉल सेंटर के नाम पर चल रहा है पूरा धंध्
-मस्ती की चाहत में लाखों रुपये गंवा रहे हैं लोग
-कॉल सेंटर के नाम पर चल रहा है पूरा धंधा ऑनलाइन ठगी का महाजाल:3
-कहिए क्या काम है, मेरा नंबर आपको कहां से मिला?
-सर, हम कहना नहीं, देना चाहते हैं..सर्विस.. मतलब सर्विस.. जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : हैल्लो.. क्या मैं मिस्टर एक्स से बात कर रही हूं?
जी.. बोलिए, आप कौन?
सर, मैं जेड बोल रही हूं!
हां, कौन जेड! सॉरी आपको पहचान नहीं पाया
सर, कोई बात नहीं, अब पहचान हो जाएगी
जी, कहिए क्या काम है, मेरा नंबर आपको कहां से मिला?
सर, हमने आपका नंबर डेटाबेस से पाया है। अपने क्लाइंट को सर्विस देने के लिए हम डेटाबेस से नंबरों का उपयोग करते हैं, आप क्या सर दो मिनट फ्री हैं?
क्या सर्विस देती हैं आप?
सर, हम हर तरह की सर्विस देते हैं। हर तरह की मतलब हर तरह की। आप जो चाहें वो सर्विस।
सॉरी, मैं समझा नहीं.. आप कहना क्या चाहती हैं?
सर, हम कहना नहीं, देना चाहते हैं.. सर्विस.. समझे सर.. सर्विस मतलब सर्विस.. आपके नीरस जीवन में रस भरना ही हमारा काम है..।
हैल्लो, हैल्लो, हैल्लो! एक्स जी बस हैल्लो, हैल्लो, हैल्लो! करते रह गए, और फोन कट गया। मगर, उसकी रसीली, नशीली आवाज ही ऐसी थी कि एक्स फिर दिल थामे नहीं रह पाए। उन्होंने तुरंत अपनी ओर से उस नंबर पर कॉल लगा डाला, पर.. 'द नंबर यू हैव हैज कॉल्ड इज स्विच्ड् ऑफ। आपने जिस नंबर पर कॉल किया है वह स्विच्ड् ऑफ है'। उसके बाद भी एक्स जी की बेकरारी गई नहीं। कई बार उस लड़की की रसभरी आवाज सुनने को फोन मिलाया पर हर बार नाकामयाबी ही मिली।
मगर, एक्स जी की किस्मत कि अगले ही दिन फिर वही मिस हाजिर। नंबर नया, पर अंदाज पुराना। वही रसीला, नशीला। इस बार एक्स जी भी उससे अनजाने नहीं रहे। बातें दोनों तरफ से हुई। उसी बीच मिस्टर ने मिस से एक प्यारी सी, मीठी सी शिकायत भी कर डाली कि आपका नंबर ऑफ क्यों रहता है? तो मिस ने बड़े मासूमियत भरे अंदाज में बताया कि लोग बहुत तंग करने लगते हैं, इसीलिए। मैं हर किसी से बात नहीं करना चाहती न। जो मुझे अच्छा लगता है, जिसका अंदाज अच्छा लगता है, मैं बस उसी ही बात करती हूं माई स्वीट डार्लिग.. समझे।
मिस की मादक आवाज में अपना नया नाम 'डार्लिग' सुनते ही 58 वर्षीय मिस्टर तो मानो बांका जवान हों जन्नत की सैर करने लगे। लेकिन उनको यह पता नहीं था कि वह ऑनलाइन ठगी के जाल में फंस रहे हैं। वह अपनी ही दुनियां में खोए थे। तभी मिस उन्हें ख्यालों की दुनिया से बाहर लाई.. वैसे आप जब चाहें मुझसे बातें कर सकते हैं। मैं अपना एकदम स्पेशल वाला पर्सनल नंबर आपको दे सकती हूं। पर, थोड़ा महंगा पड़ेगा। यह सुन कर मिस्टर जी - हा,हा, हा, हा.., सारी महंगाई झेलने को तैयार हूं। फिर, एक खास नंबर का आदान-प्रदान होता है।
उसके बाद हर कदम पर रुपयों की बदौलत दोनों का यह सिलसिला कहीं भी जा कर खत्म हो सकता है। बस, प्यार भरी बातों, मुलाकातों, या उससे भी आगे.. बहुत गहराई तक। इतनी गहराई तक कि फिर वहां से लौट पाना मुमकिन नहीं। सेक्सी कॉल रिकॉर्ड से लेकर, अंतरंग फोटो और वीडियोग्राफी तक सब कुछ के बिना पर ब्लैकमेलिंग का ऐसा दौर शुरू होता है कि वह आदमी को गन्ने की तरह निचोड़ कर उसका सारा रस निकाल लेता है और बस सिट्ठी छोड़ देता है।
जी हां, आजकल सिलीगुड़ी शहर में कॉल सेंटरों की आड़ में यह धंधा खूब फल-फूल रहा है। हालांकि, बीच-बीच में पुलिस की दबिश में ऐसे कई अपराधी पकड़ में भी आए हैं। मगर, फिर भी यह धंधा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। इसके पीछे एक-दो नहीं बल्कि कई गिरोहों का एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय है। सो, अगली बार अगर कोई आपको मीठी, प्यारी, रसीली, नाशीली आवाज में फोन करे, या फिर व्हाट्सऐप कॉल या मैसेज या मैसेंजर या कहीं पर भी दस्तक दे और कहे कि, 'हैल्लो मिस्टर अजीत, दिस इज प्रिया..!' तो बस, होशियार। नहीं तो आप बड़ी परेशानी में फंस सकते हैं।
एक बार फंसे तो निकलना मुश्किल
दरअसल ऑनलाइन ठगी का यह पूरा धंधा दोस्त बनाओ और मजे लो जैसे लुभावने विज्ञापन पर चल रहा है। एक बार यदि कोई इस जाल में फंस जाता है तो फिर निकलना मुश्किल होता है। जब तक पुलिस के पास बात पहुंचती है तब तक अगला लाखों रुपये गंवा चुका होता है। डिजिटल माध्यम से भुगतान
साइबर क्राइम विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह पूरा धंधा भी ऑनलाइन संचालित होता है। पहले फोन पर जान पहचान होती है और गूगल पे या अन्य डिजिटल पेमेंट के माध्यम से सामने वाले से पैसे लिए जाते हैं। पहले मेंबरशिप और उसके बाद खास नंबर देने के लिए मोटी रकम की माग की जाती है। इस क्रम में ही 5 से दस हजार रुपये तक ऑनलाइन ठग हजम कर चुके होते हैं। बार-बार देते रहो पैसे
ग्राहक जो फोन नंबर उपलब्ध कराया जाता है वह कुछ ही समय के लिए होते हैं। बाद में रिन्यू के नाम पर और पैसे लिए जाते हैं। सारा भुगतान डिजिटल माध्यम से ही किया जाता है। इसके साथ ही फोन रिकॉìडग कर ब्लैकमेलिंग भी शुरू कर दी जाती है। सामने वाले वाले पहले कुछ पैसा देकर अपनी जान छुड़ाने की कोशिश में रहता है लेकिन इतने से बात नहीं बनती। जब ज्यादा पैसे देने का दबाव बनता है तब वह शिकायत करने के लिए पुलिस के पास पहुंचता है। लेकिन इस चक्कर में वह काफी रुपया गंवा चुका होता है। नंबर भी नहीं दिया और पैसा हजम कई बार ऐसा होता है कि मेंबरशीप और प्रीमियम नंबर देने के नाम पर ऑनलाइन पर अपने शिकार से डिजिटल पेमेंट के माध्यम से पैसे तो ले लेते हैं लेकिन कोई नंबर उपलब्ध नहीं कराते। इस प्रकार की ठगी के शिकार सिलीगुड़ी शहर में काफी लोग हुए हैं। ऑनलाइन ठगी का यह भी एक नया तरीका है। डेबिट कार्ड या पिन नंबर के जरिए ठगी करने से ऑनलाइन ठग अब कतराते हैं। क्योंकि लोग सजग हो गए हैं। इसलिए इन लोगों ने ठगी का आप नया तरीका अपना लिया है।