विकास की बाट जोह रहा उत्तर पूर्वी का मिनी कश्मीर

-70 के दशक में बोझो घास को क्षेत्र से उखाड़ने से झील दलदल में तब्दील हो गई - सुरक्षा के लिहाज

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 08:13 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 08:13 PM (IST)
विकास की बाट जोह रहा उत्तर पूर्वी का मिनी कश्मीर
विकास की बाट जोह रहा उत्तर पूर्वी का मिनी कश्मीर

-70 के दशक में बोझो घास को क्षेत्र से उखाड़ने से झील दलदल में तब्दील हो गई

- सुरक्षा के लिहाज से सहमेंदु झील के चारों ओर कंटीले तारों से घेर देना उपयुक्त होगा

-वर्ष 1976-77 में झील बनने के बाद मुख्यमन्त्री सिद्धार्थ शकर राय ने किया था पर्यटन केन्द्र का सर्वागीण विकास

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संसू मिरिक: उत्तरपूर्वी राज्य में छोटे कश्मीर के नामसे विश्व प्रसिद्ध मिरिक झील का गौरवशाली नाम हमेशा के लिए सुरक्षित रह सकती है! बशर्ते विश्व विख्यात सहमेंदु झील की चारों तरफ फेंसिंग कर दी जाए। क्यों कि फेंसिंग न होने की वजह से अक्सर यहां लोग किन्हीं कारणवश जान गंवाने का उपयुक्त स्थान मान बैठते हैं।

वैसे पर्यटन नगरी मिरिक का मुख्य आकर्षण सहमेंदु झील के चारों तरफ फेंसिंग की माग तूल पकड़ रही है ! सत्तर के दशक में बोझो नामक घास को सर्वत्र क्षेत्र से उखाड़ने के बाद दलदल क्षेत्र झील में तब्दील हो गयी थी और तब से अब तक झील के चहुंओर प्राकृतिक सुन्दरता को बरकरार रखने के लिए खुले में है ! झील की सुंदरता को कायम रखने व किसी भी तरह की अप्रिय घटना (आत्महत्या) रोकने के लिए झील के चारों दिशाओं में सुरक्षा का घेरा (कंटीले तारों का घेरा) करने की जरूरत है। ताकि झील की सुंदरता भी बरकरार रहे तथा झील के किनारे के स्थलों को विकसित कर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाया जा सकता है। वैसे यहां हर वर्ष भारी तादाद में पर्यटन के उद्देश्य से देशी व विदेशी पर्यटक आते रहे हैं। जो अभी फिलहाल कोरोना संक्रमण काल के दौरान बाधित है।

झील की चारों दिशा खुली होने से ही किसी भी तरह की अप्रिय घटना की संभावना बरकरार रहती है। 3.5 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली झील के आसपास का क्षेत्र खुला होने से पिछले दस वर्ष की रिपोर्ट देखें तो यहां 20 से अधिक लोग आत्महत्या कर चुके हैं! मानसिक रुपमे विक्षिप्त और विभिन्न गांवो से लापता लोगों की लाश झील के किनारे मिलतीं थी जिससे झील आत्महत्या के लिए लिए सबसे सुगम स्थान बन गया ! तत्कालीन मुख्यमन्त्री सिद्धार्थ शकर राय ने 1976-77 में झील बनने के बाद पर्यटन केन्द्र का सर्वागीण विकास किया् था। तभी से यह स्थान पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित व विख्यात है ! दागोपाप काल में सुभाष घीसिंग ने भी इस पर्यटन केन्द्र को आधुनिक ढंग से सजाने और संवारनेके लिए काफी प्रयास किया था !! झील का गौरव और प्रसिद्धि के मद्देनजर अगर झील के चारों ओर फेंसिंग कर दी जाए तो झील के प्राकृतिक सौन्दर्य में प्रभावित होगी और पर्यटकों को मनभावन प्राकृतिक दृश्य इतने अच्छे से नजर न आए ! तो दूसरी ओर झील में आत्महत्या जैसी घटनाओें में कमी आने की उम्मीद है! एक सर्वेक्षण में यहां के 40 प्रतिशत नागरिकों ने झील के चारों तरफ फेंसिंग करने का मत एक सर्वेक्षण में व्यक्त किया है वही साठ प्रतिशत नागरिकों ने झील की सुन्दरता को बरकरार रखने के पक्ष में अपना मंतव्य व्यक्त किया। तो फेंसिंग न करने में फाइदा होने का मत व्यक्त करते हुए आत्महत्या जैसी घटना न होने देने के लिए जगह-जगह पर सचेतना कार्यक्रमका आयोजित कर लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता पर जोर दिया है ! वही झील को स्थिति को इस तरह से विकसित करने पर जोर दिया है ताकि लोग यहां आत्महत्या जैसी घटना को अंजाम न दे सकें। इसके लिए स्थानीय विभिन्न सामाजिक संस्था,राजनैतिक दलों और प्रशासन एवं सरकार को एकजुट होकर सकारात्मक कार्य करने की जरूरत महसूस की गई! यदि ऐसा हो सके तो उत्तरपूर्वी राज्य में छोटे कश्मीर के नामसे विश्व प्रसिद्ध मिरिक झील का गौरवशाली नाम हमेशा के लिए सुरक्षित रह सक्ने का धारणा सरोकारीओ ने किया है !

(फोटो-विश्व प्रसिद्ध मिरिक झीलका मनोरम दृश्य जहां फेंसिंग करने का माग हो रही है )

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