निर्जला एकादशी पर दान देकर जरूरतमंदों की सहायता
जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी हिन्दू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का बहुत महत्व बताया गया है। यह व्रत
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी:
हिन्दू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का बहुत महत्व बताया गया है। यह व्रत 2 जून यानी मंगलवार को रखा जायेगा। धाíमक मान्यताओं में बताया जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा से निर्जला एकादशी के व्रत को करता है, उसे समस्त एकादशी व्रत का पुण्य मिल जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस व्रत का महत्व ऋषि वेद व्यास जी ने भीम को बताया था। तभी से इस एकादशी की भीमसेनी एकादशी भी कहा जाने लगा। कोरोना के कारण इस वर्ष लोग एकादशी व्रत के बाद दान मंदिरों के अलावा जरूरतमंदों के बीच सामग्री वितरण कर पुण्य कमाएंगे। बताया जाता है कि इस व्रत को करने से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। ये व्रत बहुत ही पवित्र व्रत है, हालांकि इस व्रत को करना सभी के लिए आसान भी नहीं है। क्योंकि इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को पानी के सेवन किये बिना रहना पड़ता है। इसीलिए इसे निर्जला एकादशी भी कहते हैं। बता दें कि जुलाई की तपती गर्मी में इस व्रत को करना आसान नहीं है। एकादशी का व्रत एकादशी तिथि को सूर्योदय से लेकर द्वादशी के दिन व्रत पारण मुहूर्त तक रखा जाता है। निर्जला एकादशी के व्रत की तैयारी उसके एक दिन पहले ही कर लेनी चाहिए। आप एक दिन पहले ही व्रत में काम आने वाली सामग्री एकत्रित कर लें। साथ ही दशमी तिथि के दिन आप सावकि भोजन करके ही सोएं। अगले दिन अर्थात एकादशी के दिन आप प्रात:काल उठे और शौच आदि से निवृत होकर स्नान करें। इसके पश्चात आप पूजाघर की साफ सफाई करें । भगवन विष्णु जी की मूíत को गंगाजल से नहलाएं और उनके सामने दीप जलाकर उनका स्मरण करें। इसके बाद जब आप भगवान विष्णु जी की पूजा करें तो उसमें तुलसी के पत्तों का प्रयोग अवश्य करें। पूजा के अंत में प्रभु की आरती करें । इसके बाद शाम के समय भी दीप जलाकर उनकी आराधना करें। इसके बाद द्वादशी के दिन यानि अगले दिन व्रत पारण मुहूर्त पर अपना व्रत खोलें।