मानसून के समय चुनौतियों से निपटने की तैयारी शुरू

एनएफ रेलवे -पुल और ट्रैकों की रख रखाव पर खास जोर -निगरानी के लिए आठ सौ टीमों का हुअ

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 08:43 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 08:43 PM (IST)
मानसून के समय चुनौतियों से निपटने की तैयारी शुरू
मानसून के समय चुनौतियों से निपटने की तैयारी शुरू

एनएफ रेलवे

-पुल और ट्रैकों की रख रखाव पर खास जोर

-निगरानी के लिए आठ सौ टीमों का हुआ गठन

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : मानसून सीजन के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए एनएफ रेलवे ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। एनएफ रेलवे द्वारा मिली जानकारी के अनुसार एनएफ रेल ने अपने क्षेत्राधिकार के पश्चिम बंगाल, बिहार हिस्से और असम, त्रिपुरा, मणिपुर आदि पूर्वोत्तर राज्यों में फैले 6400 किमी. से अधिक रेलवे ट्रैक की सुरक्षा के लिए कíमयों और सामग्रियों की तैनाती की है।

इस संबंध में और अधिक जानकारी देते हुए सीपीआरओ शुभानन चंदा ने बताया कि मानसून का मौसम रेलवे के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है। यह रेलवे निचली हिमालय पर्वतमाला की तलहटी में अशात धाराओं द्वारा उकेरे गए एक कठिन इलाके में कार्यरत है, जहा वर्ष में लगभग 7000 मिमी तक की सबसे भारी वर्षा होती है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की अवधि आमतौर पर 15 मई से शुरू होकर हर साल 15 अक्टूबर तक जारी रहती है, सिवाय लामडिंग डिवीजन के जहा मानसून की अवधि 15 अप्रैल से शुरू होती है। इस भारी वर्षा के कारण अक्सर भूस्खलन, तटबंधों में कटौती, पुलों का अतिप्रवाह आदि होते हैं। एनएफ रेलवे के लिए यात्रियों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है और इससे किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।

चंदा ने आगे बताया कि रेल पटरियों की सुरक्षा के लिए विस्तृत कार्यनीति तैयार की गई है। तैयारियों के तहत संवेदनशील स्थानों पर सामग्री का संग्रहण, जल निकासी व्यवस्था की सफाई, पुलों के जलमार्गो की सफाई, पुलों में खतरे के स्तर को चिन्हित करने आदि का कार्य पूरा कर लिया गया है। सभी निवारक उपाय करते हुए भारी वर्षा के कारण उत्पन्न होने वाली किसी भी खराबी के लिए अपने क्षेत्राधिकार में 6400 किमी से अधिक ट्रैक की लगातार निगरानी के लिए गश्ती टीमें भी तैनात की हैं। रेलवे ट्रैक को सुरक्षित रखने के लिए 800 से अधिक गश्ती दल में, प्रत्येक में दो पेट्रोलमैन शामिल हैं। यह टीम मौसम विभाग की ओर से जारी बारिश की चेतावनी के आधार पर ट्रैक पर गश्त करती है। नवीनतम उपकरणो से लैस गश्ती दल

गश्ती दल नवीनतम और अत्याधुनिक उपकरणों यानी जीपीएस ट्रैकर, ल्यूमिनस जैकेट, रेनकोट और अलग वाटरप्रूफ ट्राउजर, सेफ्टी हेलमेट, सेफ्टी शू हाई, पावरफुल सर्च/फ्लैशलाइट आदि से लैस हैं। टीम रात-दिन पूरे ट्रैक पर गश्त करती है। ट्रेनों की सामान्य आवाजाही को प्रभावित करने वाली किसी भी स्थिति के बारे में निकटतम स्टेशन को जानकारी प्रदान करने के लिए प्रत्येक गश्ती दल को मोबाइल फोन उपलब्ध कराए गए हैं। गश्त के अलावा संवेदनशील क्षेत्रों यानी भूस्खलन की आशका वाले स्थलों, पुलों जहा पानी खतरे के स्तर के करीब बह रहा है आदि पर भी स्थायी चैकीदार नियुक्त किए गए हैं।

पुल या तटबंध का बहना बड़ी समस्या कभी-कभी, पुल बह जाते हैं, तटबंध टूट जाते हैं और सावधानी के सभी उपाय बरतने के बावजूद भूस्खलन हो जाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए बोल्डर, रेत, सैंडबैग, विभिन्न ब्रिजिंग उपकरण जैसी सामग्री को जमीन पर तैयार रखा और महत्वपूर्ण स्थानों पर वैगनों में लोड किया जाता है ताकि कम से कम समय में बहाली कार्य संभव हो सके। इस वर्ष के मानसून रिजर्व स्टॉक में बोल्डर (ऑन व्हील- 209 वैगन, जमीन पर- 285250 घन मी.), अनस्क्रीन शिगल/क्वेरी डस्ट (ऑन व्हील- 64, जमीन पर- 8291 घन मी.) शामिल हैं जिनका उपयोग आपातकाल के समय किया जाना है।

यात्रियों की सुरक्षा मुख्य लक्ष्य

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी करना और उससे बचना कठिन है, लेकिन मानसून के दौरान इस क्षेत्र में बहुत भारी वर्षा से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है ताकि हमारे सम्मानित यात्रियों की हर मौसम में कनेक्टिविटी और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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