'बंग-भंग' के विरुद्ध मनाया 'राखी बंधन' उत्सव

-बंग-भंग प्रतिरोध मंच सम्प्रीति बंगबासी बांग्ला पक्ष जय बांग्ला बांग्ला ओ बांग्ला भाषा बचाओ क

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 09:28 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 09:28 PM (IST)
'बंग-भंग' के विरुद्ध मनाया 'राखी बंधन' उत्सव
'बंग-भंग' के विरुद्ध मनाया 'राखी बंधन' उत्सव

-बंग-भंग प्रतिरोध मंच, सम्प्रीति, बंगबासी, बांग्ला पक्ष, जय बांग्ला, बांग्ला ओ बांग्ला भाषा बचाओ कमेटी, आंतर्जातिक बांग्ला भाषा संस्कृति समिति, अर्चक, सौमी व सृष्टि आदि संगठनों के प्रतिनिधियों ने लिया भाग

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : 'बंग-भंग' यानी बंगाल विभाजन के षड्यंत्रों के विरुद्ध बंग-भंग प्रतिरोध मंच की ओर से रविवार को यहां बाघाजतीन पार्क के निकट 'राखी बंधन' उत्सव मनाया गया। मंच के सदस्य व सदस्याओं ने एक-दूसरे को एवं आते-जाते लोगों को राखी पहना कर बंगाल की एकता व अखंडता को अक्षुझण्ण रखने का संदेश दिया।

इस अवसर पर बंग-भंग प्रतिरोध मंच के संयोजक अधिवक्ता संजीव चक्रवर्ती ने कहा कि आज से 116 साल पहले 1905 में, आज ही के दिन बंगाब्द 1312 के 30 आश्विन को बंगाल विभाजन के षड्यंत्रों के विरुद्ध कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने हिदुओं व मुसलमानों के बीच राखी बंधन मना कर बंगाल की धार्मिक, सांप्रदायिक व भौगोलिक एवं समस्त प्रकार की एकता व अखंडता का संदेश दिया था। उस समय, हिदुओं और मुस्लिमों के एकजुट प्रयासों के आगे बाध्य हो कर लॉर्ड कर्जन को बंगाल विभाजन का फैसला वापस लेना पड़ा।

उन्होंने यह भी कहा कि आज भी बंगाल में धार्मिक व सांप्रदायिक कट्टरवाद को विभिन्न तरीकों से बढ़ाए जाने और बंगाल को फिर से विभाजित करने के षड्यंत्र किए जा रहे हैं। इसीलिए आज वर्तमान परिस्थिति में भी रवींद्रनाथ टैगोर का ऐतिहासिक राखी बंधन उत्सव फिर से प्रासंगिक हो गया है। इस अवसर पर एक संस्था 'सम्प्रीति' के संयोजक जयंत कर ने कहा कि भारत की विविधता में एकता की अनुपम संस्कृति के दुशमनों और सांप्रदायिकता, विभाजन व विनाश के पैरोकारों को बंगाल की धरती पर मुंह की खानी पड़ेगी। उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। यहां कोई षड्यंत्र काम नहीं आने वाला। बंगाल वासी बंगाल की एक इंच जमीन भी बंगाल से अलग नहीं होने देंगे। राखी बंधन उत्सव के माध्यम से यही हमारा संदेश है।

इस राखी बंधन उत्सव में बंगबासी, बांग्ला पक्ष, जय बांग्ला, बांग्ला ओ बांग्ला भाषा बचाओ कमेटी, आंतर्जातिक बांग्ला भाषा संस्कृति समिति, अर्चक, सौमी, सम्प्रीति, सृष्टि इत्यादि संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

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