तीसरी बार सरकार बनने के बाद भी जिला तृणमूल में फाड़

वार्ड स्तरीय नेताओं की नाराजगी आई सामने -गोपाल साहा ने कई आला नेताओं पर पार्टी फंड में घो

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 08:52 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 08:52 PM (IST)
तीसरी बार सरकार बनने के बाद भी जिला तृणमूल में फाड़
तीसरी बार सरकार बनने के बाद भी जिला तृणमूल में फाड़

वार्ड स्तरीय नेताओं की नाराजगी आई सामने

-गोपाल साहा ने कई आला नेताओं पर पार्टी फंड में घोटाला समेत लगाए कई गंभीर आरोप जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : राज्य विधानसभा चुनाव का जनादेश आते ही दल-बदल का दौर फिर से शुरु होने को है। चुकि विधानसभा के बाद अब बारी नगर निगम चुनाव की है। राजनीतिक दलों के नेतागण सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। पार्षद की उम्मीदवारी निश्चित कराने के लिए नेताओं ने दल-बदल का निर्णय लेकर विरोधी दलों के साथ ताल-मेल बनाने में जुट गए हैं। बल्कि तृणमूल के एक पदस्थ नेता ने तो मांग पूरी नहीं होने पर पार्टी छोड़ने की धमकी तक दे दिया है।

इस बार पश्चिम बंगाल राज्य विधानसभा चुनाव में जनता ने तीसरी बार ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पेश किया है। हालांकि इस बार भी सिलीगुड़ी की जनता ने तृणमूल को नकार दिया है। बल्कि माकपा के पूर्व विधायक अशोक भंट्टाचार्य को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। विधानसभा चुनाव से बदले हुए सिलीगुड़ी के मिजाज का असर नगर निगम चुनाव पर भी पड़ने की संभावना जताई जा रही है। वहीं राज्य में प्रचंड बहुमत के साथ ममता बनर्जी की सरकार बनने से तृणमूल का पलड़ा भी भारी है। विधानसभा चुनाव में सिलीगुड़ी के लोगों का निर्णय भाजपा के पक्ष में जाने से तृणमूल के कई और बागी नेता दल-बदल की तैयारी में हैं।

सिलीगुड़ी में तृणमूल को शिकस्त मिलने से पार्टी के कई नेता अपनी नाराजगी जता चुकें हैं। बल्कि सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव के मद्देनजर पार्टी अंदरुनी विवाद भी छिड़ गया है। बल्कि दार्जिलिंग जिला तृणमूल युवा मोर्चा के नेता गोपाल साहा ने जिला महासचिव संजय पाठक समेत कई नेताओं को आड़े हाथों लेकर कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने सिलीगुड़ी समेत माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी व फांसीदेवा इलाके में पार्टी की मौजूदा स्थिति, पार्टी फंड में गबन और विधानसभा चुनाव में हार का जिम्मेदार इन्हीं नेताओं को ठहराया है। उन्होंने अपनी नाराजगी व आला नेताओं पर आरोप पार्टी के व्हाट्सएप ग्रुप में लिखकर जताया है। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि सिलीगुड़ी वाम दुर्ग था, जो कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा दुर्ग में परिणत हुआ है। वर्ष 2011 में तृणमूल अपने दम पर राज्य की सत्ता में आई। लेकिन उसके बाद से अपने निजी स्वार्थ की लालसा लिए विरोधी दल के कई नेताओं ने तृणमूल का दामन थामा। इसी क्रम में सिलीगुड़ी के हिदी भाषियों का नेता बनकर संजय पाठक समेत कई अन्य तृणमूल में शामिल हुए। लेकिन बीते कई चुनाव के बाद उन सभी का प्रभाव नकारात्मक साबित हुआ है। बल्कि वर्ष 2015 के नगर निगम चुनाव में स्वयं संजय पाठक की जमानत जब्त होते-होते बची। इतनी करारी शिकस्त मिलने के बाद पार्टी के आला नेताओं के साथ सांठ-गांठ बैठाकर उन्होंने कई अहम पद हासिल किया। विधानसभा चुनाव घोषणा होने के 15 दिन पहले उन्हें (गोपाल साहा) टाउन ब्लॉक तृणमूल की अहम जिम्मेदारी तो दी गई लेकिन संजय पाठक, संतोष साहा, मासूम कपूर जैसे नेता राह का रोड़ा बनकर खड़े रहे। विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा प्रदत्त आर्थिक फंड में घोटाले का आरोप लगाते हुए लिखा कि वार्ड अध्यक्षों को लाखों रुपए प्रदान किए गए। लेकिन वह रुपया किस मद में खर्च किया गया, वह किसी को मालूम नहीं है। बल्कि बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के समर्थन में बूथ स्तरीय सभा व रैली आदि भी नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में उन्होंने स्वयं पार्टी के सभी पदों से इस्तिफा देने का निर्णय लिया है।

इस संबंध में गोपाल साहा से बात करने पर उन्होंने दल-बदल कर भाजपा खेमे में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे अपनी राजनीतिक दिनों की शुरुआत से तृणमूल के सैनिक हैं, और आगे भी रहेंगे। बिना पद के भी जनता व पार्टी के हित में कार्य किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर जिला तृणमूल के महासचिव संजय पाठक ने भी गोपाल साहा द्वारा लगाए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पार्टी के अंदरुनी किस्सों पर किसी भी तरह की बयानबाजी करने से इनकार किया।

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