लॉकडाउन से अनलॉक होते ही बिगड़ने लगी महानंदा की सूरत

-थम नहीं रहा है अतिक्रमण का सिलसिला -महानंदा एक्शन प्लान का काम भी अभी बंद -शहर के प्रद

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 07:03 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 07:03 PM (IST)
लॉकडाउन से अनलॉक होते ही बिगड़ने लगी महानंदा की सूरत
लॉकडाउन से अनलॉक होते ही बिगड़ने लगी महानंदा की सूरत

-थम नहीं रहा है अतिक्रमण का सिलसिला

-महानंदा एक्शन प्लान का काम भी अभी बंद

-शहर के प्रदूषण स्तर में भी शुरू हुई बढ़ोत्तरी

-पोल्यूशन क्वालिटी इंडेक्स 130 के पार

-लॉकडाउन के समय महानंदा पूरी तरह साफ हो गई थी

-दुकान और बाजार खुलने से महानंदा में गंदगी फिर शुरू

शिवानंद पाडेय,

सिलीगुड़ी: कोरोना वायरस महामारी के चलते पूरे देश में चल रहे लॉकडाउन के दौरान जहा लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा,वहीं कुछ साकारात्मक परिणाम भी सामने आए। इसमें पर्यावरण को भी रखा जा सकता है। लगभग ढाई महीने का लॉकडाउन पर्यावरण के लिए वरदान साबित हुआ है। लॉकडाउन की वजह से ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण में काफी कमी आई है। इसका असर पर्यावरण पर भी देखने को मिल रहा है। सिर्फ वायु प्रदूषण में ही कमी नहीं है, बल्कि जल प्रदूषण में भी काफी कमी देखने को मिल रही है। उत्तर बंगाल में सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार सिलीगुड़ी की जीवन रेखा मानी जाने वाली महानंदा नदी पर भी इसका असर साफ देखा जा रहा है। लॉकडाउन से पहले महानंदा नदी बारिश के मौसम को छोड़कर अन्य दिनों में काली पड़ जाती थी। महानंदा नदी में गंदा पानी को कोई भी देख सकता था। लॉकडाउन के बाद इसका स्वरूप अभी बदला हुआ है। नदी का जल स्वच्छ दिख रहा है। पानी के अंदर रहने वाली मछलियों समेत अन्य जीव जंतु दिख रहे हैं। हालाकि विशेषज्ञों की मानें तो सिर्फ नदी में प्रदूषण का स्तर ही कम हुआ है। नदी का अतिक्रमण पहले की तरह जारी है। नदी के अतिक्रमण पर रोक लगाने के लिए प्रशासन को कठोर कदम उठाना चाहिए। जाने-माने पर्यावरणविद् तथा हिमालयन नेचर एंड एंड एडवेंचर फाउंडेशन नार्थ बंगाल के संयोजक अनिमेष बोस का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी से मानव जीवन खतरे में है,लेकिन लॉकडाउन पर्यावरण के दृष्टिकोण से वरदान साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि पूरे उत्तर बंगाल में सिलीगुड़ी जल प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण में एक नंबर पर था। अभी यहा पर प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया है। उन्होंने कहा कि महानंदा नदी का जल देखकर ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि नदी में प्रदूषण की मात्रा कितनी कम है। उन्होंने कहा कि अप्रैल-मई के महीने में महानंदा नदी काली हो जाती थी, फिलहाल ऐसा नहीं है। इसका प्रमुख कारण लॉकडाउन के चलते परिवहन सेवा तथा नदी के आस-पास के गैरेज बंद होना है। उन्होंने कहा कि पहले महानंदा नदी में प्रत्येक दिन सैकड़ों गाड़ियों को धोने का कार्य किया जाता था। वहीं गैरेज का भी गंदा पानी नदी में गिरता था इससे नदी काफी प्रदूषित होती थी। नदी के प्रदुषित होने से नदी में रहने वाले जीव जंतु का जीवन संकट में पड़ जाता था। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद नदी में गाड़ियों की धुलाई तथा गैरेज का गंदा पानी नदी में ना गिरे, इसके लिए प्रशासन तथा नगर निगम को जरूरी कदम उठाना चाहिए। बोस ने कहा कि महानंदा नदी में प्रदूषण का स्तर कम जरूर हुआ है, लेकिन इसका अतिक्रमण लगातार जारी है। नदी के आसपास रहने वाले लोग प्रत्येक दिन नदी के तटों पर बास की घेराबंदी कर अतिक्रमण में लगे हुए हैं। उन्होंने प्रशासन से नदी के जमीन में किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए अविलंब कठोर कदम उठाने की मांग की। सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार नदी के अतिक्रमण को रोकने के लिए महानंदा एक्शन प्लान का कार्य काफी तेजी से चल रहा था, जो कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन शुरू होने से रुक गया है। लंबित कार्यो को शुरू करने की कोशिश की जा रही है, जिसमें महानंदा एक्शन प्लान का कार्य भी शामिल है।

वहीं बोस ने कहा कि गाड़ियों के परिचालन कम होने का असर सड़क के किनारे लगाए गए पेड़ पौधों पर भी दिख रहा है। अन्य दिनों में गाड़ियों के धुंए से पेड़ों की पत्ती काली पड़ जाती थी, प्रदूषित होने से पेड़ सुख जाते थे, जो वर्तमान समय में सड़कों के किनारे खासकर हिलकार्ट रोड व सेवक रोड के सड़कों अथवा डिवाइडर के बीच में लगाए गए पेड़ों में नई आई हुई पत्ती दिख रही है। हालांकि उन्होंने कहा कि लॉकडाउन अनलॉक होने के साथ प्रदूषण का भी स्तर एक बार फिर से बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। लॉकडाउन के दौरान पोल्यूशन क्वालिटी इंडेक्स एक सौ नीचे रहता था, जो अब एक सौ उपर जाने लगा है। गुरुवार के दोपहर के समय पोल्यूशन क्वालिटी इंडेक्स 130 तक पहुंच गया था, जो खराब की श्रेणी में आता है। उनका कहना था कि सरकार लॉकडाउन के दौरान ही ऐसा कोई कदम उठा सकती थी, जिससे शहर में वायु प्रदूषण व नदी प्रदूषण की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो गई होती।

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