तीन वर्ष के उम्र तक बच्चों का रखें विशेष ध्यान: डॉ एसके तिवारी

-जागरण प्रश्न प्रहर में लोगों ने बाल रोग विशेषज्ञ से पूछे सवाल -प्रदूषण व बार-बार मौसम का बदलन

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Nov 2019 07:00 PM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2019 06:16 AM (IST)
तीन वर्ष के उम्र तक बच्चों का रखें विशेष ध्यान: डॉ एसके तिवारी
तीन वर्ष के उम्र तक बच्चों का रखें विशेष ध्यान: डॉ एसके तिवारी

-जागरण प्रश्न प्रहर में लोगों ने बाल रोग विशेषज्ञ से पूछे सवाल

-प्रदूषण व बार-बार मौसम का बदलना बच्चों के सेहत के लिए है काफी नुकसान देह

-तीन वर्ष के उम्र तक 90 प्रतिशत हो जाता है बच्चों के मस्तिष्क का विकास

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : बारिश का मौसम खत्म होने व ठंड का मौसम शुरू होने से मौसम में जो बदलाव होता है, इससे हर कोई प्रभावित होता है। इसमें वायरल फीवर व सर्दी खांसी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। वयस्कों के साथ इस समस्या से सबसे ज्यादा पांच वर्ष तक बच्चे प्रभावित होते हैं। बदलते मौसम में बच्चों सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। यह बातें सिलीगुड़ी के जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ डॉ एसके तिवारी ने कही। उन्होंने बताया कि तीन साल के उम्र तक बच्चों के खान-पान से लेकर हर तरह से उन पर ध्यान देने की जरूरत होती है। 90 प्रतिशत मस्तिष्क का विकास तीन वर्ष तक तक बच्चों के बच्चों का हो जाता है।

बदलते मौसम में बच्चों का किस तरह से रखें ध्यान व अस्थमेटिक बीमारी के कारण तथा इससे बचने के उपाय के बारे में लोगों जानकारी देने के लिए गुरुवार को वह दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम 'प्रश्न प्रहर' में शामिल हुए। सिलीगुड़ी व आस-पास के लोगों ने डॉ तिवारी से फोन पर बात कर उनसे चिकित्सकीय परामर्श लिया।

डॉ तिवारी से लोगों के बातचीत का अंश इस प्रकार है-

प्रश्न : मेरा पांच साल का बेटा है। लैट्रिन करने के दौरान लैट्रिन के रास्ते खून गिरता है। लैट्रिन भी कड़ा होता है।

-प्रियंका कुमारी, बिहार

उत्तर : कब्ज व पेट में इंफेक्शन की वजह से लैट्रिन कड़ा हो रहा होगा। हरा साक-सब्जी के अलावा बच्चे को रोजाना एक टाइम पर लैट्रिन करने के लिए आदत दिलाना होगा। इससे यह समस्या दूर हो जाएगी।

प्रश्न : मेरा तीन दो साल नौ महीने का बेटा है, लेकिन बोलने में हकलाता और तुतलाता है। इसका क्या उपचार है

-बैजनाथ महतो, सिलीगुड़ी जंक्शन

उत्तर : इस उम्र में जब बच्चों का दांत टूटता है, उसका जीभ दांत के उपर पैलेट में टकराता है, तो बच्चों में शब्द का उच्चारण सही नहीं कर पाते हैं, तथा तुतलाते हैं। यह समस्या ज्यादा दिन रहती है। पांच साल के बाद भी यह समस्या रहे तो चिकित्सकीय सलाह लें।

प्रश्न : मेरा तीन साल का बेटा है। इस उम्र में बच्चों को खाने में क्या देना चाहिए

-संजय गुप्ता, सिलीगुड़ी

उत्तर : प्रोटिन युक्त खाना देना चाहिए। विशेष रूप से घर का बना हुआ खाना देना चाहिए। खाने का स्वाद व कलर बदलते रहे इस पर ध्यान देना चाहिए।

प्रश्न : मेरा पांच साल का बेटा है। इस उम्र में उसे कौन से टॉनिक देना चाहिए।

-मनीष कुमार, एनजेपी

उत्तर : इस उम्र में बच्चों को प्रोटिन व कैल्सियम दिया जाना चाहिए। बच्चा स्वस्थ्य है, तो उसे अलग से कुछ देने की जरूरत नहीं है। अगर दुबला-पतला है तो चिकित्सकीय सलाह लेना चाहिए।

प्रश्न : मेरा 17 महीने का बच्चा है। चार-पांच दिन उसे चार-पांच दिन से बुखार आ रहा है। इसका क्या उपचार है। उसके कान में भी समस्या है।

सुनील कुमार गुप्ता, चंपासारी

उत्तर : ठंड के मौसम में बच्चे को बचाकर रखें। घर में अगर कुत्ता व बिल्ली समेत पालतू जानवार हो तो बच्चे को उससे दूर रखें। घर में साफ-सफाई रखें, ताकि घर में काकरोच न रहे। सर्दी-खांसी की समस्या बनी रहती है तो डॉक्टर से सलाह लें।

प्रश्न : मेरा दो साल का बच्चा है। उसे सर्दी-खांसी की शिकायत बनी रहती है।

-भानू दास, घुघुमाली

उत्तर : फीवर व सर्दी-खांसी है तो डॉक्टर को दिखाएं। बच्चे को ठंड से बचाए। उसका कपड़ा स्वच्छ रखें। प्रत्येक दिन बेडसीट बदलें व सप्ताह में एक दिन गद्दा को धूप में अवश्य रखें।

प्रश्न : मेरा बेटा छह साल का है। उसे सर्दी-खांसी की समस्या बनी रहती है। उपचार बताएं।

-सुरेश प्रधान, चंपासारी

उत्तर : एलर्जी से सर्दी-खांसी की समस्या होती रहती है। बच्चों को तीन साल, छह साल व 12 साल की उम्र तक यह समस्या बनी रहती है। अगर बच्चे पर ध्यान दें, तथा सर्दी-खांसी की समस्या होतो चिकित्सकीय परामर्श लें।

प्रश्न : मेरा चार साल का बेटा है। उसे जांडिस हो गया है।

चंदन तिवारी, बरौली, बिहार

उत्तर : चार साल के बच्चे को जांडिस नहीं होना चाहिए। अगर हुआ है तो लीवर का जांच कराना होगा। बच्चे को ज्यादा तेल व मशाला युक्त खाना देने से परहेज करना होगा।

प्रश्न : ठंड के मौसम में बच्चे को कैसे सुरक्षित रखा जाए।

राकेश ठाकुर, कालिंपोंग

उत्तर : बच्चे को ठंड न लगे, इस पर ध्यान देना होगा। बच्चे की सफाई पर ध्यान देना होगा। बच्चे का उठाने से पहले हाथ की सफाई अच्छी तरह से कर लेना होगा।

अस्थमेटिक कारण-

-वायरल इंसफेक्शन

-प्रदूषण का स्तर ज्यादा होना

-मौसम में बार-बार बदलाव

-बचने के उपाय-

-बच्चे को ठंड-गरम में घूमने से बचाना होगा।

-साफ-सुथरा कपड़ा पहनाना होगा।

बच्चे को उठाने से पहले अच्छी तरह से हाथ साफ करना होगा।

-घर में किसी को सर्दी व खांसी हो तो बच्चे उनसे दूर रखना होगा।

-घर में धूप आ सके, इसके लिए घर का खिड़की प्रत्येक दिन खोलकर रखना होगा।

-घर का फर्श भीगा-भीगा नहीं रहना चाहिए।

-घर में धुआं न फैले इसके लिए खाने बनाते समय किचन का खिड़की खुला रखना चाहिए।

-काकरोच अथवा पालतू जानवर से बच्चे को दूर रखना होगा।

-प्रत्येक दिन बेडसीट बदलना होगा, तथा सप्ताह में एक दिन गद्दा को धूप में रखना होगा

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