'समकालीनता तात्कालिकता नहीं, दीर्घ अवधि का नाम है'
जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी समकालीनता तात्कालिकता नहीं है यह दीर्घ अवधि का नाम है। इसे इ
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
समकालीनता तात्कालिकता नहीं है, यह दीर्घ अवधि का नाम है। इसे इसी से समझा जा सकता है कि निराला अब तक हिदी के सबसे सशक्त और लोकप्रिय कवि हैं। उनके जोड़ का कोई और कवि अब तक नहीं हो पाया है। विश्वभारती (शांतिनिकेतन) विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से आए विशेष वक्ता प्रोफेसर डॉ. मुक्तेश्वरनाथ तिवारी ने ये बातें कहीं। वह गुरुवार को उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय (एनबीयू) के हिदी विभाग में आयोजित 'समकालीन कविता : संवेदना एवं शिल्प' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में बीज वक्तव्य दे रहे थे। यह संगोष्ठी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित थी। उन्होंने आगे कहा कि शब्द 'समकालीन' हल्के में न लिया जाने वाला प्रत्यय है। यह भी कि सर्जना का बहुत बड़ा क्षेत्र लोक होता है। समकालीन कविता में प्रश्न पूछने का रिवाज है। जो हमें सोते से न जगाए वह कविता समकालीन नहीं।
संगोष्ठी संचालक एनबीयू के हिदी विभाग की प्राध्यापिका डॉ. मनीषा झा ने कहा कि समकालीन कविता को लेकर बहुत सारे विवाद हैं। मगर, जब तक कोई नया काव्य-आंदोलन शुरू नहीं हो जाता तब तक इसे समकालीन कविता ही कहेंगे। उन्होंने संगोष्ठी में अतिथि के रूप में उपस्थित एनबीयू के कुलसचिव डॉ. दिलीप कुमार सरकार की विषय संबंधी जिज्ञासाओं के संदर्भ में ये उद्गार व्यक्त किए। कुलसचिव ने विषय पर अपने विचार व्यक्त करते जिज्ञासा भी व्यक्त की थी कि समकालीन कविता से आशय क्या है? इसे कैसे परखा जाए, कवि की उम्र से या काव्य रचना के समय से? उन्होंने कहा कि समकालीन कविता के संदर्भ में ये जिज्ञासाएं स्वाभाविक हैं।
इस अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के हिदी विभाग के पूर्व प्राध्यापक व प्रसिद्ध आलोचक डॉ. रविभूषण ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि समकालीन कवि वह है जो अपने काल से सम्मत हो। कविता हमारा मानस निर्माण करती है। कविता हमें एक बेहतर इंसान बनाती है। कवि एक नए संसार की रचना करता है। समकालीन हिदी कविता विश्व की किसी भी भाषा की कविता से कमतर नहीं है।
संगोष्ठी के उद्घाटनकर्ता एनबीयू के उपकुलपति डॉ. सुबीरेश भट्टाचार्य ने उद्घाटन वक्तव्य दिया कि ऐसी संगोष्ठियों के आयोजन बहुत आवश्यक हैं। इससे विद्यार्थियों का न केवल ज्ञानवर्धन होता है, बल्कि उनमें उत्साह का भी संचार होता है। इससे पूर्व एनबीयू के हिदी विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार द्विवेदी ने भी स्वागत भाषण में कहा कि ऐसी संगोष्ठी विद्यार्थियों के लिए केवल आज ही नहीं बल्कि भविष्य के लिए भी अत्यंत प्रयोजनीय है। इस संगोष्ठी में विभिन्न महाविद्यालय के शिक्षकों व हिदी विभाग के शोधार्थियों ने विषय केंद्रित कई शोध पत्र प्रस्तुत किए। इनमें डॉ. सुलोचना दास, डॉ. बिनय कुमार पटेल, ब्रजेश कुमार चौधरी, गोविंद यादव, डॉ. विजया शर्मा, एमरेंसिया खालखो, डॉ. रत्ना मिश्रा, अरविंद कुमार साह, दुर्गावती प्रसाद व पिंकी झा शामिल रहे। संगोष्ठी का संचालन एनबीयू के हिदी विभाग की प्राध्यापिका डॉ. मनीषा झा, डॉ. मनोज विश्वकर्मा व डॉ. विजय कुमार प्रसाद ने किया। इस संगोष्ठी में विभाग के अनेक विद्यार्थी सम्मिलित रहे।