आखिरकार किसी ने भरा टेंडर ,कार्य आवंटित
जागरण एक्सक्लूसिव -रेस्पिरेट्री पैनल लगाने का काम तेजी से शुरू -अब वीआरडीएल में ही होगी आरएस
जागरण एक्सक्लूसिव
-रेस्पिरेट्री पैनल लगाने का काम तेजी से शुरू
-अब वीआरडीएल में ही होगी आरएसवी जांच
-सैंपल को नहीं भेजना होगा कोलकाता
शिवानंद पांडेय, सिलीगुड़ी : कोरोना वायरस महामारी अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि बच्चों में बुखार व सांस संबंधी समस्या आ खड़ी हुई है। जहां कोरोना वायरस की जांच एनबीएमसीएच में ही हो जाती है, वहीं रेस्पिरेट्री सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) की जांच के लिए सैंपल स्कूल ऑफ टॉपिकल मेडिसीन कोलकाता भेजना पड़ता है। लेकिन अब इसकी जांच की व्यवस्था उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल अस्पताल के वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेट्री में किए जाने की सुविधा शुरू की जा रही है। क्योंकि इस सुविधा को शुरू करने के लिए मेडिकल कॉलेज को आखिरकार कोई ठेकेदार मिल गया है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले महीने नवंबर के पहले सप्ताह से आरएसवी समेत अन्य बीमारियों के सैंपल की जांच यहां होने लगेगी। अब सैंपल कोलकाता भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। मिली जानकारी के अनुसार काफी दिनों से यह सुविधा शुरू करने की कोशिश की जा रही थी। लेकिन कोई टेंडर भरने वाला ही नहीं था। ऐसे में भला किस ठेकेदार से काम कराएं,यही सबसे बड़ी समस्या थी। लेकिन अब यह समस्या दूर हो गई है। टेंडर भरने वाला भी मिल गया है और उसको कार्य भी आवंटित कर दिया गया है।
इस बारे में एनबीएमसीएच वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार वीआरडीएल में आरएसवी समेत अन्य बीमारियों की जांच के लिए रेस्पिरेट्री पैनल लगाया जा रहा है। इसकी कोशिश कई महीने पहले से की जा रही है, लेकिन टेंडर में किसी के भाग नहीं लेने से कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा था। कोलकाता की एक कंपनी ने टेंडर में भाग लिया है। उक्त कंपनी ने रेस्पिरेट्री पैनल की आपूर्ति करने के लिए तैयार हुआ है। उम्मीद है कि जल्द ही यहां पर रेस्पिरेट्री पैनल की आपूर्ति हो जाएगी। इसके बाद नवंबर के पहले सप्ताह से इसे चालू कर दिया जाएगा। सूत्रों द्वारा बताया गया कि एनबीएमसीएच में इस तरह के जांच की व्यवस्था नहीं होने से सैंपल कोलकाता भेजना पड़ता है। किस प्रकार के वायरस की होगी जांच
एनबीएमसीएच वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक सेंटर व एनबीएमसीएच माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ अरुणभ सरकार ने बताया कि वीआरडीएल में रेस्पिरेट्री पैनल के आपूर्ति के बाद ना सिर्फ रेस्पिरेट्री सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) की जांच शुरू हो सकेगी, बल्कि यहां पर एन-1 एच-1, इंफ्लूएंजा ए और बी, पैरा इंफ्लूएंजा 1,2,3 व 4, रैना वायरस, इको वायरस, मेटानिमो वायरस समेत अन्य वायरस जनित सैंपल्स की जांच यहां होने लगेगी। उन्होंने बताया कि अभी इन सभी वायरस बीमारियों का पता लगाने के लिए सैंपल्स कोलकाता भेजना पड़ता है।
डॉ सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी का दौर शुरू होने तथा यहां पर कोरोना जांच की सुविधा होने के बाद एनबीएमसीएच वीआरडीएल के डॉक्टर्स से लेकर तकनीशियन व ग्रुप डी स्टॉफ तक के अथक परिश्रम की वजह से लगातार कोराना की जांच की गई। कोरोना जांच के लिए सैंपल आना कम
एनबीएमसीएच सूत्रों द्वारा बताया गया कि वर्तमान समय में यहां पर कोराना की आरटी-पीसीआर जांच करने की पांच-पांच मशीनें हैं। अभी यहां कोरोना जांच के लिए सैंपल आना कम हो गया है। जहां पहले दो हजार से ज्यादा सैंपल्स जांच के लिए आते थे, वहीं फिलहाल दार्जिलिंग व कालिंपोंग जिले से डेढ़ सौ से दो सौ सैंपल्स ही आ रहे हैं। इसके बावजूद अभी भी एनबीएमसीएच कोरोना जांच करने में पूरे राज्य में पहले नंबर पर बना हुआ है। इसके अलावा जल्द ही एनबीएमसीएच में कोरोना के छह लाख से ज्यादा सैंपल की जांच करने की उपलब्धि हासिल होगी।