अब नहीं होगी ऑक्सीजन की किल्लत
- एनबीएमसीएच में पीएसए प्लांट का उद्घाटन -कोरोना मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत जागरण संवाद
- एनबीएमसीएच में पीएसए प्लांट का उद्घाटन
-कोरोना मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में आक्सीजन की कमी संबंधी समस्या का समाधान करने करने में एनबीएमसीएच प्रशासन काफी हद तक कामयाब हो गया है। कोरोना वायरस महामारी की दौरान आक्सीजन की कमी से संक्रमित मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, इसके समाधान की दिशा में सोमवार का दिन एनबीएमसीएच के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ। यहां पर बहुप्रतिक्षित दो हजार लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले प्रेसर स्विंग एड्जॉर्बशन (पीएसए) आक्सीजन जेनेरेटिंग प्लांट चालू किया गया है। इसका उद्घाटन सोमवार को पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (डब्ल्यूबीयूएचएस) की उप कुलपति प्रोफेसर प्रो सुह्रिता पॉल, एनबीएमसीएच के प्राचार्य डॉ इंद्रजीत साहा व मेडिकल अधीक्षक डॉ संजय मल्लिक समेत अन्य लोगों ने किया। इस बारे में एनबीएमसीएच के अधीक्षक डॉ संजय मल्लिक का कहना है कि एनबीएमसीएच में एक-एक हजार लीटर प्रति मिनट क्षमता वाले दो पीएसए प्लांट चालू किया गया है। इसके चालू हो जाने से बिना सिलेंडर का पाइप के सहारे में कोविड ब्लॉकों में आक्सीजन की आपूर्ति की जा सकेगी।
उन्होंने बताया कि यह तो पीएसए आक्सीजन प्लांट चालू हुआ है। यहां पर लिक्विड आक्सीजन प्लांट भी लगाए जाने की पहल की जा रही है। एनबीएमसीएच के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार पीएसए आक्सीजन प्लांट से तैयार आक्सीजन इन मरीजों के लिए कारगर होगा जिनका आक्सीजन सेचुरेशन लेबल 80 तक है। 80 से नीचे आक्सीजन सेचुरेशन लेबल जाने पर उन्हें लिक्विड आक्सीजन देने की जरूरत पड़ेगी।
पीएसए आक्सीजन प्लांट से कैसे तैयार होता है आक्सीजन
एनबीएमसीएच के आधिकारिक सूत्रों द्वारा बताया गया कि पीएसए प्लाट में हवा से ही ऑक्सीजन बनाने की अनूठी टेक्नोलॉजी होती है। इसमें एक चैंबर में कुछ एडजॉर्बेंट डालकर उसमें हवा को गुजारा जाता है, जिसके बाद हवा का नाइट्रोजन एडजॉर्बेंट से चिपककर अलग हो जाता है और ऑक्सीजन बाहर निकल जाती है। इस कॉन्सेंट्रेट ऑक्सीजन की ही अस्पताल को आपूíत की जाती है।
बताया गया कि इनसे जो ऑक्सीजन तैयार होती है, वह कारखानों में तैयार मेडिकल ऑक्सीजन की तुलना में थोड़ी कम शुद्धता वाली होती है। लेकिन इनकी ढुलाई करके लाने का समय बचता है, तत्काल तैयार ऑक्सीजन मिलती है। इसलिए अस्पतालों में किसी तरह के संकट से नहीं गुजरना पड़ता। ये पीएसए प्लाट अस्पताल परिसरों में ही तैयार होते हैं। इससे सिलेंडर की जरूरत भी नहीं रह जाती है।