अब गौतम देव को सौंपा नगर निगम का कमान
-सहयोगी बनेंगे आलोक चक्रवर्ती रंजन सरकार और विवेक वैद्य जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी नगर
-सहयोगी बनेंगे आलोक चक्रवर्ती ,रंजन सरकार और विवेक वैद्य
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : नगर निगम सिलीगुड़ी की कमान राज्य सरकार ने पूर्व मंत्री गौतम देव के हाथ में थमा दी है। उन्हें नगर निगम का प्रशासन नियुक्त किया है। सरकार के निर्देश संख्या 661 एमए ओसी 4आइएम दिनांक छह मई 2021 के आलोक में स्पष्ट किया गया है कि गौतम देव बतौर प्रशासन कामकाज की बागडोर संभालेंगे। उनके सहयोग के लिए तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रंजन सरकार, हाल में ही कांग्रेस छोड़ तृणमूल कांग्रेस में योगदान करने वाले सांसद अभिषेक बनर्जी के विश्वासपात्र आलोक चक्रवर्ती तथा स्थानीय एक हिदी समाचार पत्र के निदेशक विवेक वैद्य को सहयोगी बनाया गया है। प्रशासन बनाए जाने के बाद पूर्व मंत्री गौतम देव ने कहा कि वे शुक्रवार को साढ़े दस बजे योगदान करेंगे। साथ ही बोर्ड सदस्यों के साथ बैठक भी करेंगे। उनके सामने चुनौती है कि एक वर्ष से अस्थायी मेयर नहीं होने के कारण नगर निगम क्षेत्र में कई कमियों को पूरा करना। उनकी पहली प्राथमिकता होगी कोरोनावायरस से मुकाबला करना। राजनीतिक हलके में इस बात की चर्चा गौतम देव के विधानसभा चुनाव पराजित होने बाद से ही चल रही थी कि ममता बनर्जी उन्हें नगर निगम की जिम्मेदारी दे सकती है। दार्जिलिंग जिला में एक भी विधानसभा सीटें नहीं जितने वाले तृणमूल कांग्रेस के लिए नगर निगम पर कब्जा चुनौती होगा। प्रशासक और प्रशासनिक सदस्यों से मिल रही जानकारी के अनुसार कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए फिलहाल अभी चुनाव की कोई आशा दूर दूर तक नजर नहीं आ रही है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस के पास एक बार फिर मौका है कि जन सेवा के माध्यम से सिलीगुड़ी का कायाकल्प कर जनता का दिल जीत लें। चुनौती है कि बिना वार्ड आयुक्त के कैसे 47वार्डो में लोगों तक आवश्यक कामकाज पहुंचाने के साथ और कोरोना वायरस से लगातार संक्रमित हो रहे लोगों को कैसे बचाया जा सकेगा। ऐसा नहीं होने पर आने वाले दिनों में तृणमूल कांग्रेस को नगर निगम के कुर्सी पर बैठना भी मुश्किल होगा। गौतम देव को प्रशासन बनाए जाने को लेकर जहां एक ओर उनके समर्थकों में खुशी देखी जा रही है वही एक दो गुट ऐसा भी है जो गौतम देव को प्रशासन बनाने से अंदर ही अंदर नाराज है। यूं कहे कि तृणमूल कांग्रेस के अंदर एक बार फिर से गुटबाजी हावी हो गयी है।