पहाड़ी भालू पिंजड़े में कैद

-भालू पकड़े जाने से ग्रामीणों ने ली राहत की सांस - संवाद सूत्रदार्जिलिंग हां पहाड़ी काला भालू

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 07:45 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 07:45 PM (IST)
पहाड़ी भालू पिंजड़े में कैद
पहाड़ी भालू पिंजड़े में कैद

-भालू पकड़े जाने से ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

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संवाद सूत्र,दार्जिलिंग: हां पहाड़ी काला भालू सोमवार को यहां लेबोंग के तिब्बत रिफ्यूजी सेंटर व विद्या विकास स्कूल के निकट से वन विभाग के कर्मियों की मदद से पिंजड़े में कैद कर लिया गया। बताया जाता है कि पिछले दो हफ्ते से वयस्क काला भालू को ग्रामीणों ने चहल कदमी करते देखा था। उक्त जानकारी देते हुए जोरबंगला व‌र्ल्ड लाइव वन विभाग के रेंजर ऑफिसर सपन हिंगमाग ने बताया कि ग्रामीणों से मिली सूचना के आधार पर जोरबंगला के वन कर्मियों द्वारा कई जगह पर पिंजड़ा लगाया गया था जिससे सोमवार को कैद करने में कामयाबी मिली। उन्होंने बताया कि बड़ी मशक्कत के बाद उसे सड़क पर लाया जा सका। इसके बाद उसकी मेडिकल जाच की गई मेडिकल जाच पूरी होने के बाद वापस उसे सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया गया। भालू के पकड़े जाने से स्थानीय लोगों ने राहत की सास ली स्कूल बंद होने के कारण से बच्चे नहीं थे जिस वजह से कोई जनहानि नहीं हुई। दार्जिलिंग के जंगल में काफी संख्या में भालू चीता और हिरण पाए जाते हैं और कभी कभी रिहायशी क्षेत्र में भी चले आते हैं।

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चित्र परिचय: पहाड़ी काला भालू को पिंजड़े में कैद करते वन विभाग के कर्मी।

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संवाद सूत्र,दार्जिलिंग: हां पहाड़ी काला भालू सोमवार को यहां लेबोंग के तिब्बत रिफ्यूजी सेंटर व विद्या विकास स्कूल के निकट से वन विभाग के कर्मियों की मदद से पिंजड़े में कैद कर लिया गया। बताया जाता है कि पिछले दो हफ्ते से वयस्क काला भालू को ग्रामीणों ने चहल कदमी करते देखा था। उक्त जानकारी देते हुए जोरबंगला व‌र्ल्ड

लाइव वन विभाग के रेंजर ऑफिसर सपन हिंगमाग ने बताया कि ग्रामीणों से मिली सूचना के आधार पर जोरबंगला के वन कर्मियों द्वारा कई जगह पर पिंजड़ा लगाया गया था जिससे सोमवार को कैद करने में कामयाबी मिली। उन्होंने बताया कि बड़ी मशक्कत के बाद उसे सड़क पर लाया जा सका। इसके बाद उसकी मेडिकल जाच की गई मेडिकल जाच पूरी होने के बाद वापस उसे सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया गया। भालू के पकड़े जाने से स्थानीय लोगों ने राहत की सास ली स्कूल बंद होने के कारण से बच्चे नहीं थे जिस वजह से कोई जनहानि नहीं हुई। दार्जिलिंग के जंगल में काफी संख्या में भालू चीता और हिरण पाए जाते हैं और कभी कभी रिहायशी क्षेत्र में भी चले आते हैं।

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