औषधीय पौधों पर आधारित कार्यशाला आयोजित

-औषधीय पौधों का विश्व बाजार 120 बिलियन डॉलर का है, भारत की हिस्सेदारी मात्र 56 मिलियन डॉलर ही जागर

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 07:55 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 07:55 PM (IST)
औषधीय पौधों पर आधारित कार्यशाला आयोजित
औषधीय पौधों पर आधारित कार्यशाला आयोजित

-औषधीय पौधों का विश्व बाजार 120 बिलियन डॉलर का है, भारत की हिस्सेदारी मात्र 56 मिलियन डॉलर ही

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

नेशनल मेडिसनल प्लांट बोर्ड, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, क्षेत्रीय सह सुविधा केंद्र, पूर्वी क्षेत्र (आरसीएफसी ईआर) जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता की ओर से गुरुवार को सिलीगुड़ी में औषधीय पौधों पर आधारित एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। बुधवार को सिलीगुड़ी के उत्तरायण टाउनशिप अंतर्गत आयोजित उक्त कार्यशाला में मेडिसनल प्लांट का कल्टिवेशन (उगाने) वाले प्रतिनिधियों औषधीय पौधों को उगाने, उसके रख-रखाव तथा उपयोगिता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई। कार्यशाला में आने वाले इन प्रतिनिधियों को वरिष्ठ वन अधिकारियों, उत्तर बंगाल जिलों के जिला स्तर के अधिकारी, आयुर्वेदिक डॉक्टरों, प्रोफेसर, शोधकर्ताओं, नेशनल मेडिसनल प्लांट्स बोर्ड (एनएमपीबी) परियोजना कार्यान्वयनकर्ताओं, व्यापारियों, एफपीओ सदस्यों, विशेषज्ञों, किसानों और अन्य हितधारकों को औषधीय पौधों को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए आमंत्रित किया गया। कार्यशाला में उपस्थित उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय, सेंटर फॉर फ्लोकिल्चर एग्री बिजनेस मैनेजमेंट के तकनीकी अधिकारी अमरेंद्र पांडेंय ने बताया कि बताया कि उत्तर बंगाल में आरसीएफसी ईआर होने वाली औषधीय पौधों की खेती के आकड़ों के संग्रह में भी लगी हुई है। जिससे आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और औषधीय पौधों और उनके मूल्य वर्धित उत्पादों के विपणन समर्थन में मदद किया जा सके।

आधुनिक विज्ञान द्वारा समर्थित हमारे सदियों पुराने ज्ञान को बढ़ावा देने और आजीविका के अवसरों और व्यावसायिक प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए औषधीय पौधों की खेती करने में शामिल संगठनों और लोगों को आरसीएफसी ईआर के बैनर के तहत लाने के उद्देश्य से उत्तर बंगाल में इस तरह की यह पहली बैठक व कार्यशाला आयोजित की गई थी।

विशेषज्ञों ने बताया कि वर्तमान में औषधीय पौधों का विश्व बाजार 120 बिलियन डॉलर का है, जहा भारत का मात्र 56 मिलियन डॉलर का ही हिस्सा है। उम्मीद जताया गया कि आरसीएफसी ईआर के प्रयास से भारत इस बाजार के एक बड़े हिस्से पर अपना दबदबा बना सकता है। इसमें पूर्वी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। पश्चिम बंगाल और विशेष रूप से उत्तर बंगाल औषधीय पौधों की खेती करने की अधिकतम क्षमता के साथ इसमें प्रमुख भूमिका निभा सकता है।

उक्त कार्यशाला में उत्तर बंगाल विकास परिषद के चेयरमैन रविंद्र घोष, एडिशनल प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट उज्जवल घोष, आरसीएफसी ईआर, जावदपुर के रिजनल डायरेक्टर डॉ संजय बाला समेत अन्य लोगों ने अपना वक्तव्य रखा।

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