अब महागंदा नहीं महानंदा ही कहिए महाराज,पूरा घाट चकाचक

- बनारस के गंगा घाट की तरह होगा नजारा -ग्रीन मिशन के तहत सौंदर्यीकरण का काम अंतिम चरण

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 06:39 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 06:39 PM (IST)
अब महागंदा नहीं महानंदा ही कहिए महाराज,पूरा घाट चकाचक
अब महागंदा नहीं महानंदा ही कहिए महाराज,पूरा घाट चकाचक

- बनारस के गंगा घाट की तरह होगा नजारा

-ग्रीन मिशन के तहत सौंदर्यीकरण का काम अंतिम चरण में

-आमलोगों के साथ पर्यटकों को भी आकर्षित करने की तैयारी -जागरण विशेष

10

से पंद्रह करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे

22

घाटों का सालूगाड़ा तक होगा सौंदर्यीकरण

80

फीसदी काम पूरा होने के करीब है

शिवानंद पांडेय, सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी की जीवन रेखा माने जाने वाली महानंदा नदी को पहले महागंदा कहा जाता था। लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं रहेगी। इस नदी ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी है। आने वाले दिनों में महानंदा नदी पर वाराणसी के गंगा घाटों जैसा नजारा होगा। इस नदी का किनारा ना केवल यहा के आमलोगों बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगा। इसलिए अब इस नदी को आप महागंदा नहीं बल्कि महानंदा ही कहिए महाराज। सिलीगुड़ी नगर निगम की ओर से महानंदा नदी के घाटों को ग्रीन सिटी मिशन के तहत सौंदर्यीकरण कराया जा रहा है। इस सौंदर्यीकरण के कार्य में 10 से 15 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सौंदर्यीकरण के तहत महांनदा नदी तट पर फ्लोर टाइल्स लगाया जा रहा है। घाट पर लोगों के बैठने के लिए जगह-जगह चबुतरे बनाए जा रहे है। घाटों पर लोग खड़ा होकर नदी का नजारा देख सकें, इसके लिए सीमेंटेड घेराबंदी की जा रही है। सिलीगुड़ी नगर निगम के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार ग्रीन सिटी मिशन के तहत महानंदा महानंदा नदी के किनारे सालुगाड़ा से लेकर नौकाघाट तक 22 घाटों के सौंदर्यीकरण और उन्नति के इस परियोजना का शुभारंभ इस वर्ष जनवरी महीने में सिलीगुड़ी के तत्कालीन मेयर व विधायक अशोक भट्टाचार्य ने किया था। इस पहल का उद्देश्य महानंदा नदी को प्रदूषण से बचाना है। इस परियोजना में 10 से 15 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। यह सौंदर्यीकरण पर्यटकों के आकर्षित होने को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। बताया गया कि जिस तरह पर्यटक वाराणसी जाते हैं तो शाम के समय गंगा नदी के घाटों पर जाना नहीं भुलते हैं, ठीक उसी तरह से अगर पर्यटक सिलीगुड़ी आएं तो एक बार शाम के समय महानंदा नदी के तट पर कुछ देर अवश्य व्यतीत करें। घाटों के किनारे इस तरह से लाइट लगाए जाएंगे, ताकि जब प्रकाश नदी के पानी में पड़े तो रिफ्लेक्शन देखकर लोग गदगद हो जाएं। इसके अलावा नदी में नौका विहार की भी योजना बनाई जा रही है। क्यों हो रही है महानंदा नदी की दुर्दशा

- सिलीगुड़ी हिमालय की गोद में बसा है। पहाड़ से निकली कई नदियां सिलीगुड़ी होकर गुजरती हैं। लेकिन इन नदियों पर संकट के बादल मड़राने लगे हैं। नदियां प्रदूषित हो रही हैं।

-नदियां अतिक्रमण से सिकुड़ती भी जा रही हैं। नदियां नाले में तब्दील होने लगी हैं। जिस तरह से नदियों में गंदगी फैलाई जा रही है,इससे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ने लगा है।

-सिलीगुड़ी के जाने माने पर्यावरणविदों का कहना है कि महानंदा नदी सिलीगुड़ी के बीच शहर से गुजरती है। इसे सिलीगुड़ी की जीवन-रेखा भी कहा जाता है।

-प्रत्येक दिन लाखों लोगों का सिलीगुड़ी आना जाना लगा रहता है। इनमें असम, बिहार, सिक्किम, दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र, नेपाल, बंग्लादेश व भूटान समेत अन्य जगहों से लोग आते हैं।

-बाहर से आने वाले ज्यादातर लोग यहीं पर गैरकानूनी रूप से नदी की जमीन पर ही अपना घर बनाकर रह गए हैं।

-शहर में पर्याप्त शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से प्रत्येक दिन लगभग 50 हजार लोग नदी में ही शौचक्रिया करते हैं।

- लोगों का मानना है कि शहर में जितने भी गैरेज हैं, इन गैरेजों से मोबिल, तेल व अन्य गंदगियां नदियों में जाती है। इसके अलावा नदियों के तट पर स्थित खटालों का भी यही हाल है।

- शहर के सभी ड्रेनों का कचरा व ड्राईक्लिनर्स का गंदा पानी नदी में ही गिरता है। महानंदा नदी को प्रदूषण मुक्त की मांग को लेकर कई बार आंदोलन भी चुका है। ------------------------ दैनिक जागरण ने भी चलाया था अभियान

महानंदा नदी जिस तरह से प्रदूषित हो रही थी, इससे नदियों में जलचर प्राणियों का जीवन संकट में पड़ गया था। नदी के प्रदूषण से पानी काला हो गया था। इसको लेकर दैनिक जागरण ने 'महानंदा बचाओ' अभियान की शुरूआत की थी। महानंदा नदी को किस तरह से बचाया जा सकता है, इसको लेकर सिलीगुड़ी नगर निगम के विभिन्न वार्डो खासकर जिन-जिन वार्डो से महानंदा नदी गुजरती है, उन वार्डो के गणमान्य लोगों से उनकी प्रतिक्रिया ली गई थी। स्थानीय प्रशासन से लेकर जन-प्रतिनिधियों का भी ध्यान महानंदा नदी की ओर आकर्षित कराया गया था। -------------------

ग्रीन सिटी मिशन के तहत महानंदा नदी के सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा है। आने वाले दिनों में महानंदा नदी एक नए रूप में होगी। यह नदी लोगों के आकर्षण का केंद्र होगी। नदी पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होगी। इस परियोजना को पूरा करने में लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अस्सी प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। पहले पूजा के समय ही इसके उद्घाटन की योजना थी। कुछ काम बाकी होने के कारण अब इसमें थोड़ी देरी होगी।

- अशोक भट्टाचार्य, विधायक तथा सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन

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